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संदर्भ:
IMF की NBFCs से संबंधित चिंता: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत में वित्तीय अस्थिरता को लेकर चिंता जताई है, विशेष रूप से गैर–बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के बिजली और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में अधिक निवेश के कारण।
IMF की भारत के NBFCs पर चिंता:
- IMF ने भारत के गैर–बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) की वित्तीय स्थिरता पर चिंता जताई है, खासकर उनकी बिजली (power) और बुनियादी ढाँचा (infrastructure) क्षेत्रों में अधिक निवेश के कारण।
- यह चेतावनी IMF की “India Financial System Stability Assessment” रिपोर्ट के तहत आई है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि NBFCs की बैंक, म्यूचुअल फंड और कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजारों से गहरी जुड़ाव (interconnectedness) के कारण, यदि यह क्षेत्र संकट में आता है तो व्यापक वित्तीय जोखिम उत्पन्न हो सकता है।
IMF रिपोर्ट: भारत के NBFCs और वित्तीय स्थिरता पर प्रमुख बिंदु:
मुख्य निष्कर्ष
- रिपोर्ट का फोकस: “India Financial System Stability Assessment” रिपोर्ट मुख्य रूप से बिजली (Power) क्षेत्र के ऋणों पर केंद्रित है।
- अध्ययन परिदृश्य: IMF ने एक संभावित stagflation (कम वृद्धि और उच्च मुद्रास्फीति) स्थिति में बैंकों की मजबूती का परीक्षण किया।
- बढ़ती बैंक निर्भरता: 2019 के बाद से NBFCs द्वारा बैंक उधारी (bank borrowings) पर निर्भरता बढ़ी है।
- बिजली क्षेत्र में ऋण वितरण:
- वित्त वर्ष 2024 में 63% बिजली क्षेत्र के ऋण शीर्ष तीन इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग कंपनियों (IFCs) द्वारा दिए गए, जो कि NBFCs का एक प्रकार हैं।
- यह 2019-20 में 55% था।
IMF की चिंताएँ:
- वित्तीय अस्थिरता:NBFCs की ऊर्जा और बुनियादी ढांचे में अधिक भागीदारी वित्तीय जोखिम बढ़ा सकती है।
- उच्च जोखिम:बिजली क्षेत्र की संरचनात्मक समस्याएँ (structural challenges) वित्तीय संकट को बढ़ा सकती हैं।
- बाजार पर असर:NBFCs की बैंकों, कॉर्पोरेट बॉन्ड और म्यूचुअल फंड्स से गहरी कनेक्टिविटी होने के कारण, यदि संकट पैदा होता है तो इसका व्यापक असर होगा।
- बैंकों पर प्रभाव:
- स्ट्रेस टेस्ट में पाया गया किसार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSBs) stagflation के दौरान 9% पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) बनाए रखने में असफल हो सकते हैं।
- RBI दिशानिर्देश:PSBs के लिए 12% CAR और वाणिज्यिक बैंकों के लिए 9% CAR अनिवार्य है।
विनियामक चिंताएँ (Regulatory Concerns)
- राज्य संचालित NBFCs को बड़े ऋण देने की सीमा (large exposure limits) से छूट दी गई है, जिससे नियामक जोखिम (Regulatory Risk) बढ़ता है।
- मुख्य सिफारिशें:
- बुनियादी ढांचा क्षेत्र में कार्यरत NBFCs के लिए सख्त तरलता नियम।
- ऋण और जोखिम प्रबंधन की कड़ी निगरानी।
- सरकारी और निजी NBFCs के लिए समान नियामक मानक।
- NBFC ऋण और जोखिम डेटा की पारदर्शिता बढ़ाना।
- बैंकों के लिए वित्तीय स्थिरता को विकास लक्ष्यों से ऊपर रखना।