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अगस्त 2024 के व्यापार संबंधी आंकड़ों के अनुसार, भारत का वस्त्र क्षेत्र एक महत्वपूर्ण विस्तार की ओर अग्रसर है। रेडीमेड गारमेंट्स (आरएमजी) में वर्ष-दर-वर्ष 11 प्रतिशत की वृद्धि ने इस उज्ज्वल भविष्य का संकेत दिया है। भारत की कपड़ा उद्योग में अंतर्निहित शक्तियों जैसे मजबूत कच्चे माल, संपूर्ण मूल्य श्रृंखला क्षमता, और तेजी से बढ़ते घरेलू बाजार के साथ, देश में वस्त्र क्षेत्र के 2030 तक 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
भारत का वस्त्र क्षेत्र: प्रमुख तथ्य
- सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान: 2.3%
- औद्योगिक उत्पादन में हिस्सेदारी: 13%
- निर्यात में योगदान: 12%
- वैश्विक व्यापार में हिस्सेदारी: 4%
- दुनिया में स्थिति: भारत तीसरा सबसे बड़ा कपड़ा और परिधान निर्यातक है।
- रोजगार: कपड़ा उद्योग में 45 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष और 100 मिलियन लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलता है। (स्रोत: वस्त्र मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2022-23)
सरकारी योजनाएँ और नीतिगत पहलें:
सरकार ने वस्त्र क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और नीतिगत पहलों का रोडमैप तैयार किया है, जिससे इस क्षेत्र की वृद्धि और निवेश को प्रोत्साहित किया जा सके। इनमें से प्रमुख योजनाएँ निम्नलिखित हैं:
- पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्र) पार्क:
- सरकार ने देशभर में 7 पीएम मित्र पार्कों को मंजूरी दी है, जिनमें से एक महाराष्ट्र के अमरावती में स्थापित हो रहा है।
- प्रत्येक पार्क के माध्यम से 10,000 करोड़ रुपये का निवेश और 1 लाख प्रत्यक्ष व 2 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।
- यह पार्क विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा और प्लग एंड प्ले सुविधाएं प्रदान करेगा, जिससे भारत वस्त्र निर्माण और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनेगा।
- उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना:
- पीएलआई योजना के तहत 28,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश और 2.5 लाख रोजगार सृजन की योजना है।
- इस योजना का उद्देश्य एमएमएफ परिधान, कपड़े और तकनीकी वस्त्रों के उत्पादन को बढ़ावा देना है, जिससे वस्त्र उद्योग को आकार और पैमाना हासिल करने में मदद मिलेगी।
- राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन:
- यह विशेष मिशन विशेष फाइबर, जियोटेक्सटाइल, प्रोटेक्टिव टेक्सटाइल, मेडिकल टेक्सटाइल, डिफेंस टेक्सटाइल और पर्यावरण अनुकूल वस्त्रों जैसे उभरते क्षेत्रों को कवर करता है।
- मिशन का उद्देश्य रणनीतिक क्षेत्रों में तकनीकी वस्त्रों के उपयोग को बढ़ावा देना और स्टार्टअप एवं अनुसंधान परियोजनाओं को समर्थन देना है।
राज्य-स्तरीय नीतिगत पहलें:
- केन्द्रीय स्तर पर सहायक नीतिगत ढांचे के साथ, कई राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने वाली नीतियां लागू कर रही हैं। इन नीतियों का उद्देश्य वस्त्र उद्योग को नवाचार और निवेश के लिए और अधिक आकर्षक बनाना है, जिससे इस क्षेत्र में स्थिरता और रोजगार के अवसर बढ़ सकें।
वस्त्र क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियाँ:
- प्रतिस्पर्धा: चीन और वियतनाम जैसे देशों से कम लागत वाली प्रतिस्पर्धा के कारण भारतीय कपड़ा उद्योग को दबाव का सामना करना पड़ता है।
- कुशल श्रमिकों की कमी: विशेषकर डिजाइन, प्रौद्योगिकी और प्रबंधन के क्षेत्रों में कुशल श्रमिकों की कमी उद्योग के विकास में बाधा बनती है।
- छोटे और मध्यम आकार के कपड़ा उद्यमों को अक्सर निवेश के लिए सस्ती पूंजी तक पहुंचने में कठिनाई होती है।
- अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: रसद, बिजली आपूर्ति और परिवहन नेटवर्क की कमी उद्योग की दक्षता को प्रभावित करती है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ जाती है।
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