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संदर्भ:
पिघलते ग्लेशियरों के कारण समुद्र का स्तर बढ़ना: एक अध्ययन, जो नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुआ, बताता है कि 21वीं सदी की शुरुआत से अब तक पिघलते ग्लेशियरों ने वैश्विक समुद्री स्तर में लगभग 2 सेमी की वृद्धि की है।
पिघलते ग्लेशियरों के कारण बढ़ता समुद्र का स्तर अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:
- हिमखंडों (Glaciers) की बर्फ़ का नुकसान:
- पिछले 25 वर्षों में हर साल 273 अरब टन बर्फ़ पिघल रही है।
- 2000 से 2023 तक दुनिया के हिमनदों ने 6.542 ट्रिलियन टन बर्फ़ खोई, जिससे समुद्र स्तर में 18 मिमी की वृद्धि हुई।
- समुद्र स्तर में वृद्धि की दर:
- 1880 से अब तक समुद्र स्तर 21 सेमी बढ़ चुका है।
- वृद्धि की गति 0.18 सेमी/वर्ष (1993) से बढ़कर 0.42 सेमी/वर्ष (2024) हो गई है।
- 1993 से 2024 के बीच समुद्र स्तर में 10 सेमी से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई।
- क्षेत्रीय प्रभाव:
- दक्षिण–पश्चिमी हिंद महासागर में औसत से अधिक वृद्धि देखी गई (2.5 मिमी/वर्ष – WMO, 2022)।
- स्थानीय कारण जैसे महासागरीय ऊष्मा (Ocean Heat Content) और लवणता (Salinity Changes) समुद्र स्तर में असमान वृद्धि का कारण हैं।
- भारत पर प्रभाव:
- मुंबई: 1987-2021 के बीच 4.44 सेमी समुद्र स्तर बढ़ा, जिससे यह भारत का सबसे अधिक प्रभावित शहर बना।
- अन्य प्रभावित शहर: हल्दिया (पश्चिम बंगाल), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), कोच्चि (केरल)।
समुद्र स्तर वृद्धि के कारण:
- समुद्र स्तर वृद्धि का अर्थ है महासागर की औसत ऊँचाई में वृद्धि, जिसे पृथ्वी के केंद्र से मापा जाता है।
- वैश्विक ऊष्मीकरण (Global Warming)
- हिमनदों और बर्फ की चादरों (Glaciers & Ice Sheets) का पिघलना बढ़ गया है।
- 2000 से अब तक, ग्लेशियरों ने क्षेत्रीय रूप से 2% से 39% तथा वैश्विक रूप से 5% बर्फ़ खोई है।
- समुद्री जल का ऊष्मीय प्रसार (Thermal Expansion of Seawater)
- वैश्विक तापमान बढ़ने से महासागरों का तापमान भी बढ़ रहा है।
- गरम पानी अधिक जगह घेरता है, जिससे महासागर का आयतन (Volume) बढ़ जाता है।
- NASA के अनुसार, समुद्री जल के ऊष्मीय प्रसार से वैश्विक समुद्र स्तर वृद्धि का एक–तिहाई से आधा हिस्सा प्रभावित हो रहा है।
समुद्र स्तर वृद्धि के परिणाम:
- तूफान और प्राकृतिक आपदाएँ: समुद्र स्तर बढ़ने से तूफानों की तीव्रता और तटीय बाढ़ (Coastal Flooding) की घटनाएँ बढ़ जाती हैं।
- मानव बस्तियों पर प्रभाव: दुनिया की15% जनसंख्या जल निकायों (Water Bodies) से 10 किमी के दायरे में रहती है, जो इन्हें अत्यधिक संवेदनशील बनाता है।
- मीठे पानी का प्रदूषण: समुद्र के बढ़ते स्तर से पीने के पानी और कृषि जलस्रोतों में लवणता (Salinity) बढ़ जाती है, जिससे खाद्य उत्पादन और पेयजल आपूर्ति प्रभावित होती है।
- तटीय बाढ़ और जनसंख्या पर खतरा: समुद्र स्तर वृद्धि से निम्न भूमि वाले क्षेत्र (Low-lying Areas) खतरे मेंआ जाते हैं। अनुमान के अनुसार, 2100 तक 630 मिलियन लोग वार्षिक बाढ़ (Annual Flooding) के जोखिम में होंगे।