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SHe-Box पोर्टल

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महिला और बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न की शिकायतें दर्ज करने के लिए एक ऑनलाइन प्रबंधन प्रणाली “SHe-Box पोर्टल ” (सेक्सुअल हैरेसमेंट इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स) विकसित की है।

  • SHe-Box पोर्टल  पर दर्ज शिकायतें सीधे संबंधित प्राधिकरण तक पहुंचती हैं, जो मामले में कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार होती है।

यह एक ऑनलाइन प्रणाली है, जो “कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संरक्षण, निषेध और निवारण अधिनियम, 2013” (SH अधिनियम) के विभिन्न प्रावधानों को बेहतर ढंग से लागू करने में मदद करने के लिए बनाई गई है।

 मुख्य विशेषताएँ:

  1. यह प्रणाली कार्यस्थलों पर गठित आंतरिक समितियों (Internal Committees – ICs) और स्थानीय समितियों (Local Committees – LCs) से संबंधित जानकारी का एक केंद्रीकृत भंडार उपलब्ध कराती है।
  2. इसका उद्देश्य देशभर के विभिन्न कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

SHe-Box पोर्टल की मुख्य विशेषताएँ:

  1. नोडल अधिकारी की नियुक्ति:
    • प्रत्येक कार्यस्थल के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा।
    • यह अधिकारी नियमित रूप से डेटा और जानकारी को अद्यतन करने और शिकायतों की रियल-टाइम निगरानी सुनिश्चित करेगा।
  2. शिकायत दर्ज करना: पीड़ित महिला स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उनकी ओर से पोर्टल पर शिकायत दर्ज की जा सकती है।
  3. निगरानी प्रणाली:
    • केंद्रीय, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश और जिला स्तर के नोडल अधिकारियों के लिए एक मॉनिटरिंग डैशबोर्ड है।
    • यह डैशबोर्ड दर्ज मामलों की संख्या, उनके निपटान और लंबित शिकायतों को ट्रैक करता है।
  4. गोपनीयता सुनिश्चित करना:
    • पोर्टल शिकायतकर्ता की पहचान को गोपनीय रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
    • केवल आंतरिक समिति (IC) या स्थानीय समिति (LC) के अध्यक्ष ही शिकायत की प्रकृति या विवरण देख सकते हैं।
  5. यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013: यह पोर्टल “महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013” के प्रावधानों के तहत महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 की मुख्य प्रावधान:

  1. यौन उत्पीड़न की परिभाषा: अवांछित शारीरिक संपर्क, यौन प्रस्ताव, यौन उपकार की मांग, यौन टिप्पणी, और कोई भी अनुचित व्यवहार।
  2. आंतरिक शिकायत समिति (ICC):
    • 10 से अधिक कर्मचारियों वाले हर संगठन में एक आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन अनिवार्य।
    • इस समिति का नेतृत्व एक महिला करेगी और इसमें महिलाओं के मुद्दों के विशेषज्ञ या NGO प्रतिनिधि जैसे कम से कम एक बाहरी सदस्य शामिल होना चाहिए।
  3. शिकायत प्रक्रिया:
    • महिलाएं घटना के तीन महीने के भीतर शिकायत दर्ज कर सकती हैं।
    • ICC को शिकायत का निपटारा 90 दिनों के भीतर करना अनिवार्य है।
  4. गोपनीयता:शिकायतों और जांच से संबंधित सभी जानकारी को गोपनीय रखा जाएगा।
  5. नियोक्ता की जिम्मेदारी: नियोक्ता को रोकथाम के उपाय करने, कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने और शिकायतों पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी दी गई है।
  6. निवारण और मुआवजा:
    • उत्पीड़न साबित होने पर आरोपी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
    • पीड़िता को मुआवजा दिया जा सकता है।
  7. प्रतिशोध पर रोक:
    • शिकायतकर्ता या गवाहों के खिलाफ प्रतिशोध को प्रतिबंधित किया गया है।
    • प्रतिशोध या पीड़ितकरण को कानून के तहत एक अलग उल्लंघन माना जाएगा।
  8. दंड: अधिनियम के प्रावधानों का पालन न करने पर नियोक्ता पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

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