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केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) ने सर्फेस हाइड्रोकाइनेटिक टर्बाइन (SHKT) तकनीक को हाइड्रो श्रेणी के तहत मान्यता दी है। यह तकनीक शून्य-उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने और बिजली क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए नवाचारों को बढ़ावा देती है।
मुख्य बिंदु:
- तकनीक की विशेषता: SHKT प्रवाहित पानी की गतिज ऊर्जा का उपयोग करती है और इसके लिए किसी बांध, बैराज या संरचना की आवश्यकता नहीं होती।
- पारंपरिक जल विद्युत इकाइयों के विपरीत, इसे शून्य हेड (Zero Head) वाले क्षेत्रों में लगाया जा सकता है।
- लाभ: यह तकनीक लागत प्रभावी है, जिसमें बिजली उत्पादन का खर्च ₹2-3 प्रति यूनिट है।
- इसे स्थापित करना आसान और सस्ती प्रक्रिया है।
- यह क्षेत्रों में भी उपयोगी है जहां ग्रिड की पहुंच सीमित है।
- सतत ऊर्जा का स्रोत: यह तकनीक भारत के व्यापक जल अवसंरचना जैसे नहरों और हाइड्रोपावर टेलरेस चैनलों का उपयोग कर बड़ी मात्रा में (GW स्तर) नवीकरणीय ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम है।
- यह बिजली क्षेत्र को सतत ऊर्जा उत्पादन में मदद कर सकती है।
- महत्व: SHKT तकनीक 24×7 नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने में सहायक होगी।
- यह ऊर्जा उत्पादकों और खरीदारों दोनों के लिए लाभदायक समाधान प्रदान करती है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (Central Electricity Authority – CEA):
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण भारत सरकार का एक वैधानिक निकाय है, जो बिजली मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है। इसकी स्थापना विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत की गई है।
मुख्य कार्य:
- नीति निर्माण: बिजली क्षेत्र से संबंधित नीतियों और योजनाओं का मसौदा तैयार करना।
- तकनीकी सलाह: बिजली उत्पादन, पारेषण, और वितरण के लिए तकनीकी सलाह देना।
- डेटा प्रबंधन: विद्युत क्षेत्र से जुड़ा डेटा एकत्र करना, उसका विश्लेषण करना और प्रकाशित करना।
- प्रणाली का निगरानी: बिजली ग्रिड की विश्वसनीयता और स्थिरता सुनिश्चित करना।
- विद्युत परियोजनाओं का निरीक्षण: नई परियोजनाओं की स्वीकृति और उनके कार्यान्वयन की निगरानी।