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संदर्भ:
मोटापा: द लैंसेट ने बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के बजाय बेहतर मोटापा मापन विधियों को अपनाने पर जोर दिया है। यह सटीक आकलन की आवश्यकता को रेखांकित करता है ताकि बढ़ती मोटापा दरों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
मोटापे के निदान में प्रस्तावित प्रमुख सुधार:
पुरानी वर्गीकरण प्रणाली:
- पारंपरिक दृष्टिकोण (पुरानी प्रणाली):
- केवल बॉडी मास इंडेक्स (BMI) पर आधारित।
- BMI 30 से ऊपर को मोटापा माना जाता था।
- यह प्रणाली सरल लेकिन समस्याग्रस्त थी।
नई वर्गीकरण प्रणाली:
- द्वि–स्तरीय प्रणाली: नई प्रणाली में मोटापे को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
- क्लिनिकल मोटापा।
- प्री–क्लिनिकल मोटापा।
- क्लिनिकल मोटापा: केवल शारीरिक माप नहीं, बल्कि स्वास्थ्य पर प्रभावों को भी ध्यान में रखता है, जैसे:
- हृदय रोग।
- मधुमेह।
- जोड़ों की समस्याएँ।
- दैनिक गतिविधियों पर अतिरिक्त वजन के प्रभाव का आकलन करता है।
- प्री–क्लिनिकल मोटापा:
- ऐसे व्यक्तियों की पहचान करता है, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से पहले जोखिम में हैं।
- प्रारंभिक हस्तक्षेप की अनुमति देता है और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देता है।
मोटापा: एक परिचय
मोटापा क्या है?
- मोटापा अत्यधिक शरीर में वसा (adipose tissue) के कारण होने वाली स्थिति है जो स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
- यह एक दीर्घकालिक (chronic) स्वास्थ्य समस्या है जो समय के साथ बढ़ती है।
मोटापे के कारण:
- ऊर्जा असंतुलन: दैनिक ऊर्जा सेवन और खर्च के बीच असंतुलन, जिसके कारण अत्यधिक वजन बढ़ता है।
- अनुवांशिक और सामाजिक कारक:
- मोटापा बहुक्रियात्मक रोग है, जिसमें आनुवंशिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कारण शामिल होते हैं।
- अनुवांशिक प्रभाव: अध्ययन बताते हैं कि मोटापा अत्यधिक वंशानुगत होता है और कई जीन वजन बढ़ाने और वसा संचय से जुड़े हैं।
- अन्य कारण:
- शारीरिक गतिविधि में कमी।
- अनिद्रा और अंतःस्रावी (endocrine) विकार।
- उच्च-शर्करा वाले खाद्य पदार्थ और कार्बोहाइड्रेट का अत्यधिक सेवन।
- कुछ दवाइयाँ और धीमी ऊर्जा चयापचय।
स्वास्थ्य प्रभाव:
- बीमारियाँ:
- हृदय रोग और डिसलिपिडेमिया।
- इंसुलिन प्रतिरोध और मधुमेह।
- स्ट्रोक, पित्ताशय की पथरी, और फैटी लिवर।
- स्लीप एपनिया, हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम, और कैंसर।
- मृत्यु दर: मोटापा धूम्रपान के बाद मौत के रोकथाम योग्य कारणों में दूसरे स्थान पर है।