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संदर्भ:
मेटा ने हाल ही में अमेरिका में अपने स्वतंत्र तथ्य-जांच कार्यक्रम को समाप्त करने की घोषणा की है। इस फैसले से सोशल मीडिया पर फैल रही भ्रामक जानकारी से निपटने को लेकर आलोचना और बहस तेज हो गई है।
मुख्य बिंदु:
Meta और स्वतंत्र तथ्य-जांच कार्यक्रम:
- 2016 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद, Meta (Facebook) ने वैश्विक स्तर पर सामग्री मॉडरेटर्स नियुक्त किए और हानिकारक सामग्री को फ़िल्टर करने के लिए तकनीक विकसित की।
- Meta ने अंतर्राष्ट्रीय तथ्य–जाँच नेटवर्क (IFCN) और यूरोपीय तथ्य–जाँच मानक नेटवर्क (EFCSN) के साथ साझेदारी में स्वतंत्र तथ्य-जाँच कार्यक्रम शुरू किया।
- तथ्य-जाँचकर्ताओं ने गलत सूचना की पहचान कर उसके गंभीरता के आधार पर रेटिंग दी। Meta ने उसके आधार पर कार्रवाई की और उपयोगकर्ताओं को उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
Community Notes:
- Meta अब ‘Community Notes’ नामक एक X-प्लेटफ़ॉर्म आधारित सामग्री मॉडरेशन प्रणाली की ओर बढ़ रहा है।
- इस मॉडल में, गलत जानकारी या अवैध सामग्री के खिलाफ कार्रवाई के लिए केंद्रीय प्राधिकरण की बजाय, उपयोगकर्ता मिलकर अतिरिक्त संदर्भ जोड़ते हैं, जो ऐसी सामग्री के नीचे दिखाई देता है।
भारतीय तथ्य–जाँच मीडिया पर प्रभाव:
- Meta की यह घोषणा भारत के मीडिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है, जहां वर्तमान में ग्यारह संगठन थर्ड–पार्टी तथ्य–जाँच नेटवर्क (3PFCN) के तहत Meta के साथ साझेदारी करते हैं।
- यह निर्णय राजस्व और रोजगार में गिरावट का कारण बन सकता है।
- 3PFCN की शुरुआत दिसंबर 2016 में की गई थी।
भारत में तथ्य–जाँच इकाइयों (Fact Check Units) की स्थापना:
तथ्य–जाँच इकाइयों की स्थापना:
- 2023 में IT संशोधन नियम:
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEiTY) ने IT (मध्यस्थ दिशा–निर्देश और डिजिटल मीडिया नैतिकता संहिता) संशोधन नियम, 2023 को अधिसूचित किया।
- इस संशोधन ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में बदलाव किया, जिससे सरकार को Fact Checking Unit (FCU) स्थापित करने की अनुमति दी गई।
- “फेक न्यूज़” का विस्तार: IT नियम, 2021 के नियम 3(1)(b)(v) में “फेक न्यूज़” का दायरा बढ़ाकर इसमें “सरकारी व्यवसाय” को शामिल किया गया।
- FCU की भूमिका:
- FCU किसी भी सामग्री को फेक, झूठी, या भ्रामक होने पर चिह्नित करेगा, यदि वह सरकार के कार्यों से संबंधित है।
- ऑनलाइन इंटरमीडियरीज को ऐसी सामग्री हटानी होगी यदि वे IT अधिनियम, 2000 के तहत अपनी “सेफ हार्बर” सुरक्षा (कानूनी संरक्षण) बनाए रखना चाहती हैं
चिंताएँ:
- मौलिक अधिकारों का उल्लंघन:
- संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन:
- अनुच्छेद 14: कानून के समक्ष समानता।
- अनुच्छेद 19(1)(a): बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
- अनुच्छेद 19(1)(g): पेशे का अभ्यास करने का अधिकार।
- यह नियम अनुच्छेद 19(2) में निर्धारित सामान्य प्रतिबंधों से आगे जाता है, जो कि विनियमित विधायिका के माध्यम से अस्वीकार्य है।
- संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन:
प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध:
- FCU को “सत्य का एकमात्र निर्णायक” बनाने से यह प्रक्रिया प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को नजरअंदाज करती है।
- सरकार को सामग्री की प्रामाणिकता तय करने के लिए व्यापक और मनमाना अधिकार देना असंवैधानिक है।
अनुपातिकता परीक्षण में विफल:
- “सेफ हार्बर” खोने का खतरा: यह नियम मध्यस्थों और उपयोगकर्ताओं के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर “ठंडा प्रभाव“ डाल सकता है।
- श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ (2013): सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में सामग्री को ब्लॉक करने की सख्त प्रक्रियाएँ निर्धारित की गई थीं। यह संशोधन उन प्रक्रियाओं का उल्लंघन करता है।
FCU पर न्यायिक निर्णय:
भारतीय कानून की न्यायिक समीक्षा:
- सुप्रीम कोर्ट, मार्च 2024: सुप्रीम कोर्ट ने प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) की FCU को मीडिया सामग्री को गलत जानकारी के रूप में चिह्नित करने और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म की “सेफ हार्बर” सुरक्षा को खत्म करने की शक्ति देने वाले प्रावधान को निलंबित कर दिया।
- बॉम्बे हाई कोर्ट, सितंबर 2024: बॉम्बे हाई कोर्ट ने IT नियम, 2021 के संशोधित प्रावधान को असंवैधानिक ठहराया।
कोर्ट ने कहा कि यह प्रावधान सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर “फेक न्यूज़” की पहचान करने के लिए सरकार को अत्यधिक शक्ति देता है, जो अनुचित है।