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K-4 बैलिस्टिक मिसाइल

भारत ने परमाणु सक्षम K-4 पनडुब्बी (K-4 submarine) से दागी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) का सफल परीक्षण किया है, जिसकी मारक क्षमता 3,500 किमी है। इससे भारत को भारतीय जलक्षेत्र में स्थित परमाणु हथियार दागने की क्षमता प्राप्त हो जाएगी।

मुख्य बिंदु:

  1. K-4 मिसाइल का सफल परीक्षण:
    • भारत ने परमाणु सक्षम K-4 पनडुब्बी से दागी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) का सफल परीक्षण किया।
    • यह परीक्षण, विशाखापट्टनम के तट पर बंगाल की खाड़ी में हुआ।
  2. INS अरिघात से पहली बार लॉन्च:
    • यह परीक्षण पहली बार कमीशन की गई परमाणु संचालित पनडुब्बी INS अरिघात से किया गया।
    • इससे पहले K-4 मिसाइल का परीक्षण केवल पानी के अंदर सबमर्सिबल पॉंटून (pontoons) से हुआ था।
  3. मिसाइल की विशेषताएँ:
    • K-4 मिसाइल ठोस ईंधन पर आधारित है।
    • इसकी मारक क्षमता 3,500 किमी है।
    • इसे 6,000 टन वजन वाली पनडुब्बी से लॉन्च किया गया।
  4. सैन्य क्षमता में बढ़ोतरी: यह परीक्षण भारत की नौसैनिक शक्ति और परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

K-4 बैलिस्टिक मिसाइल:

  • K-4मिसाइल एक ठोस ईंधन (Solid-fuelled) पर आधारित मिसाइल है, जिसे DRDO द्वारा विकसित किया जा रहा है।
  • इसका उद्देश्य भारत की परमाणु संचालित पनडुब्बियों, जैसे INS अरिहंत और इसकी निर्माणाधीन अन्य पनडुब्बियों को सशक्त बनाना है।
  • इसकी मारक क्षमता 3,500 किमी है।
  • यह मिसाइल पाकिस्तान के लगभग सभी हिस्सों और चीन के कई क्षेत्रों को अपनी सीमा में ले सकती है।

K-4 बैलिस्टिक मिसाइल की विशेषताएँ:

  1. लॉन्चिंग सिस्टम: INS अरिहंत और अरिघात पनडुब्बियों में चार वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम हैं, जिनसे यह मिसाइल लॉन्च की जाती है।
  2. वजन और लंबाई: मिसाइल का वजन 17 टन और लंबाई 39 फीट है।
  3. व्यास: इसका व्यास 3 मीटर है।
  4. परमाणु हथियार क्षमता: यह मिसाइल 2500 किलोग्राम वजनी स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर हथियार ले जाने में सक्षम है।

INS अरिघात और इसकी रणनीतिक महत्त्व:

  1. परमाणु शक्ति में बढ़ोतरी: INS अरिघात, जो अरिहंत श्रेणी की दूसरी परमाणु पनडुब्बी है, भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूती प्रदान करती है।
  2. क्षेत्रीय सुरक्षा में योगदान: यह भारत के न्यूक्लियर ट्रायड (भूमि, वायु और समुद्र से मिसाइल लॉन्च करने की क्षमता) को मजबूत करती है। इसका तैनात होना क्षेत्रीय सुरक्षा को बेहतर बनाता है और भारत के रणनीतिक प्रभाव को बढ़ाता है।
  3. जीवित रहने और जवाबी हमले की क्षमता: यह पनडुब्बी आश्चर्यजनक हमले के बाद भी जीवित रहने और जवाबी हमले करने में सक्षम है, जो भारत की “नो-फर्स्ट यूज” परमाणु नीति के लिए महत्वपूर्ण है।
  4. तकनीकी रूप से उन्नत: अरिघात, अरिहंत से अधिक तकनीकी रूप से उन्नत है। इसमें स्वदेशी उपकरण और प्रणालियाँ उपयोग की गई हैं, जिन्हें भारतीय वैज्ञानिकों, उद्योगों और नौसेना के कर्मियों ने डिज़ाइन और निर्मित किया है।

भारतीय नौसेना की परमाणु पनडुब्बियां: INS अरिहंत और अरिघात

  1. अरिहंत और अरिघात की विशेषता:
    • भारतीय नौसेना के पास INS अरिहंत और INS अरिघात नामक दो परमाणु पनडुब्बियां हैं, जो बैलिस्टिक मिसाइलों को दागने की क्षमता रखती हैं।
    • INS अरिघात को इस साल अगस्त में विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में नौसेना में शामिल किया गया।
  2. तीसरी पनडुब्बी का निर्माण: इस श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी को लॉन्च किया जा चुका है और इसे अगले साल नौसेना में शामिल करने की योजना है। 

समुद्री आधारित प्रतिरोधक क्षमता:

  1. INS Arihant:
    • भारत की पहली स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN)
    • इसे 2016 में नौसेना में शामिल किया गया, जिससे भारत को पहली बार समुद्री हमले की क्षमता मिली।
    • INS Arihant ने 2018 में अपनी पहली डिटरेंस पैट्रोल सफलतापूर्वक पूरी की, जिससे भारत की न्यूक्लियर ट्रायड स्थापित हुई।
  2. INS Arighat:
    • यह भारत की दूसरी स्वदेशी रूप से निर्मित परमाणु शक्ति चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है।
    • यह INS Arihant की उत्तराधिकारी है।
  3. S-4:
    • यह INS Arihant और INS Arighat के बाद भारत की तीसरी स्वदेशी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है।
    • इसमें परमाणु हथियार युक्त बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए अधिक स्थान है।

भारत की बढ़ती परमाणु पनडुब्बी बेड़ा:

  • K-4 मिसाइल का परीक्षण और विस्तार: INS Arighaat से K-4 मिसाइल का परीक्षण यह दर्शाता है कि भारत अपनी परमाणु पनडुब्बी बेड़े का विस्तार कर रहा है।
  • INS Aridhaman का आगमन: भारत 2025 की शुरुआत में अपनी तीसरी SSBN (INS Aridhaman) को शामिल करने की तैयारी कर रहा है। यह 7,000 टन वजनी पनडुब्बी भारत की समुद्री आधारित परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को और मजबूत करेगी।
  • लगातार समुद्री प्रतिरोधक क्षमता: नई पनडुब्बियां उन्नत मारक क्षमता प्रदान करती हैं और भारत को समुद्र में लगातार प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने में सक्षम बनाती हैं, जो विश्वसनीय परमाणु प्रतिरोधक क्षमता के लिए आवश्यक है।
  • क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूती: रणनीतिक बलों के आधुनिकीकरण के साथ, इन उन्नत पनडुब्बियों की तैनाती क्षेत्रीय सुरक्षा खतरों के खिलाफ भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगी।

भारत: छठा न्यूक्लियर ट्रायड देश:

  • INS अरिघात की क्षमता: INS अरिघात समुद्र के भीतर से मिसाइल अटैक करने में सक्षम है, जैसा 14 अक्टूबर 2022 को अरिहंत द्वारा K-15 SLBM की सफल टेस्टिंग के समय देखा गया था।
  • दुनिया के छठे न्यूक्लियर ट्रायड देश में शामिल: इस सफलता के साथ भारत दुनिया के उन छह देशों में शामिल हो गया, जिनमें अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, और चीन पहले से मौजूद हैं।
  • न्यूक्लियर ट्रायड की परिभाषा: न्यूक्लियर ट्रायड का मतलब है कि देश जमीन, हवा और समुद्र, तीनों माध्यमों से परमाणु हमले करने में सक्षम हो।

भारत समेत दुनिया के 6 देशों की सबसे ताकतवर SLBM मिसाइलें:

  • अमेरिका: Trident D5 मिसाइल, रेंज 12,000 किलोमीटर।
  • ब्रिटेन: Trident D5 मिसाइल, रेंज 12,000 किलोमीटर।
  • फ्रांस: M51 मिसाइल, रेंज 10,000 किलोमीटर से कम।
  • रूस: R-29RMU Sineva मिसाइल, रेंज 8,300 किलोमीटर से अधिक।
  • चीन: JL-2 मिसाइल, रेंज 8,000 किलोमीटर।
  • भारत:
    • K-15 (वीओ-5) मिसाइल, रेंज 1,500 किलोमीटर।
    • K-4 मिसाइल, रेंज 3,500 किलोमीटर (परीक्षण जारी)।

 

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