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इसरो द्वारा प्रोबा-3 का प्रक्षेपण

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 5 दिसंबर को श्रीहरिकोटा स्थित अपने लॉन्च केंद्र से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्रोबा-3 मिशन को PSLV रॉकेट के माध्यम से प्रक्षेपित किया।

प्रोबा-3 मिशन के बारे में

  1. विवरण: प्रोबा-3 यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) द्वारा विकसित एक उन्नत सौर मिशन है।
  2. लक्ष्य: इस मिशन का उद्देश्य सूर्य के कोरोनल परत (सूर्य का बाहरी और सबसे गर्म वायुमंडलीय स्तर) का अध्ययन करना है। इस मिशन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) द्वारा लॉन्च किया।
  3. ऑर्बिट और कक्षा: मिशन को 600 किमी x 60,530 किमी की अंडाकार कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जिसका कक्षा काल 7 घंटे होगा।
  4. विश्व का पहला “प्रिसीजन फॉर्मेशन फ्लाइंग”: प्रोबा-3 मिशन दुनिया का पहला “प्रिसीजन फॉर्मेशन फ्लाइंग” करेगा, जिसमें दो उपग्रह एक साथ उड़ान भरेंगे और अंतरिक्ष में एक निश्चित संरचना बनाए रखते हुए काम करेंगे।

प्रोबा-3 मिशन पर कौन से उपकरण हैं?

  • ASPIICS: यह उपकरण सूर्य के कोरोना (सूर्य के बाहरी वायुमंडल) का अवलोकन करता है, खासकर सूर्यग्रहण के दौरान।
  • DARA: यह उपकरण सूर्य से निकलने वाली कुल सौर विकिरण को मापता है।
  • 3DEES: यह उपकरण इलेक्ट्रॉन फ्लक्स (इलेक्ट्रॉन की गति और घनत्व) का अध्ययन करता है, जो अंतरिक्ष मौसम को समझने में मदद करता है।

प्रोबा-3 मिशन की विशेषताएँ:

  1. प्रोबा-3 मिशन में दो उपग्रह शामिल हैं –
    • ऑक्लूटर उपग्रह (200 किलोग्राम): यह उपग्रह सूर्य पर कृत्रिम सूर्यग्रहण बनाने के लिए छाया डालता है।
    • कोरोनाग्राफ उपग्रह (340 किलोग्राम): यह उपग्रह सूर्य के कोरोना का अध्ययन करता है और सूर्य के बाहर के वातावरण की तस्वीरें खींचता है।
  2. सटीक संरेखण: दोनों उपग्रह एक-दूसरे से लगभग 150 मीटर की दूरी पर समानांतर गति करेंगे और प्रतिदिन 6 घंटे तक सूर्य के कोरोना का निरंतर अवलोकन करेंगे। इस सटीक संरेखण को बनाए रखने के लिए, एक उपग्रह से दूसरे उपग्रह पर लेजर प्रकाश का उपयोग किया जाएगा।
  3. कृत्रिम सूर्यग्रहण: प्राकृतिक सूर्यग्रहण केवल 10 मिनट तक होते हैं, लेकिन प्रोबा-3 मिशन में उपग्रह हर दिन 6 घंटे तक सूर्यग्रहण जैसी परिस्थितियाँ प्रदान करेंगे, जो लगभग 50 सूर्यग्रहणों के बराबर है। यह सूर्य के कोरोना का विस्तृत अध्ययन करने में मदद करेगा।
  4. सौर कोरोनाग्राफ का उपयोग: मिशन में एक विशाल सौर कोरोनाग्राफ का उपयोग किया जाएगा, जो सूर्य के प्रकाश को रोककर, सूर्य के कोरोना और इसके आसपास के वातावरण का अध्ययन करने के लिए उपग्रहों को सही दिशा में मार्गदर्शन करेगा

प्रोबा-3 मिशन भारत के लिए लाभकारी

  • भारत की प्रक्षेपण क्षमता को प्रदर्शित करेगा: प्रोबा-3 मिशन भारत के PSLV रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष प्रक्षेपण की क्षमताओं को और मजबूत करेगा।
  • भारत और ESA के बीच अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ावा देगा: यह मिशन भारत और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के बीच सहयोग को और विस्तारित करेगा।
  • भारतीय वैज्ञानिकों को नए अवसर प्रदान करेगा: प्रोबा-3 भारत के वैज्ञानिकों को सौर भौतिकी और अंतरिक्ष मौसम के अध्ययन में नए अवसर प्रदान करेगा, जिससे भारत की अंतरिक्ष वैज्ञानिकता को मजबूती मिलेगी।

ISRO के बारे में जानकारी:

  • स्थापना: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना 15 अगस्त 1969 को विक्रम साराभाई के प्रयासों से INCOSPAR के रूप में की गई थी।
  • मुख्यालय: ISRO का मुख्यालय बेंगलुरु में स्थित है।
  • वर्तमान अध्यक्ष: ISRO के वर्तमान अध्यक्ष श्री एस. सोमनाथ हैं।
  • पहला उपग्रह: ‘आर्यभट्ट’ भारत का पहला उपग्रह था, जिसे 1975 में लॉन्च किया गया।
  • मार्स ऑर्बिटर मिशन: 5 नवम्बर 2013 को भारत ने मंगल पर अपना पहला मिशन लॉन्च किया, और ISRO ने भारत को पहला ऐसा देश बनाया जो मंगल पर अपनी पहली कोशिश में सफलता प्राप्त कर पाया।
  • वर्ल्ड रिकॉर्ड: 15 फरवरी 2017 को ISRO ने एक ही रॉकेट (PSLV-C37) से 104 उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर विश्व रिकॉर्ड बनाया।

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