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संदर्भ:
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो रेट को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया है। यह पिछले 5 वर्षों में की गई पहली कटौती है, जो आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने और वित्तीय परिस्थितियों के अनुरूप नीति समायोजन का संकेत देती है।
रेपो रेट (Repo Rate) क्या है?
- परिचय: रेपो रेट (Repurchase Agreement Rate) वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक केंद्रीय बैंक (RBI) से उधार लेते हैं।
- उद्देश्य और कार्यप्रणाली:
- यह बैंकों को अल्पकालिक नकदी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है।
- बैंक सिक्योरिटीज को गिरवी रखकर कर्ज लेते हैं और बाद में ब्याज सहित पुनर्खरीद (Repurchase) करने का वादा करते हैं।
- ऋण लागत पर प्रभाव:
- रेपो रेट बढ़ने से: बैंकों के लिए उधारी महंगी हो जाती है → उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए ऋण महंगे हो जाते हैं → उधारी और खर्च में कमी आती है।
- रेपो रेट घटने से: बैंकों के लिए उधारी सस्ती हो जाती है → उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए ऋण सस्ते हो जाते हैं → उधारी और खर्च बढ़ता है।
- मौद्रिक नीति में भूमिका: केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति (Inflation), धन आपूर्ति (Money Supply) और आर्थिक विकास (Economic Growth) को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट का उपयोग करता है।
- फैसले का संभावित प्रभाव:
- रेपो रेट में कटौती से बाहरी बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) घटेगा, जिससे उधारकर्ताओं के लिए EMI कम हो जाएगी।
- मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड–बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) से जुड़े ऋणों पर भी ब्याज दरों में कमी आने की संभावना है।
मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC)
- परिचय:
- MPC भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय समिति है, जो देश की मौद्रिक नीति, विशेष रूप से रेपो रेट तय करने की ज़िम्मेदार होती है।
- यह मुद्रास्फीति लक्ष्य आधारित मौद्रिक नीति ढांचे को लागू करने के लिए भारत सरकार और RBI के बीच हुए समझौते के तहत बनाई गई थी।
- कानूनी ढांचा: RBI अधिनियम, 1934 को वित्त अधिनियम, 2016 के माध्यम से संशोधित कर MPC को कानूनी दर्जा दिया गया।
- मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण: MPC का लक्ष्य उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति को 4% पर बनाए रखना है, जिसमें 2% की उतार–चढ़ाव सीमा (2% से 6%) शामिल है।
- संरचना:
- 6 सदस्य होते हैं:
- 3 सदस्य RBI से।
- 3 बाहरी सदस्य भारत सरकार द्वारा नामित।
- RBI के गवर्नर MPC के अध्यक्ष होते हैं।
- 6 सदस्य होते हैं:
- कार्यप्रणाली:
- बैठक आवृत्ति: MPC को साल में कम से कम चार बार बैठक करनी होती है।
- कोरम: बैठक के लिए न्यूनतम 4 सदस्य आवश्यक होते हैं।
- मतदान प्रक्रिया:
- प्रत्येक सदस्य को एक वोट मिलता है।
- यदि मतों की संख्या बराबर होती है, तो गवर्नर को निर्णायक (Casting Vote) का अधिकार होता है।
- मौद्रिक नीति रिपोर्ट (Monetary Policy Report)
- RBI हर छह महीने में एक मौद्रिक नीति रिपोर्ट जारी करता है।
- यह मुद्रास्फीति के कारणों और अगले 6-8 महीनों के मुद्रास्फीति अनुमानों को स्पष्ट करता है।