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हिंद महासागर रिम संघ (IORA) : हिंद महासागर में क्षेत्रीय सहयोग और चुनौतियाँ

संदर्भ:

हिंद महासागर रिम संघ (IORA) नवंबर 2025 से भारत की अध्यक्षता में एक परिवर्तनकारी दौर में प्रवेश करने के लिए तैयार है। वर्तमान में उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत भारत, क्षेत्रीय सहयोग, समुद्री सुरक्षा, व्यापार और सतत विकास को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

हिंद महासागर रिम संघ (IORA)

हिंद महासागर रिम संघ (Indian Ocean Rim Association – IORA) के बारे में:

  1. स्थापना: 1997 में स्थापित, हिंद महासागर रिम संघ (Indian Ocean Rim Association – IORA) एक अंतर-सरकारी संगठन है जो 23 सदस्य देशों और 12 संवाद भागीदारों के बीच क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है। इसका मुख्य उद्देश्य सतत विकास (Sustainable Development) और सहयोग को बढ़ावा देना है।
  2. उद्देश्य: हिंद महासागर क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग और सतत विकास को बढ़ावा देना।
  3. सदस्यता:
    • सदस्य देश (Member States): 23 देश (23 वाँ देश फ्रांस)।
    • संवाद भागीदार (Dialogue Partners): 12 देश और संगठन जो सदस्य देश नहीं हैं, लेकिन IORA के साथ संवाद में शामिल हैं।
  4. मुख्य क्षेत्र (Focus Areas):
    • समुद्री सुरक्षा (Maritime Security)
    • व्यापार और निवेश सुविधा (Trade and Investment Facilitation)
    • मछली पालन प्रबंधन (Fisheries Management)
    • आपदा जोखिम न्यूनीकरण (Disaster Risk Reduction)
    • शैक्षणिक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग (Academic, Science & Technology Cooperation)
    • पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान (Tourism and Cultural Exchanges)
  5. सचिवालय: IORA का सचिवालय मॉरीशस (Mauritius) में स्थित है।
  6. अध्यक्षता (Chairmanship):
    • वर्तमान अध्यक्ष (2023-2025): श्रीलंका।
    • उपाध्यक्ष (Vice-Chair): भारत।
    • भविष्य की अध्यक्षता (2025): भारत।

हिंद महासागर रिम संघ (IORA) का इतिहास:

  • IORA की स्थापना 1997 में ‘Indian Ocean Rim Association for Regional Cooperation (IOR-ARC)’ के रूप में हुई।
  • IORA का विचार 1995 में नेल्सन मंडेला के भाषण से उत्पन्न हुआ, जिसमें उन्होंने सामाजिक-आर्थिक सहयोग (Socio-Economic Cooperation) के लिए एक हिंद महासागर रिम के विचार का प्रस्ताव रखा।

हिंद महासागर रिम संघ (IORA) का महत्व:

  • IORA को हिंद महासागर क्षेत्र में सतत विकास, व्यापार और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय मंच माना जाता है।
  • IORA ने 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा और अफ्रीकी संघ के पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त किया।

हिंद महासागर रिम संघ (IORA) को चुनौतियाँ :

  1. वित्तीय सीमाएं (Funding Constraints):
    • IORA का वार्षिक बजट सीमित है और यह मुख्य रूप से अपने सदस्यों पर निर्भर करता है, जिनमें से अधिकांश विकासशील अर्थव्यवस्थाएं हैं।
    • सिंगापुर, यूएई और फ्रांस को छोड़कर अधिकांश सदस्य देश आर्थिक रूप से कमजोर हैं।
    • IORA के मुख्य क्षेत्र (समुद्री सुरक्षा, मछली पालन प्रबंधन, आपदा जोखिम न्यूनीकरण, ब्लू इकोनॉमी) निरंतर निवेश की मांग करते हैं।
  2. विरोधाभासी प्राथमिकताएं:
    • IORA में विकसित, विकासशील, अल्प विकसित देश (LDCs) और छोटे द्वीपीय विकासशील राज्य (SIDS) शामिल हैं।
    • इन सदस्यों की तात्कालिक प्राथमिकताएं और चुनौतियाँ भिन्न-भिन्न हैं, जिससे क्षेत्रीय सहमति में कठिनाई होती है।
    • उदाहरण: श्रीलंका में राजनीतिक अस्थिरता।
  3. पर्यावरणीय खतरें (Environmental Threats):
    • जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आपदाएँ और समुद्री क्षरण विशेष रूप से SIDS के लिए खतरा हैं।
    • उदाहरण: मालदीव जैसे छोटे द्वीपीय देश जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि और अन्य पर्यावरणीय खतरों का सामना कर रहे हैं।
  4. सुरक्षा संबंधी चिंताएं (Security Concerns):
    • समुद्री डकैती, आतंकवाद, मानव और नशीले पदार्थों की तस्करी जैसी समस्याएं।
    • एकीकृत सुरक्षा नेटवर्क की अनुपस्थिति समन्वय में चुनौती पैदा करती है।

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