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Remains of the biggest Snake ‘Vasuki’ found in India

हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने गुजरात के कच्छ जिले में वासुकी इंडिकस नामक एक विशालकाय सांप के जीवाश्म अवशेषों की खोज की। यह नाग अब तक का सबसे बड़ा ज्ञात सांप माना जाता है, जिसकी लंबाई 15 मीटर (49 फीट) और वजन 1 टन (2200 पाउंड) होने का अनुमान है।

क्या है ‘वासुकी’?

  • गुजरात के कच्छ में मिले 11-15 मीटर लंबे (लगभग 50 फीट) और 1 टन (1000 किग्रा) वजन वाले नाग के जीवाश्म अवशेष।
  • वैज्ञानिकों ने इसे ‘वासुकी इंडिकस’ नाम दिया है।
  • ‘वासुकी’ नाम भगवान शिव के गले में लिपटे नागराज से लिया गया है, जिन्हें सांपों का राजा कहा जाता है।
  • ‘इंडिकस’ का मतलब ‘भारत का’ होता है, जो दर्शाता है कि यह नाग भारत में ही पाया जाता था।

कहां और कब मिला?

  • 2005 में कच्छ की एक कोयला खदान से मिले थे 27 बड़े-बड़े कंकाल के टुकड़े।
  • शुरुआत में इन्हें विशाल मगरमच्छ के अवशेष समझा गया था।
  • हाल ही में वैज्ञानिकों ने पुष्टि की कि ये दुनिया के अब तक के सबसे बड़े सांपों में से एक थे।

कैसे पता चला कि यह नाग है?

  • वैज्ञानिकों ने इन जीवाश्मों का गहन अध्ययन किया।
  • रीढ़ की हड्डियों की संरचना और आकार नागों से मेल खाते थे।
  • वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि यह नाग 5 से 6 करोड़ साल पहले ‘मैडत्सोइडे’ नामक परिवार का हिस्सा था।

क्या है इस नाग का महत्व?

  • यह खोज भारत में प्रागैतिहासिक जीवन और विशालकाय सरीसृपों के विकास को समझने में महत्वपूर्ण है।
  • यह दर्शाता है कि भारत में सांपों का विविधतापूर्ण विकास हुआ है।
  • ‘वासुकी’ का नाम हिंदू पौराणिक कथाओं में वासुकी नामक नाग से जुड़ा है, जिसका जिक्र समुद्र मंथन में मिलता है।

समुद्र मंथन में जिक्र

  • यह वही सांप है, जिसका जिक्र समुद्र मंथन में किया जाता है। इसी सांप की मदद से क्षीर सागर में मंदार पर्वत को मथनी की तरह घुमाया गया था। इसके बाद समुद्र से अमृत, हलाहल विष के साथ 14 रत्न निकले थे।
  • यही हलाहल विष भगवान शिव ने पी लिया था। धार्मिक ग्रंथों में समुद्र मंथन का विस्तार से वर्णन है। ऐसा कहा जाता है कि जब राजा बलि तीनों लोकों के स्वामी बन गए थे।
  • उस समय स्वर्ग के देवता इंद्र सहित सभी देवताओं और ऋषियों ने भगवान विष्णु जी से तीनों लोकों की रक्षा के लिए याचना की। तब भगवान विष्णु जी ने उन्हें समुद्र मंथन करने की युक्ति दी। भगवान नारायण ने कहा कि समुद्र मंथन से अमृत की प्राप्ति होगी, जिसके पान से आप देवता अमर हो जाएंगे।

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