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डिजिटल स्वास्थ्य और गैर-संचारी रोगों से मौतों की रोकथाम

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गैर-संचारी रोगों :

हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) ने एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि डिजिटल स्वास्थ्य हस्तक्षेपों, जैसे टेलीमेडिसिन, मोबाइल मैसेजिंग और चैटबॉट्स में प्रति वर्ष प्रति मरीज़ केवल US$0.24 का अतिरिक्त निवेश करने से अगले दशक में 2 मिलियन से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकती है। इस निवेश से लगभग 7 मिलियन गंभीर घटनाओं और अस्पताल में भर्ती होने से भी बचा जा सकता है, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों पर दबाव कम होगा।

रिपोर्ट का विमोचन

  • रिपोर्ट “गैर-संचारी रोगों के लिए डिजिटल होना: कार्रवाई का मामला” शीर्षक से है।
  • इसका विमोचन 79 वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान गाम्बिया सरकार द्वारा ITU और WHO के सहयोग से आयोजित एक कार्यक्रम में किया गया।

गैर-संचारी रोग (NCDs):

गैर-संचारी रोग, जैसे हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह और पुरानी श्वसन संबंधी बीमारियाँ, सालाना 74% से अधिक वैश्विक मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। इन बीमारियों से निपटने के लिए डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों का एकीकरण आवश्यक है।

जोखिम कारक:

  1. तंबाकू का सेवन
  2. अस्वास्थ्यकर आहार
  3. शराब का हानिकारक उपयोग
  4. शारीरिक निष्क्रियता

इन जोखिम कारकों को समझने और स्वस्थ आदतें विकसित करने में डिजिटल उपकरण मदद कर सकते हैं।

डिजिटल स्वास्थ्य के हस्तक्षेप:

  • ऑनलाइन कार्यक्रम
  • मोबाइल एप्लिकेशन
  • वर्चुअल रियलिटी
  • टेलीहेल्थ और टेलीमेडिसिन
  • पहनने योग्य उपकरण
  • ऑनलाइन परामर्श
  • एआई-आधारित, बड़े डेटा-सक्षम एप्लिकेशन

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

  • जीवन सुरक्षा: अगले दशक में गैर-संचारी रोगों से 2 मिलियन से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकती है।
  • अस्पताल में भर्ती में कमी: लगभग 7 मिलियन तीव्र घटनाओं और अस्पताल में भर्ती होने की घटनाओं को टाला जा सकता है।
  • आर्थिक लाभ: इससे 199 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त आर्थिक लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • उपयोगी निवेश: प्रत्येक 1 अमेरिकी डॉलर के निवेश पर 19 अमेरिकी डॉलर का रिटर्न मिलने की संभावना है।
  • दीर्घकालिक निवेश: DHI के लाभों को प्राप्त करने के लिए, सरकारों को औसतन 10 वर्षों में प्रति मरीज 6 यू.एस. डॉलर का निवेश करना होगा।

उदाहरण:

  • सेनेगल: “बी हेल्थी, बी मोबाइल” कार्यक्रम ने मोबाइल तकनीक का उपयोग कर मधुमेह की रोकथाम में मदद की है।
  • जाम्बिया: टेलीमेडिसिन और मोबाइल तकनीक का उपयोग कर एनसीडी की रोकथाम को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • किर्गिस्तान: डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का विकास किया गया है, जिससे COVID-19 के दौरान महत्वपूर्ण लाभ हुए हैं।

भारत के डिजिटल स्वास्थ्य मिशन:

  1. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन: आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (ABHA) संख्या के साथ एक राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना करना।
  2. ई-संजीवनी: प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में विश्व का सबसे बड़ा प्रलेखित टेलीमेडिसिन कार्यान्वयन।
  3. ई-हॉस्पिटल: अस्पतालों के आंतरिक कार्यप्रवाह और प्रक्रियाओं के लिए अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली (HMIS) का उपयोग।
  4. ई-रक्तकोष: केंद्रीकृत रक्त बैंक प्रबंधन प्रणाली को स्थापित करना।

निष्कर्ष: WHO और ITU की यह रिपोर्ट डिजिटल स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के महत्व और उनकी प्रभावशीलता को दर्शाती है, साथ ही यह स्वास्थ्य प्रणालियों पर बढ़ते बोझ को कम करने के लिए आवश्यक रणनीतियों की पहचान करती है।

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