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इन-फ्लाइट वाई-फाई सेवा

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संदर्भ:

एयर इंडिया ने इन-फ्लाइट वाई-फाई सेवाओं की शुरुआत की है, जिससे यह भारत की पहली एयरलाइन बन गई है जो घरेलू उड़ानों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करती है।

एयर इंडिया के घरेलू उड़ानों में वाई-फाई सेवा का विस्तार:

  1. उपलब्धता:
    • एयरबस A350, बोइंग 787-9, और चुनिंदा एयरबस A321neo विमानों में वाई-फाई सेवा प्रदान की जाएगी।
    • यह सेवा उन विमानों में उपलब्ध होगी जो 2024 में विस्तारा के साथ विलय के बाद एयर इंडिया को मिले हैं।
  2. सुविधा की तकनीकी तैयारी:
    • इन विमानों में ऑनबोर्ड इंटरनेट के लिए आवश्यक हार्डवेयर पहले से ही स्थापित है।
  3. पूर्व स्थिति:
    • विस्तारा पहले से चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर नेल्को और पैनासोनिक एवियोनिक्स कॉर्पोरेशन की साझेदारी में यह सेवा प्रदान कर रहा था।
    • अब यह साझेदारी एयर इंडिया की घरेलू उड़ानों में भी विस्तारित की गई है।
  4. कनेक्टिविटी प्रक्रिया:
    • यात्री अपने डिवाइस पर वाई-फाई चालू करें।
    • ‘Air India Wi-Fi’ नेटवर्क से कनेक्ट करें।
    • पोर्टल पर रीडायरेक्ट होने पर अपना पीएनआर और अंतिम नाम दर्ज करें।
  5. योजना का महत्व:
    • यह रोलआउट, जो पहले अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर पायलट प्रोग्राम के रूप में शुरू हुआ था, अब घरेलू उड़ानों तक विस्तारित हो रहा है।
    • एयर इंडिया के ग्लोबल स्टैंडर्ड्स के अनुरूप यात्री अनुभव को बेहतर बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

इन-फ्लाइट वाई-फाई सेवा कैसे काम करता है?

  1. वाई-फाई एंटेना:
    • विमान के केबिन में कई वाई-फाई एंटेना लगे होते हैं जो यात्रियों के उपकरणों से सिग्नल प्राप्त करते हैं।
    • ये सिग्नल इन-कैबिन एंटेना से ऑनबोर्ड सर्वर तक भेजे जाते हैं।
  2. इन-फ्लाइट इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए तकनीकें:
    इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी सिस्टम मुख्य रूप से दो प्रकार की तकनीकों का उपयोग करते हैं:

    • विशेष एंटेना और अन्य उपकरण विमान में स्थापित किए जाते हैं।

एयर-टू-ग्राउंड (ATG) तकनीक:

  • कार्यप्रणाली: विमान के नीचे एक एंटेना लगाया जाता है जो निकटतम ग्राउंड टावर या ग्राउंड रिसीवर से सिग्नल प्राप्त करता है और विमान में कनेक्टिविटी प्रदान करता है।
  • सीमाएं:
    • ग्राउंड टावर की उपलब्धता सबसे बड़ी सीमा है।
    • यदि विमान जल निकाय, रेगिस्तानी भूमि, या कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों से गुजरता है, तो नेटवर्क बाधित हो सकता है।

सैटेलाइट-आधारित कनेक्टिविटी:

  • कार्यप्रणाली:
    • इंटरनेट को ग्राउंड स्टेशन से उपग्रहों के माध्यम से विमान तक प्रेषित किया जाता है।
    • एंटेना विमान के ऊपर लगे होते हैं जो सिग्नल प्राप्त करते हैं।

फायदा:

  • यह व्यापक कवरेज प्रदान करता है।
  • यह उन क्षेत्रों में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करता है जहां ग्राउंड टावर उपलब्ध नहीं होते, जैसे समुद्र के ऊपर।

चिंताएँ:

  • एन्क्रिप्शन की कमी
  • फर्जी नेटवर्क
  • मैलवेयर का खतरा
  • मैन-इन-द-मिडल अटैक
  • डिवाइस कमजोरियाँ

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