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अपशिष्ट पृथक्करण क्या हैं?

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संदर्भ:

अपशिष्ट पृथक्करण: सुप्रीम कोर्ट ने कचरे के स्रोत पर ही पृथक्करण की अनिवार्यता पर जोर देते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के राज्यों से इसकी प्रभावी क्रियान्वयन पर सवाल उठाए। अदालत ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 (SWM Rules, 2016) के तहत नियमों के पालन पर राज्यों से जवाब मांगा।

ठोस अपशिष्ट (Solid Waste) और स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण

ठोस अपशिष्ट (Solid Waste) क्या है?

  • यह किसी भी प्रकार के कचरे, कूड़े, त्यागी गई सामग्री को संदर्भित करता है, जो घरों, उद्योगों, व्यवसायों और अन्य मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न होता है।
  • पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभावों को रोकने के लिए इसका उचित प्रबंधन आवश्यक है।

स्रोत पर कचरे का पृथक्करण (Waste Segregation at Source)

  • कचरे को उत्पत्ति के स्थान पर पहचानने, वर्गीकृत करने, विभाजित करने और छांटने की प्रक्रिया है ताकि उसके सही निपटान, पुनर्चक्रण (Recycling) और प्रबंधन को सुगम बनाया जा सके।
  • यह कचरे को उसकी जैविक, भौतिक और रासायनिक विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत करता है।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 (SWM Rules, 2016)

ये नियम कचरे को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं:

  1. जैवअविघटनशील– ऐसा कार्बनिक (Organic) कचरा जो सूक्ष्मजीवों द्वारा सरल यौगिकों में परिवर्तित किया जा सकता है। उदाहरण: भोजन के अवशेष, गीला कागज, मिट्टी लगे रैपर आदि।
  2. गैरजैवअविघटनशील– पुनर्नवीनीकरण योग्य (Recyclable) या गैर-पुनर्नवीनीकरण योग्य (Non-Recyclable) सामग्री, जैसे प्लास्टिक, कांच, धातु आदि।
  3. घरेलू खतरनाक अपशिष्ट– इसमें डायपर, नैपकिन, मच्छर प्रतिरोधक, सफाई एजेंट आदि आते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

कचरे के पृथक्करण का महत्व:

  1. लैंडफिल बोझ कम करना– कचरे की मात्रा घटाकर भूमि प्रदूषण और मीथेन उत्सर्जन रोकता है।
  2. पुनर्चक्रण बढ़ाना– जैविक कचरे को खाद और गैर-जैविक को पुनर्नवीनीकरण में उपयोगी बनाता है।
  3. प्रदूषण रोकना– मिट्टी, जल और वायु को विषैले कचरे से बचाता है।
  4. ऊर्जा उत्पादन बढ़ाना– पृथक कचरा ऊर्जा संयंत्रों की दक्षता सुधारता है।

कचरे के पृथक्करण में चुनौतियाँ

  1. कमजोर नियम प्रवर्तनठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 लागू होने के बावजूद नगर निकायों में उचित निगरानी और संसाधनों की कमी के कारण इनका सख्ती से पालन नहीं हो पाता।
  2. अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा– कई शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पृथक कचरा संग्रहण और प्रसंस्करण की उचित सुविधाएँ नहीं हैं, जिससे मिश्रित कचरे का निपटान बढ़ता है।
  3. जनजागरूकता की कमी– अधिकांश लोग कचरे के पृथक्करण के लाभों से अवगत नहीं होते या अपनी आदतों में बदलाव लाने से हिचकिचाते हैं, जिससे उचित कचरा प्रबंधन बाधित होता है।
  4. कचरा प्रबंधकों का विरोध– सफाई कर्मचारी और अनौपचारिक कचरा बीनने वाले पृथक्कृत कचरे को संभालने के लिए जरूरी प्रशिक्षण और आर्थिक प्रोत्साहन से वंचित रहते हैं, जिससे वे इसे अपनाने में रुचि नहीं लेते।

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