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यानादी आंध्र प्रदेश की एक प्रमुख अनुसूचित जनजाति है, जिसे भारत के सबसे कमजोर आदिवासी समूहों में से एक माना जाता है। इस समुदाय के लोग गरीबी और सामाजिक बहिष्कार जैसी कठिन परिस्थितियों में रहते हैं। यानादी समुदाय की बड़ी संख्या पूर्वी तटीय राज्य आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के मैदानी इलाकों में पाई जाती है।
यानादी जनजाति की प्रमुख विशेषताएँ:
- भाषा: यानादी की मातृभाषा तेलुगु है।
- पारंपरिक जीविका: यानादी लोग शिकार, संग्रहण और कृषि में संलग्न रहते आए हैं। भूमि और उसके संसाधनों का गहरा ज्ञान उनके पारंपरिक जीवन का हिस्सा है।
- पारंपरिक स्वास्थ्य ज्ञान: यानादी समुदाय के पास औषधीय पौधों का समृद्ध ज्ञान है, जिसका उपयोग वे रोजमर्रा की स्वास्थ्य समस्याओं और विशिष्ट बीमारियों के उपचार में करते हैं, जैसे जठरांत्र, श्वसन, त्वचा संबंधी और प्रजनन स्वास्थ्य समस्याएँ। उनके पास सांप के काटने का इलाज करने का भी विशेष ज्ञान है।
- धार्मिक मान्यताएँ और त्यौहार: वनस्पतियों से जुड़ी उनकी कई धार्मिक मान्यताएँ और उत्सव हैं, जो उनकी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।
- धीम्सा नृत्य: यह एक पारंपरिक नृत्य है जो यानादी समुदाय द्वारा त्योहारों और विशेष अवसरों पर किया जाता है।
भारत में अनुसूचित जनजातियाँ:
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 366(25) और अनुच्छेद 342 के तहत कुछ जनजातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया है।
- ये जनजातियाँ विशेष अधिकारों और संरक्षणों की पात्र हैं।
- राष्ट्रपति या राज्यपाल राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के संदर्भ में जनजातियों को अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित कर सकते हैं, जिससे वे विशेष सरकारी योजनाओं और विकास कार्यक्रमों का लाभ उठा सकें।
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