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संदर्भ:
भारत का बीमा क्षेत्र: आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में भारत के बीमा क्षेत्र को G20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र बताया गया है। हालांकि, कुछ चुनौतियों को देखते हुए सरकार ने बीमा क्षेत्र की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता दिनेश खारा करेंगे। यह समिति नियमों के आधुनिकीकरण, उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करने और निवेश बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में भारत का बीमा क्षेत्र:
बीमा अधिनियम, 1938:
- पृष्ठभूमि (Background): यह अधिनियम ब्रिटिश भारत में बीमा क्षेत्र को विनियमित (regulate) करने के लिए पारित किया गया था।
- इसमें क्या शामिल है?
- वैधानिक ढांचा (Statutory Framework): यह अधिनियम बीमा उद्योग को संचालित करने के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
- संस्थागत ढांचा (Institutional Framework): इस अधिनियम के तहत बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) की स्थापना हुई, जो इसकी कार्यान्वयन और निगरानी (Implementation & Regulation) करता है।
- बीमा योजनाओं का निर्धारण:
- यह अधिनियम भारत में उपलब्ध विभिन्न बीमा योजनाओं को परिभाषित करता है, जैसे:
- जीवन बीमा (Life Insurance)
- सामान्य बीमा (General Insurance)
- स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance)
- यह अधिनियम भारत में उपलब्ध विभिन्न बीमा योजनाओं को परिभाषित करता है, जैसे:
- बीमा एजेंटों की नियुक्ति: अधिनियम के तहत बीमा कंपनियों को बीमा एजेंट नियुक्त करने की अनुमति दी गई, जो बीमा योजनाओं का प्रचार और बिक्री कर सकते हैं
बीमा सुधार क्यों आवश्यक हैं?
- बीमा कवरेज में कमी (Low Insurance Penetration & Density):
- बीमा कवरेज FY23 में 4% से घटकर FY24 में 3.7% हो गया, जो वैश्विक औसत से कम है।
- जीवन बीमा (Life Insurance) कवरेज 3% से घटकर 2.8% रह गया।
- ग़ैर-जीवन बीमा (Non-Life Insurance) अभी भी 1% पर स्थिर है।
- नियामक खामियां और सुधार की ज़रूरत (Regulatory Gaps & Need for Simplification):
- जीवन, गैर-जीवन और स्वास्थ्य बीमा के लिए अलग-अलग और जटिल नियम।
- क्लेम निपटान (Claim Settlement) में देरी, उपभोक्ता शिकायत निवारण प्रणाली को मज़बूत करने की ज़रूरत।
- डिजिटल सुरक्षा (Cybersecurity) को बेहतर बनाने की आवश्यकता।
- उभरते जोखिम और साइबर सुरक्षा चुनौतियाँ (Emerging Risks & Cybersecurity Challenges)
- जलवायु परिवर्तन, भू-राजनीतिक अस्थिरता और साइबर खतरों के कारण जोखिम प्रबंधन बदल रहा है।
- डिजिटल धोखाधड़ी (Digital Fraud) और गलत बिक्री (Misselling) उपभोक्ताओं के लिए बड़ी चिंता बन गए हैं।
- नवाचार और निवेश को बढ़ावा (Boosting Innovation & Investment):
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ब्लॉकचेन और इंश्योरटेक (Insurtech) जैसे तकनीकी नवाचारों के लिए बेहतर नियामक ढांचा आवश्यक।
- बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए नियमों को और सरल बनाना ज़रूरी।
- ग्रामीण और MSME कवरेज का विस्तार (Expanding Rural & MSME Coverage):
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और आयुष्मान भारत जैसी सरकारी योजनाओं ने कवरेज बढ़ाया, लेकिन निजी क्षेत्र की भागीदारी कम है।
- MSME, गिग वर्कर्स और ग्रामीण समुदायों के लिए कस्टमाइज़्ड बीमा योजनाएँ आवश्यक