Apni Pathshala

साम्राज्यवाद (Imperialism) | UPSC Preparation

Imperialism

Imperialism

संदर्भ:

हाल ही में अमेरिका ने 12 दिनों के युद्ध के दौरान ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बिना उकसावे के हमले किए। ट्रम्प प्रशासन की वापसी के बाद इन कार्रवाइयों ने वैश्विक शक्ति संतुलन पर अमेरिका की दखलअंदाज़ी और साम्राज्यवादी नीतियों को लेकर बहस को एक बार फिर तेज कर दिया है।

साम्राज्यवाद (Imperialism):

साम्राज्यवाद  एक ऐसी नीति, अभ्यास या विचारधारा है, जिसके अंतर्गत कोई राष्ट्र अपने शक्ति और प्रभुत्व का विस्तार करता है — विशेषकर:

  • सीधे किसी क्षेत्र पर अधिकार जमाकर, या
  • राजनीतिक और आर्थिक नियंत्रण स्थापित करके।

इस प्रक्रिया में, एक शक्तिशाली देश किसी अन्य, अक्सर कमजोर राष्ट्र पर अपना वर्चस्व थोपता है। यह वर्चस्व कई तरीकों से हो सकता है:

  • सैन्य बल का उपयोग करके
  • आर्थिक प्रभुत्व के माध्यम से
  • सांस्कृतिक प्रभाव या प्रचार द्वारा

साम्राज्यवाद का उद्देश्य आमतौर पर संसाधनों, बाज़ारों या रणनीतिक लाभों पर नियंत्रण पाना होता है।

क्या अमेरिकी साम्राज्यवाद वैश्विक शांति के लिए खतरा है?

कई विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों के अनुसार अमेरिकी साम्राज्यवाद (U.S. imperialism) को वैश्विक स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में देखा जाता है, खासकर निम्नलिखित कारणों से:

  1. अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन:
  • अमेरिका ने कई बार संयुक्त राष्ट्र की स्वीकृति के बिना एकतरफा सैन्य हस्तक्षेप किए हैं (जैसे इराक 2003), जिससे वैश्विक कानूनी मानदंडों की अवहेलना हुई है।
  1. क्षेत्रों का अस्थिर होना:
  • अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेपों के बाद देशों में लंबे समय तक संघर्ष, शासन प्रणाली की कमजोरी, आतंकवाद और शरणार्थी संकट की स्थिति पैदा हुई (उदाहरण: अफगानिस्तान, लीबिया, सीरिया)।
  1. बहुपक्षवाद का ह्रास:
  • अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थानों से बाहर जाकर कार्य करने से अंतरराष्ट्रीय सहयोग की संस्कृति कमजोर हुई है। इससे सामूहिक निर्णय-निर्माण की प्रक्रिया पर भी असर पड़ा है।

क्या अमेरिका चीन के उदय को खतरे के रूप में देखता है?

अमेरिका चीन के आर्थिक, तकनीकी और भू-राजनीतिक उदय को एक रणनीतिक चुनौती और संभावित खतरे के रूप में देखता है। इसके पीछे मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

आर्थिक प्रतिस्पर्धा (Economic Rivalry):

  • चीन की तेजी से आर्थिक वृद्धि और $20 ट्रिलियन GDP के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना अमेरिका की व्यापारिक और औद्योगिक बढ़त को चुनौती देता है।
  • Belt and Road Initiative (BRI) जैसे वैश्विक बुनियादी ढांचा निवेश परियोजनाओं के माध्यम से चीन वैश्विक व्यापार नेटवर्क को पुनर्परिभाषित कर रहा है।

तकनीकी प्रतिस्पर्धा: सेमीकंडक्टर्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ग्रीन टेक्नोलॉजी (जैसे नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन) में चीन की बढ़त अमेरिका की वैश्विक नवाचार और रणनीतिक उद्योगों में श्रेष्ठता को चुनौती देती है।

भूराजनीतिक प्रभाव:

  • चीन का BRICS और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे मंचों के माध्यम से प्रभाव बढ़ाना, अमेरिका-नेतृत्व वाले वैश्विक ढांचे को प्रतिस्पर्धात्मक विकल्प देता है।
  • दक्षिण चीन सागर में आक्रामकता और अफ्रीका व लैटिन अमेरिका में रणनीतिक निवेश चीन की वैकल्पिक विश्व व्यवस्था की आकांक्षा को दर्शाते हैं।

 भारत जैसे उभरते देशों के सामने चुनौतियाँ:

  1. कम होती रणनीतिक स्वतंत्रता– अमेरिका-चीन की द्विध्रुवीयता भारत पर एक पक्ष चुनने का दबाव बना सकती है।
  2. वैश्विक प्रभाव में कमी– द्विध्रुवीयता में मझोले देशों की भूमिका सीमित हो जाती है।
  3. भूराजनीतिक अस्थिरता– बड़ी शक्तियों के तनाव से क्षेत्रीय सुरक्षा पर खतरा बढ़ सकता है।

Download Today Current Affairs PDF

Share Now ➤

क्या आपको Apni Pathshala के Courses, RNA PDF, Current Affairs, Test Series और Books से सम्बंधित कोई जानकारी चाहिए? तो हमारी विशेषज्ञ काउंसलर टीम आपकी सिर्फ समस्याओं के समाधान में ही मदद नहीं करेगीं, बल्कि आपको व्यक्तिगत अध्ययन योजना बनाने, समय का प्रबंधन करने और परीक्षा के तनाव को कम करने में भी मार्गदर्शन देगी।

Apni Pathshala के साथ अपनी तैयारी को मजबूत बनाएं और अपने सपनों को साकार करें। आज ही हमारी विशेषज्ञ टीम से संपर्क करें और अपनी सफलता की यात्रा शुरू करें

📞 +91 7878158882

Related Posts

Scroll to Top