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iDEX परियोजना

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आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत, भारतीय सेना ने इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (iDEX) के माध्यम से आठवें खरीद अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। यह अनुबंध मेसर्स क्यूयूएनयू लैब्स के साथ किया गया, जो ‘क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन’ की खरीद से संबंधित है। इस तकनीक से एल्गोरिथम-आधारित एन्क्रिप्शन सिस्टम को प्रतिस्थापित किया जाएगा, जिससे सेना की संचार सुरक्षा में सुधार होगा।

iDEX का उद्देश्य:

iDEX का शुभारंभ 12 अप्रैल 2018 को रक्षा एक्सपो इंडिया 2018 के दौरान माननीय प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य है:

  • रक्षा एवं एयरोस्पेस क्षेत्र में नवाचारों को प्रोत्साहित करना।
  • स्टार्टअप्स, एमएसएमई, अनुसंधान एवं विकास (R&D) संस्थानों, और अन्य नवोन्मेषकों को सहयोग देना।
  • तकनीकी विकास को बढ़ावा देना जो भविष्य में भारतीय रक्षा और अंतरिक्ष संगठनों के लिए उपयोगी हो सके।

क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन:

क्यूयूएनयू लैब्स ने 200 किमी सिंगल हॉप क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन का प्रस्ताव iDEX के ओपन चैलेंज 2.0 के तहत रखा था। यह तकनीक सेना की संचार प्रणाली को अधिक सुरक्षित बनाएगी और जनशक्ति संबंधित प्रतिबद्धता को बढ़ाएगी।

क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) के बारे में:

क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD), जिसे क्वांटम क्रिप्टोग्राफी भी कहा जाता है, एक उन्नत तकनीक है जो सुरक्षित संचार के लिए गुप्त कुंजियों (Secret Keys) को साझा और वितरित करने का साधन प्रदान करती है। QKD की मदद से जानकारी साझा करने का तरीका पारंपरिक क्रिप्टोग्राफी से अलग है, क्योंकि यह भौतिकी के मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है, न कि केवल गणितीय एल्गोरिदम पर।

QKD की विशेषताएँ:

  1. सुरक्षित कुंजी वितरण: QKD एक तरीका है जिसके द्वारा क्रिप्टोग्राफिक प्रोटोकॉल के लिए आवश्यक गुप्त कुंजियों को सुरक्षित रूप से साझा किया जा सकता है।
  2. क्वांटम यांत्रिकी का उपयोग: QKD भौतिकी के नियमों का उपयोग करता है, खासकर क्वांटम यांत्रिकी का, जो इसे अधिक सुरक्षित बनाता है। किसी भी अवांछित इंटरसेप्शन का तुरंत पता चल जाता है।
  3. अत्यधिक सुरक्षा: यह तकनीक पारंपरिक एल्गोरिदम से अधिक सुरक्षित है, क्योंकि इसकी सुरक्षा गणितीय जटिलताओं पर आधारित नहीं होती, बल्कि क्वांटम सिद्धांत पर आधारित होती है, जो उसे छेड़छाड़ से अछूता बनाती है।

पारंपरिक क्रिप्टोसिस्टम और QKD में अंतर:

  • पारंपरिक क्रिप्टोसिस्टम: ये क्रिप्टोग्राफी गणितीय एल्गोरिदम की जटिलता पर आधारित होते हैं। उदाहरण के लिए, RSA या AES जैसे एन्क्रिप्शन प्रोटोकॉल जटिल गणितीय समस्याओं को सुलझाने की क्षमता पर निर्भर करते हैं।
  • QKD: क्वांटम क्रिप्टोग्राफी की सुरक्षा भौतिकी के नियमों पर आधारित होती है। इसका मतलब है कि अगर कोई संदेश को इंटरसेप्ट करने की कोशिश करता है, तो यह प्रक्रिया तुरंत विफल हो जाती है, क्योंकि क्वांटम यांत्रिकी के नियमों के अनुसार, कोई भी अवलोकन प्रणाली को बाधित करता है।

क्रिप्टोग्राफी का महत्व:

क्रिप्टोग्राफी का उपयोग सुरक्षित संचार के लिए किया जाता है, जहां केवल प्रेषक और संदेश का प्राप्तकर्ता ही संदेश को समझ सकते हैं। इसके लिए क्रिप्टोग्राफिक एल्गोरिदम और प्रोटोकॉल बनाए जाते हैं, ताकि विशेष रूप से इंटरनेट जैसे असुरक्षित नेटवर्क के माध्यम से भेजे गए डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

iDEX की उपलब्धियां:

  • वर्तमान में iDEX के तहत 74 एआई प्रोजेक्ट चल रहे हैं।
  • कुल 77 स्टार्टअप्स को भारतीय सेना के लिए अत्याधुनिक समाधान विकसित करने के लिए सहायता मिल रही है।
  • सेना द्वारा पहले ही चार उपकरणों का उपयोग किया जा चुका है, और उनके परिणामों के आधार पर तकनीकी विकास को और अधिक गति दी जाएगी।

iDEX ने रक्षा स्टार्टअप समुदाय के साथ मजबूत संपर्क स्थापित कर भारत की रक्षा तकनीक में नवाचार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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