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शुक्र मिशन – शुक्रयान 1

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अंतरिक्ष विभाग द्वारा लॉन्च किया गया मिशन शुक्रयान (शुक्रयान 1), शुक्र ग्रह के वायुमंडल और सतह का अध्ययन करेगा, साथ ही इसका सूर्य के साथ होने वाले संपर्क की भी जांच करेगा।

वीनस ऑर्बिटर मिशन (Venus Orbiter Mission – VOM) क्या है?

परिचय:
भारत का पहला वीनस मिशन, “शुक्रयान-1”, शुक्र ग्रह के वायुमंडल, सतह और भूगर्भीय विशेषताओं का अध्ययन करेगा। इसमें उन्नत वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग किया जाएगा।

लक्ष्य:

  1. वीनस की सतह पर होने वाली प्रक्रियाओं और उपसतह संरचना का अध्ययन करना।
  2. वीनस के वायुमंडल की संरचना, संघटन और गतिशीलता का अध्ययन करना।
  3. सूर्य की हवाओं और वीनस के आयनमंडल के बीच के संपर्क का अन्वेषण करना।

मिशन की मुख्य विशेषताएँ:

  • समयरेखा: भारत का वीनस मिशन, जिसे पहले 2023 में लॉन्च किया जाना था, अब मार्च 2028 में लॉन्च किया जाएगा। पृथ्वी और वीनस हर 19 महीने में निकटतम आते हैं, इसलिए यह समयरेखा महत्वपूर्ण है।
  • पेलोड: मिशन में लगभग 100 किलोग्राम वैज्ञानिक पेलोड होंगे। ये पेलोड वीनस के वायुमंडल के तापीय अवस्था, संरचना और विविधताओं का अध्ययन करेंगे, और ग्रह के आयनमंडल में प्रवेश करने वाली उच्च-ऊर्जा कणों का विश्लेषण करेंगे।
  • प्रक्षेपण प्रक्रिया: सैटेलाइट पृथ्वी की कक्षा में गति प्राप्त करेगा और वीनस की कक्षा में लगभग 140 दिनों में पहुंच जाएगा।

मिशन के पेलोड्स:

  • 16 भारतीय पेलोड्स: इन पेलोड्स का उद्देश्य वीनस के वायुमंडल और सतह के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करना है।
  • 2 भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी पेलोड्स (VISWAS और RAVI): ये पेलोड्स भारत और अन्य देशों के बीच सहयोग के तहत विकसित किए गए हैं।
  • 1 अंतर्राष्ट्रीय पेलोड (VIRAL): यह पेलोड अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय के साथ मिलकर वीनस के अध्ययन में मदद करेगा।

मिशन का महत्व:

  1. वैज्ञानिक अन्वेषण: सूर्यमंडल के विकास और ग्रहों के वायुमंडल के गतिशीलता को समझने में मदद करेगा।
  2. जलवायु परिवर्तन को समझना: वीनस का वायुमंडल मुख्य रूप से CO2 से बना है, इसलिए इसकी संरचना का अध्ययन ग्रीनहाउस प्रभाव और पर्यावरणीय समस्याओं को समझने में सहायक होगा।
  3. अन्य महत्व: वायुमंडलीय संरचना, पृथ्वी के विकास आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करना।

मिशन के लिए चुनौतियाँ:

  1. चरम स्थितियाँ: अत्यधिक तापमान और दबाव, जो अंतरिक्ष यान के घटकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  2. क्षारीय वायुमंडल: वीनस की सतह पर मौजूद सल्फ्यूरिक एसिड के बादल जो स्टील और टाइटेनियम जैसे सामग्रियों को जंग लगा सकते हैं।
  3. अन्य चुनौतियाँ: कठिन भौतिक परिस्थितियाँ, सौर पैनलों के लिए पर्याप्त सूर्य की रोशनी का अभाव, तकनीकी समस्याएँ आदि।

वीनस पर अन्य देशों द्वारा लॉन्च किए गए मिशन:

  1. अतीत में किए गए मिशन: संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ (USSR), जापान और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने वीनस पर कई मिशन भेजे हैं।
  2. हाल ही में घोषित मिशन:
    • NASA: “DaVinci” (2029 में) और “Veritas” (2031 में) मिशन।
    • ESA: “EnVision” मिशन (2030 के दशक की शुरुआत में योजना)।
    • रूस: “Venera-D” मिशन (विकसित हो रहा है)।

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