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परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) ने 1 GeV कण त्वरक विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है, जो भारत के विशाल थोरियम भंडार का लाभ उठाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कण त्वरक का उद्देश्य थोरियम को ऐसे परमाणु ईंधन में बदलना है जो ऊर्जा उत्पादन में सहायक हो सके।
कण त्वरक क्या है?
कण त्वरक एक ऐसा उन्नत यंत्र है जो उप-परमाणु कणों (जैसे प्रोटॉन, इलेक्ट्रॉन, और न्यूट्रॉन) को उच्च गति पर ले जाकर थोरियम को यूरेनियम-233 में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को संभव बनाता है। यूरेनियम-233 एक विखंडनीय पदार्थ है, जिसका परमाणु रिएक्टरों में उपयोग कर ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।
वर्तमान में भारत में कई कण त्वरक (जैसे साइक्लोट्रॉन और सिंक्रोट्रॉन) हैं, लेकिन ये सभी 30 मेगा इलेक्ट्रॉन-वोल्ट (MeV) श्रेणी में आते हैं। 1 GeV त्वरक की स्थापना भारत में उच्च ऊर्जा न्यूट्रॉन उत्पादन के लिए आवश्यक कदम है।
थोरियम के लाभ और भारत का दृष्टिकोण:
थोरियम भंडार का उपयोग करते हुए भारत अपने ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों को और मजबूत कर सकता है।
- यूरेनियम-233 का प्रजनन: थोरियम को विकिरणित करने से यूरेनियम-233 उत्पन्न होता है, जो त्रि-स्तरीय परमाणु रणनीति के अनुरूप है। यह परमाणु ऊर्जा के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण विखंडनीय सामग्री का स्रोत बनेगा।
- उच्च बर्न-अप कॉन्फ़िगरेशन: थोरियम को यूरेनियम के साथ रिएक्टरों में जोड़कर अतिरिक्त ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।
- उच्च ऊर्जा प्रोटॉन त्वरक: 1 GeV त्वरक के माध्यम से न्यूट्रॉन का उत्पादन कर यूरेनियम-233 को प्रजनित करना संभव होगा। इस तकनीक का उपयोग त्वरक-चालित सबक्रिटिकल रिएक्टर प्रणाली (ADSS) के माध्यम से कुशल ऊर्जा उत्पादन में किया जा सकता है।
दूसरे नियोजित त्वरक: अनुसंधान के लिए एक नई दिशा
- वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए 1 GeV त्वरक: न्यूट्रॉन उत्पादन कर स्पैलेशन न्यूट्रॉन स्रोत का अध्ययन करना।
- सिंक्रोट्रॉन विकिरण स्रोत: एक्स-रे या यूवी प्रकाश उत्पन्न करना, जो कई वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए लाभकारी है।
वैश्विक स्तर पर महत्व:
1 GeV कण त्वरक की स्थापना से भारत उन्नत कण त्वरक प्रौद्योगिकी में दुनिया के चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा। यह भारत की वैज्ञानिक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ वैश्विक ऊर्जा आवश्यकताओं में योगदान देगा।
ANEEL ईंधन: थोरियम के प्रभावी उपयोग की दिशा में
ANEEL (एडवांस्ड न्यूक्लियर एनर्जी फॉर एनरिच्ड लाइफ), शिकागो स्थित क्लीन कोर थोरियम एनर्जी कंपनी द्वारा विकसित एक नया ईंधन मिश्रण है। यह विशेष HALEU (हाई एसे लो एनरिच्ड यूरेनियम) ईंधन थोरियम और यूरेनियम का संयोजन है।
- भारत में थोरियम-आधारित रिएक्टरों के लिए उपयुक्त: यह दाबित भारी जल रिएक्टरों (PHWR) में थोरियम को बेहतर तरीके से तैनात करने में सहायक है।
- विखंडनीयता बढ़ाने में सक्षम: ANEEL में थोरियम के साथ यूरेनियम-235 की न्यूनतम मात्रा होती है, जिससे यह अधिक कुशलता से काम कर सकता है।
थोरियम-आधारित ऊर्जा का लाभ:
- परमाणु अपशिष्ट में कमी: ANEEL ईंधन के उपयोग से परमाणु कचरे में कमी आती है।
- अधिक समय तक कार्यक्षमता: ANEEL ईंधन अधिक समय तक चलता है और कुशलता से जलता है।
- हथियारों के उपयोग के लिए अनुपयुक्त: ANEEL का व्यय किया गया ईंधन हथियार बनाने में उपयोगी नहीं होता।
बुनियादी ढांचागत चुनौतियाँ और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता:
HALEU ईंधन का उत्पादन अभी वैश्विक स्तर पर सीमित है। इसके वाणिज्यिक उत्पादन में रूस और चीन का प्रभुत्व है। भारत को अपने थोरियम भंडार का लाभ उठाने के लिए HALEU उत्पादन के बुनियादी ढांचे को विकसित करना होगा।
भारत के थोरियम भंडार: ऊर्जा का असीम स्रोत:
भारत के पास थोरियम का सबसे बड़ा भंडार है, जिसका अनुमानित मूल्य 1.07 मिलियन टन है। यह भंडार भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को एक सदी से अधिक समय तक पूरा कर सकता है। केरल के समुद्र तटों पर पाई जाने वाली मोनाज़ाइट रेत थोरियम का प्रमुख स्रोत है।
निष्कर्ष: भारत में 1 GeV कण त्वरक और ANEEL ईंधन का उपयोग हरित ऊर्जा सुरक्षा और नेट-ज़ीरो लक्ष्य प्राप्त करने में सहायक सिद्ध हो सकता है। यह देश को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकता है और वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र में एक नई भूमिका के लिए तैयार कर सकता है।
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