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भारत का बढ़ता LNG आयात

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संदर्भ:

भारत का बढ़ता LNG आयात: यूएस एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन (EIA) के अनुसार, 2024 के पहले 11 महीनों में भारत का अमेरिका से LNG आयात वर्षदरवर्ष 71% बढ़ा। यह वृद्धि ऊर्जा सुरक्षा और आपूर्ति विविधीकरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

तरल प्राकृतिक गैस (LNG) के बारे में:

LNG क्या है?

  • Liquefied Natural Gas (LNG) एक प्राकृतिक गैस है जिसे लगभग -162°C तक ठंडा किया जाता है ताकि इसे तरल रूप में बदला जा सके।
  • इस प्रक्रिया से इसका आयतन 600 गुना तक कम हो जाता है।
  • LNG मुख्य रूप से मीथेन (Methane) से बनी होती है, जिसमें थोड़ी मात्रा में एथेन, प्रोपेन (Propane), और अन्य हाइड्रोकार्बन होते हैं।

LNG उत्पादन प्रक्रिया:

  1. गैस निष्कर्षण: प्राकृतिक गैस को भूमिगत भंडारों से निकाला जाता है।
  2. गैस प्रसंस्करण: इसमें पानी, कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर जैसी अशुद्धियों को हटाया जाता है।
  3. द्रवीकरण: गैस को -162°C तक ठंडा कर तरल में बदला जाता है।
  4. भंडारण और परिवहन: LNG को विशेष टैंकों में रखा जाता है और विशेष जहाजों (Specialized Carriers) के माध्यम से भेजा जाता है।
  5. रीगैसीफिकेशन: गंतव्य स्थान पर LNG को गर्म कर दोबारा गैस में बदला जाता है, जिसे हीट ट्रांसफर फ्लुइड की मदद से किया जाता है।

LNG के उपयोग:

  • बिजली उत्पादन: गैस आधारित बिजली संयंत्रों में बिजली उत्पन्न करने के लिए। उदाहरण – हजीरा (Hazira) और पिपावाव (Pipavav) पावर प्लांट्स।
  • औद्योगिक क्षेत्र: निर्माण और रिफाइनिंग उद्योगों में LNG एक कोयला और तेल की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन के रूप में प्रयोग होती है।
  • परिवहन: LNG का उपयोग जहाजों, ट्रकों और बसों के ईंधन के रूप में किया जाता है।

भारत में LNG पर बढ़ती निर्भरता:

  • ऊर्जा स्रोतों में विविधता: भारत कोयले की निर्भरता कम कर स्वच्छ ईंधन LNG की ओर बढ़ रहा है।
  • ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी: 2030 तक इसे 15% तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
  • गैसआधारित अर्थव्यवस्था: LNG पर जोर देकर आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता कम की जा रही है।
  • जलवायु परिवर्तन लक्ष्य: LNG, कोयले की तुलना में 40% और तेल की तुलना में 30% कम CO₂ उत्सर्जित करता है, जिससे यह सबसे स्वच्छ फॉसिल फ्यूल माना जाता है।

भारत में LNG क्षेत्र की चुनौतियाँ:

  • सीमित पाइपलाइन नेटवर्क: अविकसित पाइपलाइनें LNG को दूरदराज़ के क्षेत्रों तक पहुँचने में बाधा डालती हैं।
  • अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: 2030 तक ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की 15% हिस्सेदारी का लक्ष्य है, लेकिन LNG अवसंरचना कमजोर है।
  • भंडारण की समस्या: सीमित भंडारण क्षमता के कारण वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति बाधाओं का खतरा।
  • भीड़भाड़ वाले टर्मिनल: धीमी प्रक्रियाओं और अक्षमताओं के कारण देरी होती है।

LNG क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल:

  • राष्ट्रीय गैस ग्रिड का विस्तार: LNG पाइपलाइन नेटवर्क को मजबूत करना।
  • ऊर्जा संक्रमण नीति: स्वच्छ ईंधन की ओर बदलाव, 2030 तक गैस की हिस्सेदारी 15% तक बढ़ाने का लक्ष्य।
  • प्राथमिकता गैस आवंटन: परिवहन (CNG) और घरेलू उपयोग (PNG) जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता।
  • नए LNG टर्मिनलों का विकास: आयात और भंडारण सुविधाओं में विस्तार।
  • शहरी गैस वितरण (CGD) का विस्तार: PNG (पाइप्ड नेचुरल गैस) और CNG (संपीड़ित प्राकृतिक गैस) की पहुँच बढ़ाना।
  • SATAT पहल: परिवहन के लिए जैव-CNG को बढ़ावा देने की योजना।
  • गैस मूल्य निर्धारण में उदारीकरण: उच्च दबाव, गहरे पानी और कोयला गैस क्षेत्रों से उत्पादित गैस के लिए बाजार और मूल्य निर्धारण में स्वतंत्रता।

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