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भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग: वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का फार्मास्युटिकल बाजार 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जिसमें घरेलू खपत 23.5 बिलियन डॉलर और निर्यात 26.5 बिलियन डॉलर का योगदान देता है।
भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग :
परिचय:
भारत का फार्मास्युटिकल उद्योग मात्रा के हिसाब से दुनिया में तीसरा और मूल्य के हिसाब से 14वां सबसे बड़ा है। यह उद्योग देश की GDP में लगभग 1.72% का योगदान देता है और वैश्विक फार्मा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
मुख्य क्षेत्र:
- जेनेरिक दवाएं
- ओवर-द-काउंटर (OTC) दवाएं
- बल्क ड्रग्स और वैक्सीन
- कॉन्ट्रैक्ट रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग
- बायोसिमिलर्स और बायोलॉजिक्स
प्रमुख उपलब्धियां:
- वैक्सीन उत्पादन:
- वैश्विक वैक्सीन उत्पादन में भारत का 60% हिस्सा है।
- WHO की मांग का 70% DPT और BCG वैक्सीन तथा 90% खसरा वैक्सीन भारत से आता है।
- वैश्विक आपूर्ति:
- अफ्रीका की 50% जेनेरिक दवाओं की मांग और अमेरिका की 40% मांग भारत पूरी करता है।
- भारत यूके की 25% दवा आपूर्ति करता है।
- एफडीआई प्रवाह: 2000-2024 के दौरान, दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में कुल US$ 22.52 बिलियन का एफडीआई आया।
- “फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड“:
- भारत जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और वैश्विक आपूर्ति में 20% हिस्सेदारी रखता है।
- उच्च गुणवत्ता और कम लागत के कारण इसे “दुनिया की फार्मेसी” कहा जाता है।
चुनौतियां:
- बौद्धिक संपदा संरक्षण (IP): भारतीय पेटेंट कानून और अनिवार्य लाइसेंसिंग पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों से अक्सर विवाद होते हैं।
- आयात पर निर्भरता: एपीआई (API) और की स्टार्टिंग मटेरियल (KSM) के आयात पर निर्भरता आपूर्ति श्रृंखला में अस्थिरता लाती है।
- कुशल मानव संसाधन: अनुसंधान और गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार के लिए अत्यधिक कुशल कार्यबल की आवश्यकता।
- गुणवत्ता मानकों की समस्या: 2014-16 के CDSCO सर्वेक्षण के अनुसार, भारत की 5% दवाएं गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहीं।
सरकार की पहल:
- उत्पादन–लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना: 2020-29 तक 15,000 करोड़ की योजना।
- प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना: सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाओं को उपलब्ध कराना।
- 100% एफडीआई: ग्रीनफील्ड फार्मास्यूटिकल्स में स्वचालित मार्ग से निवेश की अनुमति।
- राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास नीति: फार्मा और मेडटेक क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 2023 में नीति तैयार की गई।
- पेटेंट नियमों में सुधार: पेटेंट फाइलिंग और प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए 2014 के बाद कई बार संशोधन।