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फिलिस्तीन मुद्दे पर शांति स्थापना का प्रस्ताव

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भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें 1967 से अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्रों, जिसमें पूर्वी यरुशलम भी शामिल है, से इज़राइल की वापसी की मांग की गई। यह प्रस्ताव पश्चिम एशिया में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति स्थापित करने की अपील करता है।

फिलिस्तीन मुद्दे पर शांति स्थापना का प्रस्ताव: मुख्य बिंदु

  1. प्रस्ताव का परिचय: “फिलिस्तीन प्रश्न के शांतिपूर्ण समाधान” शीर्षक से प्रस्ताव सेनेगल द्वारा पेश किया गया।
  2. वोटिंग का परिणाम:
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों में से 157 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया, जबकि अमेरिका समेत 8 देशों ने विरोध किया।
    • भारत ने भी प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया।
  3. दोराज्य समाधान का समर्थन: महासभा ने मान्यता प्राप्त सीमाओं के अंदर, 1967 के पूर्व की सीमाओं के आधार पर, इज़राइल और फिलिस्तीन के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व वाले दो-राज्य समाधान को अपना समर्थन दिया।
  4. गाजा पट्टी में बदलाव का विरोध: प्रस्ताव ने गाजा पट्टी में किसी भी जनसांख्यिकीय या क्षेत्रीय बदलाव की कोशिशों को खारिज कर दिया।
  5. हिंसा पर रोक की मांग: सभी प्रकार की हिंसात्मक गतिविधियों को तत्काल और पूरी तरह से रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

भारत का रुख: सीरियाई गोलन हाइट्स:

  • प्रस्ताव का समर्थन: भारत ने इज़राइल से सीरियाई गोलन हाइट्स खाली करने के प्रस्ताव का समर्थन किया।
  • अवैध कब्जे की निंदा: इस प्रस्ताव में 1967 के बाद से इज़राइल द्वारा किए गए निर्माण और अन्य गतिविधियों को अवैध बताया गया।
  • निर्णय अमान्य घोषित: प्रस्ताव ने इज़राइल के 1981 के फैसले को क्षेत्र पर अपने कानून और अधिकार थोपने के लिए “शून्य और अमान्य” करार दिया।

प्रस्ताव के बारे में:

  1. इज़राइल से तत्काल वापसी की मांग: प्रस्ताव में इज़राइल से यह मांग की गई है कि वह तुरंत फिलिस्तीन के कब्जे वाले क्षेत्रों से अपनी सेनाएं हटाए।
  2. अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन: इज़राइल को अंतरराष्ट्रीय कानून, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून, और मानवाधिकार कानून के उल्लंघनों के लिए जवाबदेह ठहराने की मांग की गई है।
  3. गलत कार्यों के परिणाम:
    • इज़राइल को अपने गलत कार्यों के कानूनी परिणाम भुगतने होंगे।
    • इसमें हुए नुकसान के लिए मुआवजा देने की मांग भी शामिल है।
  4. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की सिफारिश पर आधारित: यह प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया है।

भारत का पूर्व दृष्टिकोण (इज़राइलफिलिस्तीन विवाद):

  1. संतुलित दृष्टिकोण: भारत ने हमेशा संतुलित रुख अपनाते हुए इज़राइल और अरब देशों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखे हैं।
  2. शांति और कूटनीति: भारत ने संवाद और कूटनीति के माध्यम से स्थायी समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया है।
  3. मध्यस्थ की भूमिका: मानवाधिकार परिषद जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों का उपयोग कर भारत शांति स्थापना में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।
  4. मजबूत संबंधों का उपयोग: भारत ने मध्य-पूर्वी देशों और इज़राइल के साथ अपने अच्छे संबंधों को विवाद समाधान में प्रभावी रूप से उपयोग करने की बात कही है

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