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संदर्भ:
हवाई अड्डों का निजीकरण: केंद्र सरकार ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत देशभर के 10 से अधिक हवाई अड्डों के निजीकरण की प्रक्रिया पर विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।
हवाई अड्डों का निजीकरण:
- कैबिनेट का निर्णय:
- सरकार यह तय करेगी कि किन हवाई अड्डों को पट्टे पर दिया जाएगा और आगामी दौर में समझौते की शर्तों में क्या बदलाव किए जाएं।
- यह प्रक्रिया राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP) के तहत की जा रही है।
- राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP) के तहत योजना:
- 2022 से 2025 के बीच भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) के 25 हवाई अड्डों को पट्टे पर देने की योजना बनाई गई है।
- इसमें भुवनेश्वर, वाराणसी, अमृतसर, तिरुचि, इंदौर, रायपुर, कोझीकोड, कोयंबटूर, नागपुर, पटना, मदुरै, सूरत, रांची, जोधपुर, चेन्नई, विजयवाड़ा, वडोदरा, भोपाल, तिरुपति, हुबली, इंफाल, अगरतला, उदयपुर, देहरादून और राजमुंद्री शामिल हैं।
- हवाई अड्डों को पट्टे पर देने का उद्देश्य:
- प्रबंधन में सुधार: निजी क्षेत्र की प्रभावशीलता (Efficiency) और निवेश का उपयोग करके हवाई अड्डों का संचालन बेहतर बनाना।
- मिश्रित नीलामी प्रक्रिया: लाभदायक और गैर-लाभदायक हवाई अड्डों को सामूहिक रूप से नीलामी में शामिल कर विभिन्न निवेशकों को आकर्षित करना
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP)
- उद्देश्य (Aim)
- केंद्र सरकार की मूल परिसंपत्तियों (Core Assets) को पट्टे (Leasing) पर देकर ₹6 लाख करोड़ की संभावित आय उत्पन्न करने की योजना।
- इसमें गैर-मूल परिसंपत्तियों (Non-Core Assets) जैसे भूमि, भवन आदि का मुद्रीकरण शामिल नहीं है।
- मुख्य परिसंपत्तियां (Core Assets): सड़क, रेलवे, बिजली, तेल और गैस पाइपलाइन, दूरसंचार, नागरिक उड्डयन, बंदरगाह जलमार्ग, खनन, गोदाम, स्टेडियम और खेल परिसर ।
- सबसे अधिक हिस्सेदारी वाले क्षेत्र
- सड़क (Roads) – 27%
- रेलवे (Railways) – 25%
- बिजली, तेल और गैस पाइपलाइन, दूरसंचार
- सड़क और रेलवे मिलाकर कुल 52% हिस्सेदारी रखते हैं।
हवाई अड्डों के निजीकरण के लाभ:
- हवाई अवसंरचना (Infrastructure) का समान विकास: भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) की नीलामी से मिलीराजस्व आयका उपयोग कम विकसित और विकासशील क्षेत्रों में हवाई अड्डों के निर्माण में किया जा सकता है।
- सेवा दक्षता (Efficiency) में सुधार: सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) सेबेहतर सेवा वितरण, विशेषज्ञता और पेशेवर दृष्टिकोणआता है। इससे निवेश की आवश्यकता भी पूरी होती है, जिससे हवाई अड्डों का प्रबंधन और संचालन कुशल बनता है।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) की आय में वृद्धि: PPP मॉडलके कारण हवाई अड्डों पर बेहतर सेवाएं मिलती हैं, जिससे यात्री संतुष्टि और राजस्व दोनों बढ़ते हैं। AAI को बिना किसी निवेश के अधिक राजस्व प्राप्त होता है।
- निवेश और अधोसंरचना (Infrastructure) उन्नयन: हवाई अड्डों का निर्माण और प्रबंधन पूंजी-गहन (Capital Intensive) व्यवसाय है। हर कुछ वर्षों में नई तकनीकों को अपनाना जरूरी होता है, लेकिन सरकार सभी हवाई अड्डों को एक साथ अपग्रेड नहीं कर सकती।
- निजी कंपनियां हवाई अड्डों को उन्नत बना सकती हैं और यात्री सेवाओं से निवेश की भरपाई कर सकती हैं।
- स्थानीय अर्थव्यवस्था (Local Economy) को बढ़ावा: जब हवाई अड्डों को व्यवसाय की तरह चलाया जाता है, तो वे अधिक यात्रियों को आकर्षित करने का प्रयास करते हैं। हवाई अड्डा संचालक स्थानीय पर्यटन बोर्ड और व्यवसायों के साथ मिलकर यात्रियों की संख्या बढ़ा सकते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा