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पर्माफ्रॉस्ट (Permafrost) क्या हैं?

संदर्भ:

पर्माफ्रॉस्ट (Permafrost): कश्मीर विश्वविद्यालय और IITबॉम्बे के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि जम्मूकश्मीर और लद्दाख का 64.8% हिस्सा विभिन्न रूपों में पर्माफ्रॉस्ट (स्थायी रूप से जमी हुई भूमि) से ढका हुआ है। यह अध्ययन “Remote Sensing Applications: Society and Environment” जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

पर्माफ्रॉस्ट / Permafrost के बारे में:

  • परिभाषा: यह मिट्टी, अवसाद या चट्टान की वह परत होती है जो लगातार कम से कम दो वर्षों तक जमी रहती है
  • मुख्य स्थान: यह ध्रुवीय और उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • उपस्थिति:
    • विश्व में: अलास्का, कनाडा, रूस, तिब्बत और हिमालय।
    • भारत में: कश्मीर हिमालय, लद्दाख, उत्तराखंड और सिक्किम के कुछ हिस्सों में व्यापक रूप से पाया जाता है।
  • संरचना: हजारों वर्षों से संग्रहीत जैविक कार्बन का विशाल भंडार।
  • महत्व:
    • जल प्रवाह को नियंत्रित करने में सहायक।
    • पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता बनाए रखता है।
    • कार्बन सिंक के रूप में कार्य करता है।

पर्माफ़्रॉस्ट (Permafrost) के क्षरण के कारक:

  1. वैश्विक तापवृद्धि (Global Warming)
    • जलवायु परिवर्तन के कारण सतह का तापमान बढ़ रहा है, जिससे पर्माफ्रॉस्ट तेजी से पिघल रहा है।
    • 2002-2023 के डेटा से पता चलता है कि पर्माफ्रॉस्ट पिघलने की दर लगातार बढ़ रही है।
  2. मानव गतिविधियाँ (Human Activities)
    • वनों की कटाई और भूमि उपयोग परिवर्तन: वनस्पति की कमी से पर्माफ्रॉस्ट को सीधी धूप लगती है, जिससे वह तेजी से पिघलता है।
    • पर्यटन और अवसंरचना विकास: निर्माण कार्य और पर्यटन से पर्माफ्रॉस्ट का क्षरण बढ़ता है।

पर्माफ्रॉस्ट पिघलने के दुष्प्रभाव:

  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: पर्माफ्रॉस्ट से कार्बन और मीथेन निकलकर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाता है।
  • पॉजिटिव फीडबैक लूप: अधिक पिघलाव → अधिक मीथेन उत्सर्जन → तेज़ ग्लोबल वार्मिंग → और अधिक पिघलाव।
  • प्रोग्लेशियल झीलों का बनना: J&K में 332 प्रोग्लेशियल झीलें, जिनमें से 65 GLOFs (झील विस्फोट बाढ़) के खतरे में।
  • नदी प्रवाह में बाधा: पर्माफ्रॉस्ट जल संग्रहण और नदी जल आपूर्ति को नियंत्रित करता है, जिसका पिघलाव भूजल पुनर्भरण और नदी प्रवाह को प्रभावित करता है।
  • भूस्खलन और ढलान विफलता: मिट्टी की स्थिरता घटने से भूस्खलन का खतरा बढ़ता है।
  • सड़क और बुनियादी ढांचे को नुकसान: सड़कें, घर, पनबिजली परियोजनाएं प्रभावित।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा: लद्दाख में सैन्य ठिकाने जोखिम में।

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