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परमाणु ऊर्जा में निजी क्षेत्र की भागीदारी

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संदर्भ:

भारत का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र “एटॉमिक एनर्जी एक्ट, 1962” के तहत संचालित होता है। इस कानून के अनुसार, केवल सरकारी संस्थाएं, जैसे न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL), ही परमाणु ऊर्जा का उत्पादन और आपूर्ति कर सकती हैं। अभी तक भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की कोई भागीदारी नहीं है।

परिचय:

  1. परमाणु ऊर्जा क्षेत्र का विकेंद्रीकरण:
    • यह भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को विकेंद्रीकृत करने के लिए केंद्र सरकार का पहला औपचारिक कदम है।
    • इसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना है।
  2. भारत स्मॉल रिएक्टर (BSR) के प्रस्ताव:
    • 220 मेगावाट क्षमता वाले भारत स्मॉल रिएक्टर (BSR) की स्थापना के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं।
    • ये रिएक्टर कैप्टिव उपयोग (औद्योगिक और आंतरिक आवश्यकताओं) के लिए बनाए जाएंगे।
    • BSR प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर (PHWR) हैं, जो अपनी बेहतरीन सुरक्षा और प्रदर्शन रिकॉर्ड के लिए जाने जाते हैं।
  3. डिकार्बोनाइजेशन में योगदान:
    • BSR कठिन डिकार्बोनाइजेशन वाले उद्योगों के लिए स्थायी समाधान प्रदान कर सकते हैं।
    • ये रिएक्टर स्वच्छ और हरित ऊर्जा उत्पादन में मदद करेंगे।

पृष्ठभूमि:

  • वित्तीय वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में प्रस्ताव:
    • भारत स्मॉल रिएक्टर (BSR), भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (BSMR), और नई परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास के लिए निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी का प्रस्ताव किया गया।
  • यह पहल भारत के ऊर्जा उत्पादन को डिकार्बोनाइज करने और 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में उठाया कदम है।

परमाणु ऊर्जा: परमाणु ऊर्जा का उत्पादन परमाणु विवर्तन (nuclear fission) द्वारा किया जाता है।

  • इस प्रक्रिया में, यूरेनियम या प्लूटोनियम जैसे तत्वों के नाभिक को विभाजित किया जाता है।
  • नाभिक के विभाजन से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है, जो गर्मी के रूप में होती है।
  • ऊर्जा का उपयोग:
    • उत्पन्न होने वाली गर्मी का उपयोग भाप उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
    • यह भाप टर्बाइनों को घुमाती है, जो बिजली का उत्पादन करती है।
  • कमकार्बन ऊर्जा स्रोत:
    • परमाणु ऊर्जा संयंत्र बड़ी मात्रा में बिजली उत्पन्न कर सकते हैं।
    • यह एक कम-कार्बन ऊर्जा स्रोत के रूप में कार्य करते हैं, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी का महत्व:

  1. संसाधन एकत्रण (Resource Mobilization):
    • निजी क्षेत्र भारत की परमाणु ऊर्जा अवसंरचना में निवेश आकर्षित कर सकता है।
    • संसाधनों के संकेंद्रण से अर्थव्यवस्था में लाभ प्राप्त हो सकता है।
    • भारत का लक्ष्य परमाणु ऊर्जा के लिए $26 बिलियन का निवेश आकर्षित करना है।
  2. प्रौद्योगिकी में उन्नति और नवाचार:
    • निजी निवेश अत्याधुनिक अनुसंधान में मदद कर सकता है।
    • छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) और उन्नत कूलिंग तकनीकों जैसे नवाचारों को लाने में मदद कर सकता है।
  3. ऊर्जा संक्रमण (Energy Transition): निजी क्षेत्र की भागीदारी भारत के 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा और 2070 तक शून्य-कार्बन उत्सर्जन (net-zero emissions) के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान कर सकती है।

निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए चुनौतियाँ:

  1. कानूनी समस्याएँ: परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 के तहत निजी क्षेत्र की भागीदारी पर प्रतिबंध है, विशेष रूप से परमाणु संयंत्रों के लाइसेंसिंग में।
  2. दायित्व कानूनों के प्रति अनिश्चितता: 2010 का ‘सिविल लीबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट’ (Civil Liability for Nuclear Damage Act) अभी भी चुनौतीपूर्ण स्थिति में है, जिससे कानूनी अनिश्चितता उत्पन्न हो रही है।
  3. अन्य समस्याएँ: परमाणु परियोजनाओं की कैप्टिव-इंटेन्सिव प्रकृति के कारण उच्च प्रारंभिक लागत। निजी परमाणु संचालन में सार्वजनिक विश्वास को बनाए रखने के लिए पारदर्शिता और निरंतर प्रदर्शन की आवश्यकता है।

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