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वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक 2024

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भारत ने वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (GCI) 2024 में शीर्ष टियर यानी टियर 1 का दर्जा प्राप्त किया है। यह मान्यता अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) द्वारा प्रकाशित की गई है, जिसमें भारत ने 100 में से 98.49 का उत्कृष्ट स्कोर हासिल किया है। इस उपलब्धि के साथ, भारत ‘रोल-मॉडलिंग’ देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जो देश की साइबर सुरक्षा प्रयासों के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (जीसीआई):

  • वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (जीसीआई) एक महत्वपूर्ण संदर्भ है जो विश्व स्तर पर देशों की साइबर सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को मापता है। इसका उद्देश्य साइबर सुरक्षा के महत्व और विभिन्न आयामों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
  • चूंकि साइबर सुरक्षा का क्षेत्र कई उद्योगों और क्षेत्रों में फैला हुआ है, इसलिए प्रत्येक देश के विकास या जुड़ाव के स्तर का मूल्यांकन कानूनी उपाय, तकनीकी उपाय, संगठनात्मक उपाय, क्षमता विकास और सहयोग पाँच स्तंभों के आधार पर किया जाता है।
  • इन स्तंभों के माध्यम से एक समग्र स्कोर तैयार किया जाता है, जो देशों की साइबर सुरक्षा स्थितियों का विश्लेषण करता है।
  • बहु-हितधारक दृष्टिकोण: जीसीआई विभिन्न संगठनों की क्षमता और विशेषज्ञता का लाभ उठाता है, जिसका लक्ष्य सर्वेक्षण की गुणवत्ता में सुधार करना, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, और इस विषय पर ज्ञान का आदान-प्रदान करना है।

दूरसंचार विभाग की भूमिका:

दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, यह साइबर सुरक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है और भारत के दूरसंचार क्षेत्र की उल्लेखनीय वृद्धि को उजागर करता है।”

GCI 2024 का मूल्यांकन:

GCI 2024 ने पांच मुख्य स्तंभों पर आधारित राष्ट्रीय प्रयासों का मूल्यांकन किया:

  1. कानूनी
  2. तकनीकी
  3. संगठनात्मक
  4. क्षमता विकास
  5. सहयोग

इसमें 83 प्रश्नों के माध्यम से 20 संकेतकों, 64 उप-संकेतकों और 28 माइक्रो-संकेतकों को कवर किया गया है, जो प्रत्येक देश के साइबर सुरक्षा परिदृश्य का व्यापक मूल्यांकन करता है।

भारत की साइबर सुरक्षा रणनीति:

  • भारत का यह बेहतर प्रदर्शन सरकार की साइबर रेजिलिएंस बढ़ाने के लिए की गई पहलों का परिणाम है। देश की कानूनी संस्थाएं साइबर सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने और साइबर अपराध से लड़ने के लिए तैयार हैं।
  • इसके अतिरिक्त, सेक्टोरल कंप्यूटर इंसिडेंट रेस्पॉन्स टीमें (सीएसआईआरटी) तकनीकी सहायता और घटना रिपोर्टिंग प्रदान करती हैं, जो साइबर सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करती हैं।
  • शिक्षा और जागरूकता : भारत की साइबर सुरक्षा रणनीति में शिक्षा और जागरूकता एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। लक्षित अभियान और शैक्षिक पहलें विभिन्न क्षेत्रों में सुरक्षित ऑनलाइन प्रथाओं को बढ़ावा देती हैं, जिसमें प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पाठ्यक्रम में साइबर सुरक्षा का समावेश शामिल है।
  • अनुसंधान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग : भारत में प्रोत्साहन और अनुदान ने कौशल विकास और अनुसंधान को बढ़ावा दिया है। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ने भारत की साइबर सुरक्षा क्षमताओं को और मजबूत किया है।

अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू):

  • संस्थापक: आईटीयू, संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है।
  • सदस्य: 194 सदस्य देश और 1000 से अधिक कंपनियाँ, विश्वविद्यालय और अन्य संगठन शामिल हैं।
  • मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
  • स्थापना वर्ष: 1865, टेलीग्राफ़ के आरंभ से दुनिया को जोड़ने का कार्य कर रहा है।

आईटीयू के कार्य:

  • वैश्विक संचार नेटवर्क: अंतरराष्ट्रीय संपर्क को सुगम बनाना।
  • रेडियो स्पेक्ट्रम आवंटन: वैश्विक रेडियो स्पेक्ट्रम और उपग्रह कक्षाएँ आवंटित करना।
  • तकनीकी मानक विकास: नेटवर्क और प्रौद्योगिकियों के बीच निर्बाध संबंध सुनिश्चित करने के लिए मानक विकसित करना।
  • डिजिटल प्रौद्योगिकियों की पहुँच: वंचित समुदायों में डिजिटल प्रौद्योगिकियों तक पहुँच बेहतर बनाना।

आईटीयू का महत्व:

  • डिजिटल संपर्क: सभी के लिए डिजिटल संपर्क लाने का प्रयास करना।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: सदस्यों और भागीदारों के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय समझौतों और मानकों को आगे बढ़ाना।
  • ज्ञान साझा करना: तकनीकी ज्ञान साझा करना और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना।

प्रौद्योगिकी का प्रभाव:

  • आईटीयू के कार्यों पर निर्भरता: मोबाइल फोन, ईमेल, इंटरनेट, टीवी, मौसम पूर्वानुमान, और उपग्रह चित्रों के उपयोग में आईटीयू का योगदान महत्वपूर्ण है।
  • डिजिटल विभाजन: 2.6 बिलियन लोग, विशेषकर विकासशील देशों में, बिना किसी कनेक्शन के रह जाते हैं। आईटीयू इस डिजिटल विभाजन को समाप्त करने का प्रयास कर रहा है।

आईटीयू की भूमिका आज के डिजिटल युग में और भी महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि यह वैश्विक संचार और सूचना के प्रवाह को सुगम बनाता है।

 निष्कर्ष:

GCI 2024 में टियर 1 पर भारत की छलांग देश की उन्नत साइबर सुरक्षा प्रतिबद्धताओं का स्पष्ट संकेतक है। यह न केवल भारत सरकार के समर्पण को दर्शाता है, बल्कि अन्य देशों के लिए भी एक मानक स्थापित करता है। DoT ने वैश्विक मंच पर अपने डिजिटल बुनियादी ढांचे को सुरक्षित करने में भारत के प्रयासों का नेतृत्व किया है।

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