हाल ही में, दुनिया भर में कार्बन-न्यूट्रल प्रमाणित फर्मों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन उनमें से कई अपनी पर्यावरणीय उपलब्धियों को बढ़ावा नहीं देना चाहते हैं। इससे “Greenwashing” के रूप में जाना जाने वाला वैश्विक रुझान उभर रहा है।
Greenwashing क्या है?
ग्रीनहशिंग (Greenwashing) एक मार्केटिंग रणनीति है जिसमें कंपनियाँ या संगठन अपने उत्पादों या सेवाओं को अधिक पर्यावरण के अनुकूल या टिकाऊ के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जबकि वास्तव में उनके प्रथाएँ या उत्पाद इस दावे के विपरीत होते हैं। यह उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिलाने के लिए किया जाता है कि वे पर्यावरण के लिए जिम्मेदार हैं, जबकि वास्तव में उनके कार्य या उत्पादों का पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव होता है।
कंपनियाँ Greenwashing क्यों करती हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका में मुकदमेबाजी संबंधी चिंताएँ: अमेरिका में सार्वजनिक कंपनियों को मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है यदि उन्हें शेयरधारक मुनाफे की तुलना में स्थिरता को प्राथमिकता देते हुए देखा जाता है। यह कानूनी जोखिम कंपनियों को अपने पर्यावरणीय पहलों पर खुलकर चर्चा करने से हतोत्साहित करता है।
- ईएसजी के विरुद्ध प्रतिक्रिया: अमेरिका के रूढ़िवादी राज्यों में ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) प्रयासों के खिलाफ प्रतिक्रिया हुई है। इसने कुछ कंपनियों को राजनीतिक और नियामक जांच से बचने के लिए अपने पर्यावरणीय लक्ष्यों पर चर्चा करना बंद करने के लिए प्रेरित किया है।
- हरित उत्पादों की निम्न गुणवत्ता: कई उपभोक्ता हरित उत्पादों को निम्न गुणवत्ता या उच्च कीमत से जोड़ते हैं। इसलिए, कई कंपनियाँ अपने उत्पादों के पर्यावरणीय लाभों को बढ़ावा देने में अनिच्छुक रहती हैं।
- भविष्योन्मुखी प्रतिबद्धताओं से बचना: जो कंपनियाँ अपने स्थायित्व प्रयासों के बारे में मुखर होती हैं, उनसे उच्च मानकों की अपेक्षा की जाती है। चुप रहकर, कंपनियाँ भविष्य की प्रतिबद्धताओं की अपेक्षाओं से बच सकती हैं।
- ग्राहकों की असुविधा से बचना: कई व्यवसाय अपने ग्राहकों को असुविधा से बचाने के लिए अपने पर्यावरणीय प्रयासों को गुप्त रखना पसंद करते हैं, खासकर जब लोग छुट्टियों पर होते हैं।
- ग्रीनवाशिंग के आरोप: ग्रीनवाशिंग के सार्वजनिक आरोप किसी फर्म की छवि को नुकसान पहुँचा सकते हैं। आलोचना के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए, ये फर्म बाहरी दर्शकों से अपनी उपलब्धियों को गुप्त रखना पसंद करती हैं।
- उपभोक्ताओं की मांग में कमी: कई उपभोक्ता कार्बन तटस्थता के बारे में अनभिज्ञ हैं या खरीदारी का निर्णय लेते समय शायद ही कभी कार्बन तटस्थ उत्पादों के बारे में पूछते हैं। ग्राहकों की मांग के बिना, कंपनियाँ अपनी कार्बन तटस्थता के विज्ञापन पर धन खर्च करने में अनिच्छुक रहती हैं।
कंपनियाँ कार्बन न्यूट्रल प्रमाणित क्यों होती हैं?
- प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ: कार्बन तटस्थता प्रतिस्पर्द्धियों से खुद को अलग करने में मदद करती है और बेहतर शर्तों पर वित्त तक पहुँच बनाती है।
- सामाजिक प्रमुखता बनाए रखना: कंपनियाँ अपनी सामाजिक प्रमुखता बनाए रखने के लिए कार्बन तटस्थता की मांग करती हैं, जिससे हितधारकों के विश्वास में सुधार होता है।
- नैतिक प्रतिबद्धता: नैतिक रूप से प्रेरित कंपनियाँ कार्बन तटस्थता का प्रयास करती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा करना सही है।
Greenwashing से संबंधित चिंताएँ:
- बढ़ती वैश्विक प्रवृत्ति: जलवायु परामर्श फर्म साउथ पोल की एक रिपोर्ट में पाया गया कि 58% कंपनियाँ बढ़ती हुई विनियमन और जांच के कारण अपने जलवायु संबंधी संचार को कम कर रही हैं।
- पारदर्शिता में कमी: जब कंपनियाँ अपने स्थिरता प्रयासों के बारे में खुलकर जानकारी नहीं देती हैं, तो उनकी प्रगति का आकलन करना कठिन हो जाता है।
- वैश्विक स्थिरता परिवर्तन में धीमापन: यदि व्यवसाय अपने पर्यावरणीय प्रयासों के बारे में जानकारी रोकते हैं, तो इससे धारणीय प्रथाओं को अपनाने में देरी हो सकती है।
- उपभोक्ताओं पर प्रभाव: जब कंपनियाँ अपनी स्थिरता संबंधी उपलब्धियों के बारे में चुप रहती हैं, तो इससे उपभोक्ता कम टिकाऊ उत्पाद खरीदना जारी रख सकते हैं।
Greenwashing की समस्या से निपटने के लिये क्या किया जा सकता है?
- सततता पर प्रकाश डालना: कंपनियों को यह समझाना चाहिए कि पर्यावरणीय स्थिरता एक यात्रा है न कि एक लक्ष्य।
- बेहतर विनियमन और दिशा-निर्देश: बेहतर विनियमन स्पष्टता ला सकते हैं, विश्वास का निर्माण कर सकते हैं।
सततता पर उपभोक्ता शिक्षा: उपभोक्ताओं की जागरूकता बढ़ाने से हरित उत्पादों के प्रति नकारात्मक धारणा को परिवर्तित किया जा सकता है।
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