Mains GS III – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी,आईटी |
चर्चा में क्यों?
लेबनान में हाल ही में हुए पेजर (Pager) विस्फोटों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बना दिया है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, इन विस्फोटों में कई लोगों की जान चली गई और बहुत से लोग घायल हुए हैं। गाजा युद्ध के एक साल बाद की इस स्थिति को संयुक्त राष्ट्र ने “चिंताजनक वृद्धि” के रूप में देखा है। पेजर उपकरणों का उपयोग करके किए गए इस हमले से वैश्विक स्तर पर पेजर उपकरण चर्चा में बने हुए हैं।
इस लेख के माध्यम से पेजर का विस्तृत विवरण पढ़ते हैं।
पेजर क्या है (What is Pager)?
- पेजर एक वायरलेस संचार उपकरण है जिसका उपयोग मुख्य रूप से संदेश प्राप्त करने और भेजने के लिए किया जाता है।
- इसे “बीपर” भी कहा जाता है, क्योंकि जब इसे कोई संदेश प्राप्त होता है, तो यह एक बीप साउंड (ध्वनि) उत्पन्न करता है, जिससे उपयोगकर्ता को सूचित किया जाता है कि कोई संदेश आया है।
- पेजर का उपयोग 20वीं शताब्दी में काफी व्यापक था, विशेष रूप से उन पेशेवर क्षेत्रों में जहां त्वरित और विश्वसनीय संचार की आवश्यकता होती थी, जैसे कि चिकित्सा सेवाएँ, आपातकालीन सेवाएँ, और व्यावसायिक अधिकारी।
पेजर का इतिहास और विकास क्रम:
पेजर का आविष्कार 1921 में हुआ। पेजर का आविष्कार ए एल ग्रॉस ने किया था। उस समय पुलिस विभागों ने इसे एक साधारण अलर्ट सिस्टम के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया। 1950 के दशक में इसे सार्वजनिक रूप से पेश किया गया और 1980-90 के दशक में यह अपने चरम पर पहुंच गया।
- प्रारंभिक विकास (1940 – 1950):
- पेजर की शुरुआत 1949 में हुई जब इसका पहला पेटेंट अल्फ्रेड जे. ग्रॉस द्वारा कराया गया। यह तकनीक वायरलेस संचार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम थी। 1950 में, पेजर सेवाओं का व्यावसायिक उपयोग न्यूयॉर्क सिटी में शुरू हुआ, जहां चिकित्सकों के लिए इसे पेश किया गया था।
- ट्रांजिस्टरकृत पेजर (1960):
- 1960 में मोटोरोला के जॉन फ्रांसिस मिशेल ने वॉकी-टॉकी और ऑटोमोबाइल रेडियो तकनीकों को मिलाकर पहला ट्रांजिस्टरकृत पेजर बनाया। इस तकनीक ने पेजर को और भी छोटा और प्रभावी बना दिया, जिससे इसका उपयोग बढ़ता चला गया।
- 1962 में बेल सिस्टम ने अपनी “बेलबॉय” रेडियो पेजिंग प्रणाली प्रस्तुत की। यह पहली व्यावसायिक पेजिंग प्रणाली थी, जो व्यक्तिगत उपयोग के लिए तैयार की गई थी। इस प्रणाली में ट्रांजिस्टर तकनीक का उपयोग किया गया था, जिससे पेजर को छोटे आकार में बनाया गया और इसे आसानी से जेब या पर्स में रखा जा सकता था।
- 1980 – Pager का विस्तार:
- 1980 के दशक के मध्य में टोन और वॉइस रेडियो पेजिंग आपातकालीन सेवाओं और पेशेवरों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गई। इस समय पेजर का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाने लगा क्योंकि यह मोबाइल फोन के लिए एक सस्ता और अधिक विश्वसनीय विकल्प था। पेजर उस समय के एक प्रभावी और तेजी से संदेश भेजने का साधन बन गया था।
पेजर की कार्यप्रणाली (Pager System Working):
पेजर की कार्यप्रणाली काफी सरल और प्रभावी होती है।
- यह एक छोटे से रेडियो रिसीवर के रूप में काम करता है, जो किसी विशिष्ट आवृत्ति पर संदेश प्राप्त करता है। जब किसी व्यक्ति को संपर्क करना होता है, तो संदेश प्रसारित करने वाली प्रणाली (पेजिंग सिस्टम) एक विशेष संकेत भेजती है जो पेजर को सक्रिय करता है।
- यह संकेत एक टॉवर या उपग्रह के माध्यम से प्रसारित होता है, जिसे पेजर डिवाइस रिसीव करता है।
- पेजर प्राप्त संकेत को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रोसेस करता है और एक श्रव्य, दृश्य या कंपन संकेत के माध्यम से उपयोगकर्ता को सूचित करता है।
- कुछ पेजर में टेक्स्ट संदेश या वॉयस संदेश भी प्रदर्शित हो सकते हैं। इस प्रणाली में प्रेषक और प्राप्तकर्ता के बीच सीधा संपर्क नहीं होता, बल्कि एक केंद्रीकृत पेजिंग सिस्टम के जरिए यह प्रक्रिया पूरी होती है, जिससे संदेश त्वरित और विश्वसनीय रूप से पहुँचाया जाता है।
- इसकी कार्यप्रणाली में पेजिंग सिस्टम शामिल होता है, जिसमें कई ट्रांसमीटर और मोबाइल Pager होते हैं। पेजर को एक निश्चित आरएफ चैनल पर संदेश प्राप्त होता है, जो विभिन्न प्रोटोकॉल जैसे POCSAG, FLEX, और GOLAY का उपयोग करता है। आधुनिक पेजर सिस्टम सिमुलकास्ट तकनीक का उपयोग करते हैं, जिसमें कई ट्रांसमीटर एक साथ एक ही सिग्नल प्रसारित करते हैं, जिससे व्यापक कवरेज और सटीकता मिलती है।
पेजर के प्रकार
पेजर की कार्यक्षमता और जटिलता के आधार पर छः मुख्य श्रेणियों में विभाजित किए जाते हैं:
- बीपर्स पेजर: ये सबसे सरल और सस्ते पेजर होते हैं, जो बीपिंग की आवाज़ या अन्य ऑडियो सिग्नल, लाइट जलाने या कंपन का उपयोग करते हैं। ये आमतौर पर रेस्टोरेंट्स में इस्तेमाल होते हैं।
- वॉयस/टोन पेजर: ये पेजर अलर्ट के रूप में रिकॉर्ड किए गए वॉयस संदेशों को सुनने की सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे उपयोगकर्ता को ध्वनि संदेश प्राप्त होते हैं।
- संख्यात्मक पेजर: इसमें संख्यात्मक LCD डिस्प्ले होता है, जो 10 अंकों तक की संख्यात्मक जानकारी दिखा सकता है। यह डिस्प्ले आम तौर पर कॉल करने वाले नंबर या संख्यात्मक कोड प्रदर्शित करता है।
- अल्फ़ान्यूमेरिक पेजर: इसमें अधिक उन्नत LCD होता है, जो टेक्स्ट और आइकन प्रदर्शित कर सकता है। यह पेजर ईमेल या पेजिंग सिस्टम से सीधे कनेक्ट होकर टेक्स्ट संदेश प्राप्त कर सकता है।
- प्रतिक्रिया पेजर: ये अल्फ़ान्यूमेरिक पेजर होते हैं जिनमें बिल्ट-इन ट्रांसमीटर होता है, जो संदेशों को स्वीकार और पुष्टि कर सकता है। ये उपयोगकर्ताओं को संदेशों का उत्तर देने और पूर्व-प्रोग्राम किए गए संदेशों को भेजने की सुविधा देते हैं।
- टू वे पेजर: इनमें बिल्ट-इन QWERTY कीबोर्ड होता है, जिससे उपयोगकर्ता को संदेशों का उत्तर देने, नया संदेश बनाने और संदेशों को फ्री-फॉर्म टेक्स्ट में भेजने की अनुमति मिलती है।
पेजर के उपयोग में कमी होने के कारण (पेजर उपकरणों में कमियां)
पेजर तकनीक ने अपनी उपयोगिता की अवधि के दौरान विभिन्न सीमाओं और समस्याओं का सामना किया। उनके गिरावट या बंद होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- मोबाइल फोन की उपलब्धता: मोबाइल फोन की व्यापकता और उनकी बढ़ती क्षमताओं ने पेजरों को अप्रचलित बना दिया। स्मार्टफोन और उनकी एप्लिकेशन क्षमताओं ने पेजर के लिए आवश्यक कार्यों को बहुत ही आसान और प्रभावी तरीके से पूरा किया।
- संवाद की सीमित क्षमता: पेजर की संवाद क्षमता सीमित होती है। वे सामान्यत: केवल अलर्ट या संक्षिप्त संदेश भेज सकते हैं, जबकि आधुनिक स्मार्टफोन पूरी तरह से संवाद करने की क्षमताएं प्रदान करते हैं, जैसे ईमेल, चैट और वीडियो कॉल्स।
- समर्थन की कमी: पेजर सेवा प्रदाताओं की संख्या में कमी और तकनीकी समर्थन की कमी ने भी पेजर के उपयोग को प्रभावित किया। कई कंपनियों ने पेजर सेवाओं को बंद कर दिया, जिससे पेजर की उपयोगिता और पहुंच में कमी आई।
- सार्वजनिक प्रसारण: पेजर नेटवर्क आमतौर पर ब्रॉडकास्ट बेस्ड होते हैं, जिसका अर्थ है कि एक ही संदेश कई रिसीवर्स पर भेजा जाता है। यदि नेटवर्क की सुरक्षा मजबूत नहीं है, तो कोई भी व्यक्ति, जो नेटवर्क के दायरे में हो, संदेश को इंटरसेप्ट कर सकता है। जिससे संवेदनशील डेटा के लीक होने की संभावना बढ़ जाती है। जिस कारण अब इसका प्रचलन कम हो गया है।
कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में पेजर का उपयोग करने के कारण (Pager उपकरणों के लाभ)
- सुरक्षा और गोपनीयता: पेजर एक सुरक्षित संचार माध्यम होता है, विशेषकर उन स्थितियों में जहां गोपनीयता और सुरक्षा महत्वपूर्ण होती है। पेजर का ट्रेस करना मोबाइल फोन की तुलना में कठिन होता है, क्योंकि इसमें न तो GPS होता है और न ही IP एड्रेस। इसके अलावा, पेजर का नंबर बदला जा सकता है, जिससे इसका पता लगाना और भी मुश्किल हो जाता है।
- दीर्घकालिक बैटरी जीवन: पेजर की बैटरी एक बार चार्ज करने पर सप्ताहों तक चल सकती है, जबकि स्मार्टफोन को आमतौर पर हर एक या दो दिन में चार्ज करना पड़ता है। इसलिए, Pager का उपयोग उन स्थानों पर किया जाता है जहां चार्जिंग की सुविधा सीमित होती है, जैसे दूरदराज के इलाके या आपातकालीन स्थितियां।
- आवश्यकता की अनुकूलता: कुछ विशेष पेशेवर और चिकित्सा सेवाओं में पेजर का उपयोग तब किया जाता है जब त्वरित और विश्वसनीय संचार की आवश्यकता होती है। अस्पतालों में, डॉक्टर और नर्सों के बीच त्वरित सूचना आदान-प्रदान के लिए पेजर का उपयोग जारी है, क्योंकि ये वातावरण में मोबाइल नेटवर्क की उपलब्धता पर निर्भर नहीं होते।
- प्रवेश में आसानी: पेजर कुछ विशेष परिस्थितियों में बेहतर कार्य कर सकते हैं, जैसे भूमिगत या सुरंगों में, जहां मोबाइल सिग्नल कमजोर हो सकता है। इन क्षेत्रों में, पेजर की सिग्नल रेंज और उसके उच्च अवरोधन प्रतिरोध इसे एक उपयोगी उपकरण बनाते हैं।
इन वजहों से, पेजर का उपयोग वर्तमान समय में हिज़्बुल्लाह जैसे संगठनों द्वारा किया जा रहा है जो सुरक्षित और विश्वसनीय संचार की आवश्यकता महसूस करते हैं। Pager का इस तरह का अनुचित उपयोग अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का एक बड़ा विषय है।
UPSC पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न: हाल ही में समाचारों में रहे ‘LiFi’ के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं? (2016) 1. यह उच्च गति डेटा संचरण के लिए प्रकाश को माध्यम के रूप में उपयोग करता है। 2. यह एक वायरलेस तकनीक है और ‘वाईफाई’ से कई गुना तेज है। नीचे दिए गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनें: (a) केवल 1 (b) केवल 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1 और न ही 2 |
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