Reverse Flipping
संदर्भ:
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने व्यापार सुगमता बढ़ाने और “रिवर्स फ्लिपिंग” को प्रोत्साहित करने के लिए कई सुधारों को मंजूरी दी है। इन सुधारों का उद्देश्य भारतीय स्टार्टअप्स और कंपनियों को घरेलू स्तर पर पंजीकरण और संचालन के लिए अधिक आकर्षक बनाना है।
रिवर्स फ्लिपिंग (Reverse Flipping) क्या है?
- परिभाषा (Definition): Reverse Flipping एक शब्द है जो स्टार्टअप ईकोसिस्टम और कॉर्पोरेट संरचना में उपयोग होता है। इसका अर्थ है जब कोई भारतीय स्टार्टअप या कंपनी अपना मुख्य पंजीकरण (domicile) विदेश से वापस भारत में स्थानांतरित करती है — यानी “फ्लिपिंग” की प्रक्रिया को उल्टा करना।
यह कैसे कार्य करता है? (How does it work?):
- विदेश में स्थित मूल कंपनी (Parent Company) भारतीय इकाई को स्वामित्व, संपत्ति या नियंत्रण हस्तांतरित करती है।
- पहले जो भारतीय इकाई केवल एक ऑपरेशनल शाखा थी, अब वही मुख्य होल्डिंग कंपनी बन जाती है।
- इसमें बौद्धिक संपदा (IP), डेटा, और प्रमुख कार्यों को भारत में स्थानांतरित करना शामिल हो सकता है।
रिवर्स फ्लिपिंग का महत्व:
- यह भारत की आर्थिक और नियामक प्रणाली (economic and regulatory ecosystem) में विश्वास को दर्शाता है।
- यह आत्मनिर्भर भारत, व्यापार करने में सुगमता (ease of doing business), और पूंजी बाजार सुधारों से जुड़ा हुआ है।
- यह नवाचार (innovation), रोजगार सृजन (job creation), और घरेलू पूंजी जुटाने (domestic capital mobilisation) के लिए महत्वपूर्ण है।