चर्चा में क्यों?
राजस्थान के जैसलमेर में स्थित ऐतिहासिक सोनार किला (Sonar Quila), जिसे स्वर्णनगरी (Golden City) के नाम से भी जाना जाता है, हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण गंभीर क्षति का सामना कर रहा है।
यह किला 868 साल पुराना है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शामिल किया गया है। इस किले का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है, लेकिन पिछले कुछ समय से इसके रखरखाव में कमी आने के कारण इसकी दीवारें कमजोर हो गई हैं। बारिश के कारण दीवारों का ढहना एक चिंता का विषय बन गया है।
जैसलमेर का सोनार किला (Sonar Quila) – इतिहास:
जैसलमेर का सोनार किला, जिसे गोल्डन किले के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान के थार रेगिस्तान में स्थित है। यह किला 1156 ईस्वी में भाटी राजपूत शासक राव जैसल द्वारा बनवाया गया था, जो इस किले के नाम के साथ उनके नाम को भी जोड़ता है। किला जैसलमेर शहर के केंद्र में स्थित है और इसे ‘त्रिकूट गढ़’ के नाम से भी जाना जाता है। यह किला एक समय जैसलमेर के भाटी शासकों की राजधानी हुआ करता था और इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण यह व्यापार मार्गों पर भी नजर रखता था।
सोनार किले (Sonar Quila) की स्थापत्य कला:
यह किला भारतीय वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण है, जिसमें राजस्थानी और मुगल शैली का सम्मिश्रण देखने को मिलता है। किले के भीतर कई महल, मंदिर, और हवेलियाँ हैं, जो इसकी भव्यता को और बढ़ाते हैं। इनमें से लक्ष्मीनाथ मंदिर, जैन मंदिर और पटवों की हवेली प्रमुख हैं। इसका निर्माण त्रिकुटा नामक तीन पहाड़ियों पर किया गया है, जिससे यह किला एक विशाल और भव्य संरचना के रूप में उभरता है।
जैसलमेर के सोनार किले की प्रमुख विशेषताएं (Features):
- स्वर्णिम चमक: किला पीले बलुआ पत्थरों से बना है, जो सूरज की रोशनी में सोने की तरह चमकते हैं। इसी कारण इसे ‘स्वर्ण किला’ या ‘सोनार किला’ कहा जाता है।
- भव्य वास्तुकला: किले में राजस्थानी और मुगल शैली का सम्मिश्रण है। इसमें कई महल, हवेलियाँ, और जैन मंदिर हैं, जो उत्कृष्ट वास्तुकला का उदाहरण हैं।
- यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल: सोनार किला यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाता है।
- त्रिकूट पहाड़ियों पर स्थित: यह किला त्रिकूट नामक तीन पहाड़ियों पर स्थित है, जिससे यह पूरे शहर पर निगरानी रखने की महत्वपूर्ण स्थिति में है।
- जीवंत किला: यह भारत के कुछ गिने-चुने जीवंत किलों में से एक है, जहां आज भी लगभग 4,000 लोग निवास करते हैं, जो इसे एक अनोखा और सक्रिय ऐतिहासिक स्थल बनाता है।
- यह एकमात्र ऐसा किला है जिस पर पुरातत्व विभाग के अलावा वहां रहने वाले आम लोगो का भी संपत्ति अधिकार है।
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) वह स्थान होता है जिसे संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) द्वारा विशेष सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक, या प्राकृतिक महत्व के लिए मान्यता दी जाती है। इन स्थलों को वैश्विक धरोहर के रूप में संरक्षित और संजोने की जरूरत होती है क्योंकि ये पूरी मानवता के लिए मूल्यवान माने जाते हैं। ● यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किए गए स्थानों को विशेष रूप से संरक्षित किया जाता है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इन धरोहरों का आनंद ले सकें और उनसे सीख सकें। इन स्थलों की देखभाल और संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समर्थन भी प्राप्त होता है। ● यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों को दो प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: ○ सांस्कृतिक धरोहर स्थल: ये स्थल मानव इतिहास, कला, वास्तुकला, और संस्कृति से जुड़े होते हैं। उदाहरण के लिए, ताजमहल (भारत) और ग्रेट वॉल ऑफ चाइना। ○ प्राकृतिक धरोहर स्थल: ये स्थल प्राकृतिक सौंदर्य, पारिस्थितिकी, और भूगर्भीय महत्व के होते हैं। जैसे कि ग्रैंड कैन्यन (अमेरिका) और ग्रेट बैरियर रीफ (ऑस्ट्रेलिया)। भारत के कुछ प्रमुख यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के नाम :1. ताजमहल (आगरा, उत्तर प्रदेश) 2. खजुराहो समूह के मंदिर (मध्य प्रदेश) 3. अजन्ता गुफाएँ (महाराष्ट्र) 4. एलोरा गुफाएँ (महाराष्ट्र) 5. सांची का स्तूप (मध्य प्रदेश) 6. हुमायूँ का मकबरा (दिल्ली) 7. कुतुब मीनार और इसके स्मारक (दिल्ली) 8. महाबलीपुरम के स्मारक समूह (तमिलनाडु) 9. कोणार्क का सूर्य मंदिर (ओडिशा) 10. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम) 11. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर, राजस्थान) 12. नालंदा महाविहार (बिहार) 13. चित्तौड़गढ़ किला (राजस्थान) 14. जंतर मंतर (जयपुर, राजस्थान) 15. हम्पी के स्मारक (कर्नाटक) 16. मिस्र के गंगा घाट (वाराणसी, उत्तर प्रदेश) |
सोनार किले की क्षति के मुख्य बिंदु (कारण):
- सीवरेज सिस्टम की समस्या: विशेषज्ञों और वास्तुकारों के अनुसार, किले का सीवरेज सिस्टम सही नहीं है। सीवरेज से निकलने वाला पानी सीधे किले की नींव में जा रहा है, जिससे नींव कमजोर हो रही है और दीवारों में दरारें आ रही हैं।
- लीकेज का खतरा: किले में पानी और सीवरेज की लाइनें पास-पास बिछी हुई हैं। जब इनमें लीकेज होता है, तो पानी नींव में चला जाता है, जिससे किले की संरचना पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
- बारिश का प्रभाव: सदियों पुराना यह किला अब बारिश सहन नहीं कर पा रहा है। किले का निर्माण एक सूखे क्षेत्र के हिसाब से किया गया था, लेकिन हाल के वर्षों में बारिश बढ़ने के कारण इसे नुकसान हो रहा है।
- भौगोलिक बदलाव: पहले जैसलमेर को सूखे का पर्याय माना जाता था, लेकिन अब रेगिस्तानी क्षेत्र में बारिश की मात्रा में वृद्धि हुई है, जिससे किले के संरक्षित रहने की संभावना कम होती जा रही है।
क्यों सौपा जाता है भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ऐतिहासिक धरोहर की देखरेख का जिम्मा:
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर स्थलों की देखरेख का जिम्मा इसलिए सौंपा गया क्योंकि एएसआई एक प्रमुख सरकारी संस्था है जो भारत के ऐतिहासिक और पुरातात्त्विक स्थलों के संरक्षण, अनुसंधान, और पुनर्निर्माण के लिए जिम्मेदार है।
- भारतीय कानूनों के तहत, एएसआई को प्राचीन स्मारकों और स्थलों की देखरेख का अधिकार प्राप्त है।
- यह संस्था भारतीय पुरातत्व अधिनियम 1958 के तहत संरक्षित स्थलों की सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित करती है।
- एएसआई के पास ऐतिहासिक स्थलों की देखरेख और पुनर्निर्माण के लिए संसाधन और अनुभव उपलब्ध हैं।
- एएसआई भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए कानूनन जिम्मेदार है। यह संस्था पुरानी इमारतों, स्मारकों और धरोहर स्थलों के शोध, सुरक्षा, और मरम्मत का कार्य करती है।
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