Apni Pathshala

रेटिना (Retina) में दवा डालने का सटीक तरीका

Download Today Current Affairs PDF

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT मद्रास) के शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक विकसित की है जो हल्के लेजर की मदद से आंख की रेटिना (Retina) में दवा डालने की प्रक्रिया को सटीक और तेजी से करने में सक्षम है। यह विधि रेटिना संबंधी बीमारियों जैसे कि रेटिना के फटने और डायबिटिक रेटिनोपैथी के उपचार में उपयोगी साबित हो सकती है।

शोध के मुख्य बिंदु:

  1. हल्का लेजर हीटिंग: शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि हल्के लेजर द्वारा उत्पन्न गर्मी से दवा को रेटिना के तय हिस्सों में बेहतर तरीके से पहुंचाया जा सकता है। यह प्रक्रिया दवा के प्रभावी स्तर को तेजी से प्राप्त करने में मदद करती है।
  2. सिमुलेशन और मॉडलिंग: टीम ने ताप और भार पर विभिन्न प्रकार के उपचारों के प्रभावों का विश्लेषण करने के लिए सिमुलेशन और मॉडलिंग अध्ययन का उपयोग किया।
  3. भारत में रेटिना संबंधी समस्याएँ: देश में लगभग 1.1 करोड़ लोग रेटिना संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिससे इस तरह के लेजर-आधारित उपचार की आवश्यकता और बढ़ गई है।
  4. ग्लास आई प्रयोग: शोधकर्ताओं ने एक ग्लास आई मिमिक का उपयोग कर यह प्रदर्शित किया कि हीट-इंडूस्ट कन्वेक्शन दवा को रेटिना के सही हिस्सों तक पहुंचाने में लगने वाले समय को कम कर सकता है।
  5. उपचार की गति: प्राकृतिक तरीके से दवा के प्रभावी मात्रा को रेटिना में पहुंचाने में 12 घंटे लगते हैं, जबकि गर्मी का उपयोग करने पर यह समय केवल 12 मिनट में घट जाता है।
  6. उत्कृष्टता और सुरक्षा: शोध में यह भी दर्शाया गया है कि गर्मी से आंख के ऊतकों को कोई नुकसान नहीं होता है, जिससे यह उपचार सुरक्षित है।
  7. सम्मेलन में प्रस्तुति: इस शोध को जर्मनी में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ICCHM 2023 में भी प्रस्तुत किया गया है, जो इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत है।

प्रोफेसर अरुण नरसिम्हन और उनके सहयोगी श्रीनिवास विबुथे ने इस तकनीक का विकास किया है, जो रेटिना संबंधी रोगों के उपचार में एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है। यह शोध चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है और रेटिना के रोगियों के लिए नई संभावनाएँ खोलेगा।

रेटिना (Retina) क्या है?

रेटिना आंख के पीछे की पतली परत होती है, जो प्रकाश को ग्रहण करती है और उसे विद्युत संकेतों में परिवर्तित करती है। ये संकेत बाद में मस्तिष्क में दृष्टि के अनुभव के लिए भेजे जाते हैं। रेटिना का मुख्य कार्य दृश्य जानकारी को संसाधित करना और उसे मस्तिष्क तक पहुँचाना है।

रेटिना के प्रमुख भाग:

  1. फोटोरिसेप्टर कोशिकाएँ: रेटिना में दो प्रमुख प्रकार की फोटोरिसेप्टर कोशिकाएँ होती हैं: rods (रोड्स) और cones (कोन्स)
    • रोड्स: ये कम रोशनी में देखने में मदद करती हैं और रात के समय देखने के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
    • कोन्स: ये रंगों को देखने में सहायक होती हैं और दिन के समय में बेहतर दृष्टि प्रदान करती हैं।
  2. पिगमेंट एपिथेलियम: यह रेटिना की बाहरी परत है, जो फोटोरिसेप्टर कोशिकाओं के लिए पोषण प्रदान करती है और उन्हें पुनर्नवीनीकरण में मदद करती है।
  3. स्नायु फाइबर: रेटिना में मौजूद फोटोरिसेप्टर कोशिकाओं से विद्युत संकेतों को मस्तिष्क तक पहुँचाने का कार्य स्नायु फाइबर करते हैं। ये संकेत फिर मस्तिष्क द्वारा दृश्य अनुभव में परिवर्तित होते हैं।

रेटिना की भूमिका:

  • दृश्य संवेदन: रेटिना प्रकाश को ग्रहण करता है और उसे विद्युत संकेतों में परिवर्तित करता है।
  • दृश्य स्पष्टता: यह सुनिश्चित करता है कि हम स्पष्ट रूप से देख सकें, चाहे प्रकाश की मात्रा कितनी भी हो।
  • रंग पहचान: रेटिना रंगों को पहचानने में मदद करता है, जिससे हम वस्तुओं को उनके रंग के अनुसार पहचान सकते हैं।

Explore our Books: https://apnipathshala.com/product-category/books/

Explore Our test Series: https://tests.apnipathshala.com/

Share Now ➤

क्या आपको Apni Pathshala के Courses, RNA PDF, Current Affairs, Test Series और Books से सम्बंधित कोई जानकारी चाहिए? तो हमारी विशेषज्ञ काउंसलर टीम आपकी सिर्फ समस्याओं के समाधान में ही मदद नहीं करेगीं, बल्कि आपको व्यक्तिगत अध्ययन योजना बनाने, समय का प्रबंधन करने और परीक्षा के तनाव को कम करने में भी मार्गदर्शन देगी।

Apni Pathshala के साथ अपनी तैयारी को मजबूत बनाएं और अपने सपनों को साकार करें। आज ही हमारी विशेषज्ञ टीम से संपर्क करें और अपनी सफलता की यात्रा शुरू करें

📞 +91 7878158882

Related Posts

Scroll to Top