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हाल ही में भारत सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) में राम सिंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार 3 तीन नए बाहरी सदस्यों की नियुक्ति की हैं।
मौद्रिक नीति समिति (MPC) के बारे में
स्थापना और उद्देश्य:
- मौद्रिक नीति समिति (MPC) की स्थापना एक नई मुद्रास्फीति-लक्ष्यित मौद्रिक नीति रूपरेखा के संचालन के लिए की गई थी, जो कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बीच एक समझौता ज्ञापन के बाद हुई।
- यह समिति भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में वित्त अधिनियम, 2016 द्वारा किए गए संशोधन के तहत स्थापित की गई है, जो कि MPC के लिए वैधानिक और संस्थागत ढांचा प्रदान करती है।
संरचना:
- MPC में कुल छह सदस्य होते हैं:
- आरबीआई गवर्नर (अध्यक्ष)
- मौद्रिक नीति के प्रभारी आरबीआई डिप्टी गवर्नर
- आरबीआई बोर्ड द्वारा नामित एक अधिकारी
- भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन अन्य सदस्य
- बाहरी सदस्यों का कार्यकाल चार वर्ष होता है।
- बैठक के लिए कोरम चार सदस्यों का होगा, जिसमें से कम से कम एक सदस्य आरबीआई गवर्नर होगा। यदि गवर्नर उपस्थित नहीं होते हैं, तो डिप्टी गवर्नर को कोरम में शामिल किया जाएगा।
कार्य और निर्णय प्रक्रिया:
- MPC का मुख्य कार्य मुद्रास्फीति को निर्दिष्ट लक्ष्य स्तर के भीतर रखने के लिए आवश्यक रेपो दर तय करना है।
- MPC की निर्णय प्रक्रिया बहुमत के आधार पर होती है। यदि मतों में समानता होती है, तो आरबीआई गवर्नर के पास दूसरा या निर्णायक मत होता है।
- MPC का निर्णय आरबीआई पर बाध्यकारी होता है।
सहायता और समर्थन:
- आरबीआई का मौद्रिक नीति विभाग (MPD) MPC को मौद्रिक नीति तैयार करने में सहायता करता है।
यह समिति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, खासकर मौद्रिक नीति के माध्यम से मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) :
केंद्रीय बोर्ड:
मुख्य कार्य:
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