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संदर्भ:
केंद्र सरकार ने दो सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) और इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (IRFC) को नवरत्न का दर्जा प्रदान किया है।
नवरत्न का दर्जा (Navratna Status)
- परिभाषा:
- नवरत्न एक प्रतिष्ठित दर्जा है, जो उच्च प्रदर्शन करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSEs) को दिया जाता है।
- इससे उन्हें अधिक निवेश स्वायत्तता (Investment Autonomy) और परिचालन लचीलापन (Operational Flexibility) मिलता है।
- कौन प्रदान करता है?
- वित्त मंत्रालय के अंतर्गत सार्वजनिक उद्यम विभाग (DPE) यह दर्जा प्रदान करता है।
- नवरत्न दर्जा प्राप्त करने की पात्रता:
- मिनीरत्न-I (Miniratna-I) CPSE होना चाहिए औरसकारात्मक नेट वर्थ होनी चाहिए।
- पिछले पाँच वर्षों में से कम से कम तीन वर्षों तक “उत्कृष्ट” (Excellent) या “बहुत अच्छा” (Very Good) MoU रेटिंगप्राप्त की हो।
- मुख्य वित्तीय संकेतकों (Financial Indicators) जैसे कि शुद्ध लाभ (Net Profit), नेट वर्थ (Net Worth), और कर्मचारियों की लागत (Manpower Cost) में 60+ अंकप्राप्त करने चाहिए।
- कम से कम चार स्वतंत्र निदेशक (Independent Directors) बोर्ड में होने चाहिए।
भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC):
- परिचय: IRCTC (Indian Railway Catering and Tourism Corporation Ltd.) भारतीय रेलवे के तहत एक नवरत्न सूचीबद्ध कंपनी है।
- स्थापना: 27 सितंबर 1999।
- निगमित मंत्रालय: रेल मंत्रालय, भारत सरकार।
भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC):
- परिचय: IRFC (Indian Railway Finance Corporation) भारतीय रेलवे के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने वाली विशेष इकाई है।
- स्थापना: 12 दिसंबर 1986।
- दायित्व: घरेलू और विदेशी पूंजी बाजारों से धन जुटाना।
- स्थिति: नवरत्न सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम, रेल मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में।
नवरत्न का दर्जा मिलने के लाभ:
- वित्तीय स्वायत्तता में वृद्धि:सरकार की मंजूरी के बिना ₹1,000 करोड़ या कुल निवल मूल्य का 15% तक निवेश कर सकते हैं।
- संचालन में स्वतंत्रता:घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रणनीतिक गठजोड़, संयुक्त उद्यम और सहायक कंपनियां स्थापित करने की अधिक स्वतंत्रता मिलती है।
- बाजार में विश्वसनीयता:कंपनी की प्रतिष्ठा बढ़ती है, जिससे निवेशकों, भागीदारों और वित्तीय संस्थानों के लिए आकर्षक बनती है।
- रणनीतिक निर्णय लेने की क्षमता:पूंजीगत व्यय, विलय-अधिग्रहण और मानव संसाधन प्रबंधन में अधिक अधिकार मिलता है।