महाकुंभ मेला (Maha Kumbh Mela), 13 जनवरी से 26 फरवरी तक पवित्र शहर प्रयागराज में आयोजित होने वाला है। यह आयोजन, हर 12 वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। महाकुंभ में श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर अपने पापों से मुक्ति और आध्यात्मिक शुद्धिकरण की कामना करते हैं।
महाकुंभ मेले (Maha Kumbh Mela) के बारे में:
कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण आयोजन है, जो भारत के चार पवित्र स्थानों — हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज — में बारी-बारी से आयोजित होता है। हर स्थान एक पवित्र नदी के किनारे स्थित है:
- हरिद्वार में गंगा,
- उज्जैन में शिप्रा,
- नासिक में गोदावरी,
- प्रयागराज में गंगा, यमुना, और पौराणिक सरस्वती का संगम।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
कुंभ मेले की प्राचीन जड़ें हजारों वर्षों पुरानी हैं, और इसके प्रारंभिक संदर्भ मौर्य और गुप्त काल (4थी शताब्दी ईसा पूर्व से 6ठी शताब्दी) में मिलते हैं।
- मध्यकाल में इसे दक्षिण के चोल और विजयनगर साम्राज्य तथा उत्तर के दिल्ली सल्तनत और मुगलों से संरक्षण प्राप्त हुआ।
- मुगल सम्राट अकबर जैसे शासक भी इस आयोजन में सम्मिलित हुए, जो धार्मिक सहिष्णुता का परिचायक था।
- ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासक जेम्स प्रिंसेप जैसे लोगों ने 19वीं सदी में कुंभ मेले का इतिहास लिखा और इसके विशाल पैमाने और विविधता से प्रभावित होकर इसका दस्तावेजीकरण किया।
आधुनिक महत्व:
स्वतंत्रता के बाद, महाकुंभ मेला राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बन गया। 2017 में यूनेस्को ने इसे मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्रदान की, जिससे यह भारत की प्राचीन परंपराओं और संस्कृति के निरंतर विकास का प्रतीक बन गया।