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MSME वर्गीकरण में प्रमुख बदलाव

संदर्भ:

MSME वर्गीकरण में प्रमुख बदलाव: सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के वर्गीकरण के लिए टर्नओवर और निवेश मानदंडों में महत्वपूर्ण संशोधन अधिसूचित किए हैं, जो 1 अप्रैल से प्रभावी होंगे।

MSME वर्गीकरण में प्रमुख बदलाव :

  1. नई सीमा 1 अप्रैल से लागू: सरकार ने एमएसएमई (MSME) वर्गीकरण के लिए निवेश और टर्नओवर मानदंडों में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं।
  2. सूक्ष्म उद्यम (Micro Enterprises):
    • निवेश सीमा: 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये कर दी गई।
    • टर्नओवर सीमा: 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दी गई।
  3. लघु उद्यम (Small Enterprises):
    • निवेश सीमा: 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये कर दी गई।
    • टर्नओवर सीमा: 50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये कर दी गई।
  4. मध्यम उद्यम (Medium Enterprises):
    • निवेश सीमा: 50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 125 करोड़ रुपये कर दी गई।
    • टर्नओवर सीमा: 250 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये कर दी गई।
  5. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट भाषण– उन्होंने MSME के नए वर्गीकरण की घोषणा की थी, जिसमें निवेश सीमा को 5 गुना और टर्नओवर सीमा को 2 गुना बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया था।

Revised Defination of MSMEs

MSME का महत्व:

  • आत्मनिर्भर भारत मिशन: 6 करोड़ से अधिक इकाइयों के साथ, मजबूत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान।
  • रोजगार सृजन: 24.14 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं, कृषि के बाद सबसे बड़ा रोजगार क्षेत्र।
  • वैश्विक उपस्थिति: घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के लिए विविध उत्पाद और सेवाएँ प्रदान करते हैं।
  • महिला उद्यमिता: पंजीकृत 13 करोड़ MSME में से लगभग 40% महिलाओं के स्वामित्व में हैं।
  • ग्रामीण विकास: ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों का औद्योगीकरण कर क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने में सहायक।
  • गतिशील और प्रभावशाली भूमिका: पिछले पांच दशकों में विकसित होकर MSME भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

MSME के सामने प्रमुख चुनौतियाँ:

  1. वित्तीय चुनौतियाँ
    • वित्तीय संसाधनों की कमी
    • अपर्याप्त संपार्श्विक (Collateral)
    • नकदी प्रवाह  प्रबंधन की समस्या
    • तरलता संकट (Liquidity Crisis)
    • वित्तीय शिक्षा की कमी
  2. परिचालन और बाजार संबंधी चुनौतियाँ
    • नियामक अनुपालन
    • बुनियादी ढांचे की कमी
    • बड़ी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा
    • बाजार पहुंच की समस्या
    • पुरानी तकनीकों का उपयोग
    • कुशल श्रमिकों की कमी

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