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एमएसडीसी (MSDC) की 20वीं बैठक में समुद्री क्षेत्र की नई चुनौतियों पर विशेष ध्यान दिया गया। संकटग्रस्त जहाजों के लिए शरण स्थल (पीओआर) की स्थापना और बंदरगाहों की सुरक्षा में सुधार के लिए रेडियोधर्मी पहचान उपकरण (आरडीई) का विकास, प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल रहे। इसके साथ ही, नाविकों को प्रमुख आवश्यक कर्मचारियों के रूप में मान्यता देने और उनकी कार्य परिस्थितियों में सुधार की दिशा में कदम उठाए गए।
एमएसडीसी (MSDC) में शुरू की गई प्रमुख पहलें:
- भारतीय समुद्री केंद्र (आईएमसी): एक नीति थिंक टैंक : इस बैठक में भारतीय समुद्री केंद्र की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य भारत के समुद्री क्षेत्र में नवाचार, ज्ञान साझा करने और रणनीतिक योजना को बढ़ावा देना है। यह केंद्र विभिन्न समुद्री हितधारकों को एक साथ लाकर देश के समुद्री विकास को गति देगा।
- भारतीय अंतर्राष्ट्रीय समुद्री विवाद समाधान केंद्र (आईआईएमडीआरसी) :“भारत में समाधान” पहल के तहत भारतीय अंतर्राष्ट्रीय समुद्री विवाद समाधान केंद्र की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक समुद्री मध्यस्थता केंद्र के रूप में स्थापित करना है। यह केंद्र समुद्री लेन-देन की बहु-मॉडल, बहु-अनुबंध, और बहु-क्षेत्राधिकार चुनौतियों का समाधान करेगा।
- राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली पर राष्ट्रीय बंदरगाह सुरक्षा समिति (एनएसपीसी) : राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली प्लेटफार्म पर एनएसपीसी एप्लीकेशन लॉन्च किया गया। इसका उद्देश्य समुद्री क्षेत्र में व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल बनाना, नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना और परिचालन दक्षता में सुधार करना है।
- राज्य-स्तरीय नवीन पहलों का प्रदर्शन:
- केरल की ड्रेजिंग मुद्रीकरण तकनीक : केरल ने ड्रेजिंग के लिए अपनी मुद्रीकरण तकनीक का प्रदर्शन किया, जो राज्य के राजस्व को बढ़ाने में मदद करेगी।
- गुजरात की बंदरगाह-आधारित शहरी विकास परियोजनाएं : गुजरात ने बंदरगाह-संचालित शहरी विकास परियोजनाओं की सफल केस स्टडी प्रस्तुत की, जो राज्य के शहरी विकास में बंदरगाहों की भूमिका को दर्शाती है।
- भारत के सबसे बड़े ड्रेजर का निर्माण : कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में रॉयल आईएचसी हॉलैंड के सहयोग से भारत का सबसे बड़ा ड्रेजर बनने का काम शुरू हुआ। यह परियोजना देश के समुद्री बुनियादी ढांचे को और मजबूत बनाएगी।
- मेगा शिपबिल्डिंग पार्क योजना : बैठक में मेगा शिपबिल्डिंग पार्क योजना पर चर्चा की गई, जिसका उद्देश्य विभिन्न राज्यों में जहाज निर्माण क्षमताओं को एकीकृत कर दक्षता और नवाचार को बढ़ावा देना है।
- राज्य रैंकिंग फ्रेमवर्क: स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और टिकाऊ प्रथाएं – तटीय राज्यों के बीच राज्य रैंकिंग फ्रेमवर्क पर चर्चा की गई, जो स्वस्थ प्रतिस्पर्धा, प्रदर्शन वृद्धि और टिकाऊ प्रथाओं को प्रोत्साहित करेगा। इससे राज्यों को बेहतर समुद्री विकास के लिए प्रेरित किया जाएगा।
समुद्री राज्य विकास परिषद (MSDC) के बारे में:
- समुद्री राज्य विकास परिषद (MSDC) एक उच्च स्तरीय सलाहकार निकाय है जो समुद्री क्षेत्र के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है।
- MSDC की स्थापना मई 1997 में जहाजरानी मंत्री की अध्यक्षता में की गई थी। इसमें समुद्री राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के बंदरगाहों के प्रभारी मंत्री सदस्य के रूप में शामिल हैं।
- इसका मुख्य उद्देश्य प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों का समन्वित विकास सुनिश्चित करना है। एमएसडीसी (MSDC) राज्य सरकारों के परामर्श से मौजूदा और नए छोटे बंदरगाहों के भविष्य के विकास का मूल्यांकन करता है, जिसमें सीधे या कैप्टिव उपयोगकर्ताओं और निजी भागीदारी के माध्यम से किया जाता है।
- इसके अतिरिक्त, MSDC छोटे बंदरगाहों, कैप्टिव बंदरगाहों और निजी बंदरगाहों के विकास की निगरानी करता है, ताकि प्रमुख बंदरगाहों के साथ उनका समन्वित विकास सुनिश्चित किया जा सके।
- यह सड़क, रेल, और अंतर्देशीय जलमार्ग (आईडब्ल्यूटी) जैसी अन्य बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं का भी आकलन करता है और संबंधित मंत्रियों को उचित सिफारिशें प्रदान करता है।
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