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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच पन्नियार नदी के पानी के बंटवारे को लेकर चल रहे विवाद पर बातचीत करने वाली समिति की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। यह मामला न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और एस.वी.एन. की पीठ के सामने था।
पन्नियार नदी जल विवाद: मुख्य बिंदु
- सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: जस्टिस हृषिकेश रॉय और एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने निर्देश दिया कि तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच जल विवाद पर हुई बातचीत विफल होने की जानकारी के बाद इस मामले को सुलझाने के लिए बनाई गई समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
- जल शक्ति मंत्रालय की पहल: जल शक्ति मंत्रालय ने नदी बेसिन में जल की उपलब्धता का आकलन करने, राज्यों के बीच जल साझा करने के समझौतों की समीक्षा करने और कर्नाटक, तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश सहित सभी राज्यों से बातचीत के लिए एक पैनल बनाया।
- तमिलनाडु की आपत्ति:
- तमिलनाडु ने कर्नाटक के कोलार जिले में मार्कंडेय नदी (जो दक्षिण पेन्नार की सहायक नदी है) पर 5 टीएमसीएफटी जल संग्रहण परियोजना का विरोध किया।
- यह परियोजना लगभग 80% पूरी हो चुकी है और इसका उद्देश्य मालूर, बांगारपेट, कोलार और आसपास के 48 गांवों को जल आपूर्ति करना है।
- तमिलनाडु का आरोप है कि यह बांध प्राकृतिक जल प्रवाह को बाधित करेगा, जिससे पन्नियार नदी के निचले इलाकों में पानी की कमी होगी।
- अदालत में तमिलनाडु की अपील: तमिलनाडु ने नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन देकर कर्नाटक को मार्कंडेय नदी पर बांध बनाने से रोकने का निर्देश देने की मांग की।
- जल विवाद समाधान के लिए ट्रिब्यूनल की मांग:
- तमिलनाडु ने केंद्र से जल विवाद को सुलझाने के लिए एक ट्रिब्यूनल (न्यायाधिकरण) गठित करने की मांग की।
- केंद्र ने पहले सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह ट्रिब्यूनल गठित करने के लिए तैयार है।
- हालांकि, कर्नाटक ने केंद्र से नई वार्ता समिति बनाने का अनुरोध किया।
पेन्नार नदी जल विवाद पर वर्तमान स्थिति:
- बातचीत का प्रयास (2023 के बाद): मई 2023 में कर्नाटक में नई सरकार बनने के बाद, कर्नाटक ने पहल करते हुए विवाद को बातचीत के माध्यम से सुलझाने की कोशिश की। इसके बाद दोनों राज्य बातचीत के रास्ते पर आए।
- सुप्रीम कोर्ट का आदेश (2024): जनवरी 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह अंतर–राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 की धारा 4 के तहत एक नई वार्ता समिति का गठन करे। इस समिति का उद्देश्य दोनों राज्यों के बीच विवाद सुलझाने के लिए गंभीर प्रयास करना है।
- तमिलनाडु का सुप्रीम कोर्ट में मामला (2018):
- तमिलनाडु ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
- तमिलनाडु का कहना था कि कर्नाटक द्वारा नदी पर चेक डैम (छोटे बांध) और अन्य संरचनाओं का निर्माण राज्य के लोगों के लिए नुकसानदायक है।
- तमिलनाडु ने तर्क दिया कि अंतर-राज्यीय नदी का बहता पानी राष्ट्रीय संपत्ति है और किसी एक राज्य का इस पर एकाधिकार नहीं हो सकता।
- 1892 का समझौता:
- तमिलनाडु ने कहा कि 1892 का समझौता अभी भी वैध और बाध्यकारी है।
- उनके अनुसार, एक नदी में केवल मुख्य धारा ही नहीं बल्कि उसकी सहायक नदियां और जलधाराएं भी शामिल होती हैं, जो सीधे या परोक्ष रूप से नदी में जल का योगदान करती हैं।