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GST और सीमा शुल्क अधिनियम में गिरफ्तारी की शक्ति

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संदर्भ:

GST और सीमा शुल्क अधिनियम में गिरफ्तारी की शक्ति: सुप्रीम कोर्ट ने राधिका अग्रवाल बनाम भारत संघ मामले में फैसला सुनाया कि कस्टम्स एक्ट, 1962 और CGST एक्ट, 2017 के तहत गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती की शक्तियों का उपयोग करने वाले अधिकारियों को CrPC, 1973 के तहत पुलिस पर लागू प्रतिबंधों का पालन करना होगा। यह निर्णय इन प्रावधानों के दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है।

मामले की पृष्ठभूमि (Background of the Case)

यह मामला कई याचिकाओं से उत्पन्न हुआ, जिसमें कस्टम्स अधिनियम, 1962 (Customs Act, 1962) और केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 (CGST Act) के तहत कस्टम्स और GST अधिकारियों को दी गई गिरफ्तारी शक्तियों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।

  1. सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के तहत (Under Customs Act, 1962):

    • धारा 104 (Section 104):
      • कुछ अपराध (जैसे 50 लाख रुपये से अधिक कस्टम ड्यूटी की चोरी करना या प्रतिबंधित वस्तुओं का लेन-देन करना) को संज्ञेय अपराध (Cognizable Offenses) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिनके लिए वारंट के बिना गिरफ्तारी की जा सकती है।
      • अन्य अपराधों के लिए गिरफ्तारी के लिए मजिस्ट्रेट के वारंट की आवश्यकता होती है।
  2. केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के तहत (Under CGST Act, 2017):
    • धारा 132 (Section 132): अपराधों को उनकी गंभीरता के आधार पर संज्ञेय (Cognizable) या असंज्ञेय (Non-Cognizable) में वर्गीकृत किया गया है।
    • धारा 69 (Section 69): यह धारा अधिकृत अधिकारियों को गिरफ्तारी की शक्ति प्रदान करती है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय (Supreme Court’s Ruling):

  • संविधानिक वैधता को बरकरार रखना (Upholding Constitutional Validity): सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी शक्तियों की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा, लेकिन इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए महत्वपूर्ण शर्तें भी लगाईं।

प्रक्रियात्मक सुरक्षा (Procedural Safeguards):

  1. गिरफ्तारी के कारण लिखित रूप में दर्ज करना: अधिकारियों को यह लिखित में दर्ज करना होगा कि उनके पास क्या उचित सामग्री है जिसके आधार पर उन्हें यह विश्वास हुआ कि आरोपी व्यक्ति दोषी है।
  2. गिरफ्तारी के कारण बताना: आरोपी को तुरंत यह बताना आवश्यक होगा कि उसे किन विशिष्ट आधारों पर गिरफ्तार किया गया है, जिसमें अधिकारी के दोषी होने के विश्वास के कारण भी शामिल हैं।
  3. आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) के नियमों का पालन: कस्टम्स और GST अधिकारियों को पुलिस अधिकारियों के समान प्रक्रिया मानकों का पालन करना होगा, जिसमें शामिल हैं:
    • आरोपी को 24 घंटों के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना।
    • आरोपी के परिवार के सदस्य या मित्र को गिरफ्तारी की सूचना देना।
    • पूछताछ के दौरान आरोपी को कानूनी सलाहकार की पहुँच की अनुमति देना।

दबाव से सुरक्षा (Protection Against Pressure):

कर अधिकारियों को चेतावनी:

  • अदालत ने कर अधिकारियों को बकाया कर वसूलने के लिए गिरफ्तारी की धमकी देकर दबाव डालने से मना किया।
  • यह स्वीकार किया गया कि ऐसे मामलों की संभावना हो सकती है और इसके लिए उपाय भी प्रदान किए गए हैं, जैसे कि:
    • जबरन वसूले गए भुगतानों की वापसी का अधिकार।
    • गलत करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई।

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