Port Blair’s New Name “Sri Vijayapuram”:
14 सितम्बर 2024 को, अंडमान और निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजयपुरम (Sri Vijayapuram) रखा गया। यह नाम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की जीत और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के ऐतिहासिक योगदान को उजागर करता है। यह वह भूमि है जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पहली बार तिरंगा फहराया था और जहां ऐतिहासिक सेलुलर जेल स्थित है।
औपनिवेशिक विरासत से प्रस्थान:
- श्री विजयपुरम का नया नाम औपनिवेशिक काल की विरासत से दूर जाने का संकेत देता है और अंडमान एवं निकोबार की समकालीन रणनीतिक भूमिका को भी रेखांकित करता है।
- यह द्वीपसमूह, जो एक समय चोल साम्राज्य के नौसैनिक अड्डे के रूप में कार्य करता था, आज भारत की सामरिक स्थिति को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
- चोल साम्राज्य की नौसैनिक शक्ति:
- चोल साम्राज्य के शासकों, विशेषकर राजराजा चोल (985-1014) और राजेंद्र चोल प्रथम (1014-1044) ने शक्तिशाली नौसेना का विकास किया।
- उन्होंने आक्रामक सैन्य नीति अपनाते हुए प्रायद्वीपीय भारत के अधिकांश भाग तक अपनी पहुंच बनाई और समुद्र में अपनी शक्ति स्थापित की।
- बंगाल की खाड़ी का ‘चोला झील‘ में परिवर्तन:
- चोल साम्राज्य ने अपनी सामरिक और नौसैनिक शक्ति से बंगाल की खाड़ी को ‘चोला झील’ में बदल दिया।
- इससे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा मिला और कई व्यापारिक केंद्र, जैसे नागपट्टिनम, स्थापित किए गए।
- महत्वपूर्ण नौसैनिक अभियान:
- राजराजा चोल ने कंडालुरसलाई जैसे क्षेत्रों में चेर नौसेना को नष्ट कर दिया और श्रीलंका के उत्तरी भाग पर आक्रमण कर वहां अपना नियंत्रण स्थापित किया। इ
- सके साथ ही, उन्होंने मालदीव पर भी विजय प्राप्त की।
- राजेंद्र चोल प्रथम ने अपने नौसैनिक अभियानों के तहत श्रीलंका के शेष हिस्से पर भी विजय प्राप्त की, जिससे पूरा द्वीप चोल साम्राज्य का हिस्सा बन गया।
- इसके अलावा, उन्होंने शैलेन्द्र साम्राज्य (जो मलय प्रायद्वीप और पड़ोसी द्वीपों तक फैला हुआ था) के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने मलय प्रायद्वीप और सुमात्रा के कई क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की।
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