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संदर्भ:
महिला अधिकारों के उत्थान में भारत की प्रगति: भारत ने स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण के क्षेत्रों में लैंगिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन लैंगिक आधारित हिंसा जैसी चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं।
- 1995 में अपनाई गई बीजिंग घोषणा और कार्यवाही रूपरेखा आज भी महिला अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए सबसे व्यापक वैश्विक खाका बनी हुई है। यह नीति महिलाओं की समानता, सुरक्षा और सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शिका है।
बीजिंग प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन:
- बीजिंग घोषणा (Beijing Declaration): यह संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा सितंबर 1995 में चौथे विश्व महिला सम्मेलन के अंत में अपनाई गई एक प्रस्तावना (Resolution) थी। इसका उद्देश्य महिला और पुरुष की समानता से संबंधित सिद्धांतों को लागू करना था।
- मुख्य उद्देश्य: यह महिलाओं के सशक्तिकरण को बाधित करने वाली 12 महत्वपूर्ण चुनौतियों और कार्रवाई के क्षेत्रों को कवर करता है। इसका लक्ष्य महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक भागीदारी को सुनिश्चित करना है।
महिला अधिकारों के उत्थान में भारत की प्रगति:
- स्वास्थ्य और मातृ देखभाल में महत्वपूर्ण प्रगति:
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसी सरकारी योजनाओं के कारण संस्थागत प्रसव (Institutional Deliveries) 95% तक पहुंच गया है।
- मातृ मृत्यु दर (Maternal Mortality Rate – MMR) 2014 में 130 से घटकर 2020 में 97 प्रति 1,00,000 जन्मों पर आ गई है।
- आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत लाखों महिलाओं को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं मिली हैं।
- प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार:
- आधुनिक गर्भनिरोधक उपायों का उपयोग करने वाली विवाहित महिलाओं की संख्या 56.5% तक पहुंच गई है।
- इससे महिलाओं को परिवार नियोजन पर अधिक नियंत्रण मिला है।
- शिक्षा और सशक्तिकरण:
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना के तहत लिंगानुपात में सुधार और लड़कियों के स्कूल नामांकन में वृद्धि देखी गई है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे
- महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण:
- राष्ट्रीय ग्रामीण और शहरी आजीविका मिशन के तहत 10 करोड़ से अधिक महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से वित्तीय नेटवर्क से जोड़ा गया है।
- डिजिटल वित्तीय सेवाओं के विस्तार, विशेष रूप से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के माध्यम से अधिक महिलाओं को डिजिटल अर्थव्यवस्था में भाग लेने का अवसर मिला है।
- प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान के तहत 3.5 करोड़ ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल शिक्षा दी गई है।
- लिंग-संवेदनशील बजट:
- 2024-25 में लिंग बजट कुल बजट का 6.8% था, जो 2025-26 में बढ़कर 8.8% हो गया है।
- महिलाओं से संबंधित कार्यक्रमों के लिए $55.2 बिलियन (लगभग ₹4.5 लाख करोड़) आवंटित किए गए हैं।
- नेतृत्व में महिलाओं की भागीदारी:
- जलवायु परिवर्तन, डिजिटल उद्यमिता और शासन में युवा महिलाएं प्रभावी नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर रही हैं।
- GATI (Gender Advancement for Transforming Institutions) प्रोजेक्ट और G20 TechEquity प्लेटफॉर्म के तहत हजारों महिलाओं को नई तकनीकों में प्रशिक्षित किया गया है।
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व में वृद्धि:
- महिला आरक्षण विधेयक के तहत 33% विधायी आरक्षण प्रदान किया गया है।
- स्थानीय शासन में 15 लाख से अधिक महिला नेता चुनी गई हैं, जिससे भारत में महिला नेतृत्व का सबसे बड़ा समूह बना है।