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स्वच्छ भारत मिशन:
इस वर्ष, भारत सरकार स्वच्छ भारत मिशन के 10 साल पूरे होने का जश्न मना रही है। 2024 का अभियान 17 सितंबर से 1 अक्टूबर तक ‘स्वभाव स्वच्छता – संस्कार स्वच्छता’ थीम के साथ आयोजित किया जाएगा और 2 अक्टूबर को स्वच्छ भारत दिवस के साथ इसका समापन होगा। वर्ष 2017 से प्रत्येक वर्ष मनाए जा रहे ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान का उद्देश्य स्वच्छता और सामूहिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
मत्स्यपालन विभाग की भागीदारी:
- देश के सभी प्रमुख विभाग एवं मत्स्यपालन विभाग इस स्वच्छता अभियान में सक्रिय भागीदारी निभा रहा है।
- विभाग और इसकी क्षेत्रीय इकाइयां इस अवधि के दौरान स्वच्छता से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने में प्रमुख भूमिका निभाएंगी।
- इन गतिविधियों का उद्देश्य मछली बाजारों, बंदरगाहों और मछली लैंडिंग केंद्रों जैसे मत्स्यपालन से जुड़े बुनियादी ढांचे में स्वच्छता बनाए रखना है।
स्वच्छता जागरूकता और गतिविधियाँ:
- अभियान के दौरान विभिन्न स्थानों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
- इन कार्यक्रमों में मछली बाजार, मछली लैंडिंग केंद्र और फिश प्रोसेसिंग यूनिट्स पर स्वच्छता के महत्व को समझाया जाएगा।
- इसके अलावा, मछुआरों और अन्य हितधारकों को स्वच्छ मत्स्यपालन प्रथाओं और अपशिष्ट प्रबंधन को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
विशेष सफाई अभियान:
- मत्स्यपालन क्षेत्र से जुड़े बड़े बंदरगाह, जलीय कृषि फार्म और जलाशय जैसे स्थानों पर विशेष सफाई अभियान चलाए जाएंगे।
- इन अभियानों में प्लास्टिक कचरे, समुद्री मलबे और अन्य प्रदूषकों को हटाकर एक स्वच्छ और अधिक पर्यावरणीय संतुलित इकोसिस्टम बनाने पर जोर दिया जाएगा।
हितधारकों की भूमिका और जागरूकता:
- मत्स्यपालन विभाग अपने विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर पर्यावरण के अनुकूल अपशिष्ट प्रबंधन और कचरे के निपटान की प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करेगा।
- कचरे को अलग करने, खाद बनाने और पुनर्चक्रण पर विशेष जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिससे मत्स्यपालन गतिविधियों से होने वाले पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सके।
समुदाय के सहयोग से स्वच्छता का संदेश:
- मत्स्यपालन विभाग तटीय समुदायों, मछुआरों और जलीय कृषि किसानों के साथ मिलकर स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैलाएगा। इस पहल से मत्स्यपालन क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद मिलेगी।
स्वच्छता का महत्व और सतत विकास:
- इस अभियान के माध्यम से, मत्स्यपालन विभाग का उद्देश्य स्वच्छता के महत्व को बढ़ावा देना और स्वच्छ भारत मिशन में रचनात्मक योगदान देना है। इसका लक्ष्य है कि स्वच्छता और जागरूकता के माध्यम से भारत के मत्स्यपालन क्षेत्र का सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके।
मत्स्यपालन विभाग:
मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत आता है। यह विभाग देश में मत्स्य पालन से जुड़ी नीतियों और योजनाओं को तैयार करने और उनके क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाता है। विभाग का मुख्य उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र का विकास करना और इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाना है।
मत्स्यपालन के विभिन्न क्षेत्र:
यह विभाग तीन प्रमुख मत्स्य पालन क्षेत्रों से जुड़ा है:
- अंतर्देशीय मत्स्यिकी – भारत की आंतरिक जल निकायों में मछली पालन की योजनाओं पर काम करता है।
- समुद्री मत्स्यिकी – समुद्र में मछली पकड़ने और उसे संरक्षित करने के लिए योजनाएं बनाता है।
- तटीय मत्स्यिकी – तटीय क्षेत्रों में मछली पालन और जलीय कृषि के लिए नीतियाँ बनाता है।
मत्स्यपालन विभाग के प्रमुख संस्थान:
मत्स्यपालन विभाग के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण संस्थान आते हैं, जो इस क्षेत्र के विकास में योगदान दे रहे हैं:
- भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण (मुंबई)
- केन्द्रीय मत्स्य नौचालन एवं इंजीनियरी प्रशिक्षण संस्थान (सिफ़नेट), केरल
- केन्द्रीय मात्स्यिकी तटवर्ती इंजीनियरिंग संस्थान (सीआईसीईएफ़), बैंगलोर
- राष्ट्रीय मात्स्यिकी पोस्ट हार्वेस्ट प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण संस्थान (निफ़ेट), कोच्चि
- राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफ़डीबी), हैदराबाद
- तटीय जलकृषि प्राधिकरण, चेन्नई
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