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हाल ही में 2024 का सस्त्र रामानुजन पुरस्कार (SASTRA Ramanujan Prize) जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, अमेरिका के अलेक्जेंडर डन को प्रदान किया गया है।
अलेक्जेंडर डन के योगदान: डन ने गणित के विभिन्न क्षेत्रों में विशेष रूप से निम्नलिखित विषयों में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है:
- मॉड्यूलर फॉर्म
- हाफ-इंटीग्रल वेट फॉर्म
- मेटाप्लेक्टिक फॉर्म
- अभाज्य संख्याओं और पूर्णांक विभाजनों के साथ उनके संबंधों का अध्ययन
सस्त्र रामानुजन पुरस्कार के बारे में:
- स्थापना: इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 2005 में की गई थी।
- दायित्व: इसे शनमुघा कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान अकादमी (SASTRA) विश्वविद्यालय, तमिलनाडु द्वारा प्रदान किया जाता है।
- पुरस्कार राशि: पुरस्कार के साथ 10,000 अमेरिकी डॉलर की नकद राशि प्रदान की जाती है।
- उम्र सीमा: यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष 32 वर्ष या उससे कम आयु के गणितज्ञों को उनके असाधारण योगदान के लिए दिया जाता है, जो विशेष रूप से श्रीनिवास रामानुजन के कार्य से प्रेरित होते हैं।
श्रीनिवास रामानुजन: जीवन और गणित में योगदान
- जन्म और प्रारंभिक जीवन: श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के इरोड (मद्रास प्रेसीडेंसी) में हुआ था। उनका निधन 26 अप्रैल, 1920 को मात्र 32 वर्ष की आयु में कुंभकोणम में हुआ। रामानुजन ने बहुत कम उम्र में ही गणित के प्रति अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। मात्र 12 वर्ष की आयु में उन्होंने त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी।
- शिक्षा: वर्ष 1903 में रामानुजन ने मद्रास विश्वविद्यालय की एक छात्रवृत्ति प्राप्त की, लेकिन अगले ही वर्ष यह छात्रवृत्ति वापस ले ली गई, क्योंकि वे अन्य विषयों की तुलना में गणित पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे थे। वर्ष 1913 में, उन्होंने ब्रिटिश गणितज्ञ गॉडफ्रे एच. हार्डी के साथ पत्र-व्यवहार शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप वे ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज चले गए।
- वर्ष 1918 में उन्हें लंदन की रॉयल सोसाइटी के लिए चुना गया, और वे ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी के सबसे कम उम्र के सदस्यों में से एक बने। वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज के फेलो चुने जाने वाले पहले भारतीय थे।
गणित में योगदान:
- सूत्र और समीकरण: रामानुजन ने अपने अल्प जीवनकाल में लगभग 3,900 परिणाम (समीकरणों और सर्वसमिकाओं) का संकलन किया। उनके सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में पाई (π) की अनंत श्रेणी शामिल थी, जिसमें उन्होंने पाई के अंकों की गणना के लिए कई अद्वितीय सूत्र प्रदान किए, जो पारंपरिक तरीकों से भिन्न थे।
- खेल सिद्धांत: रामानुजन ने कई चुनौतीपूर्ण गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए नवीन विचार प्रस्तुत किए, जिसने खेल सिद्धांत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके योगदान को गणित के क्षेत्र में विशेष रूप से मान्यता प्राप्त है।
- रामानुजन की पुस्तकें: 1976 में, गणितज्ञ जॉर्ज एंड्रयूज ने ट्रिनिटी कॉलेज की लाइब्रेरी में रामानुजन की एक नोटबुक की खोज की। इस नोटबुक को बाद में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया।
- रामानुजन संख्या: गणित में रामानुजन का सबसे बड़ा योगदान रामानुजन संख्या (1729) को माना जाता है। यह सबसे छोटी संख्या है जिसे दो अलग-अलग तरीकों से दो घनों के योग के रूप में लिखा जा सकता है:
- 1729=103+931729 = 103 + 931729=103+93 (जहाँ 10 का घन 1000 और 9 का घन 729 है)
- 1729=123+131729 = 123 + 131729=123+13 (जहाँ 12 का घन 1728 और 1 का घन 1 है)
अन्य योगदान: रामानुजन के अन्य उल्लेखनीय योगदानों में शामिल हैं:
- हाइपर जियोमेट्रिक सीरीज़
- रीमान सीरीज़
- एलिप्टिक इंटीग्रल
- मॉक थीटा फंक्शन
- डाइवर्जेंट सीरीज़ का सिद्धांत
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