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भारत-मालदीव संबंध: व्यापक आर्थिक एवं समुद्री सुरक्षा भागीदारी संबंधी विज़न

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हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज़ू की नई दिल्ली में मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों (India–Maldives Relations) के विभिन्न पहलुओं की व्यापक समीक्षा की और भारत-मालदीव के ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ और विशेष संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में प्रयास किए गए।

India–Maldives Relations के प्रमुख बिंदु:

भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और विकास सहयोग को बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। इस सहयोग का उद्देश्य न केवल राजनीतिक और विकासात्मक परियोजनाओं को गति देना है, बल्कि जन-केंद्रित विकास को सुनिश्चित करना भी है।

  1. राजनीतिक आदान-प्रदान:
  • दोनों देशों ने सांसदों और स्थानीय सरकार के प्रतिनिधियों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का निर्णय लिया।
  • साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर, दोनों देशों की संसदों के बीच संस्थागत सहयोग को सक्षम करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) किया जाएगा।
  1. विकास सहयोग:
  • विकासात्मक परियोजनाएं: दोनों देश मालदीव की आवश्यकताओं के अनुरूप विकासात्मक परियोजनाओं को आगे बढ़ाएंगे। इनमें बंदरगाह, हवाई अड्डे, आवास, अस्पताल, सड़कों, खेल सुविधाओं, स्कूलों और जल एवं सीवरेज के क्षेत्रों में सहयोग शामिल है।
  • आवास परियोजनाएं: मालदीव को आवास चुनौतियों का समाधान करने और भारत की मदद से चल रही सामाजिक आवास परियोजनाओं को तेज करने में मदद मिलेगी।
  • ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना (GMCP): इस महत्वपूर्ण परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए भारत का पूर्ण समर्थन रहेगा। साथ ही, थिलाफुशी और गिरावारु द्वीपों के विस्तार के लिए व्यवहार्यता अध्ययन किया जाएगा।
  • वाणिज्यिक बंदरगाह: मालदीव के थिलाफुशी द्वीप पर एक अत्याधुनिक वाणिज्यिक बंदरगाह विकसित करने के लिए दोनों देश मिलकर काम करेंगे। यह माले बंदरगाह की भीड़ को कम करेगा और बेहतर कार्गो हैंडलिंग क्षमता प्रदान करेगा।
  • आर्थिक गेटवे परियोजना: इहावनधिप्पोलु और गाधू द्वीपों पर ट्रांसशिपमेंट सुविधाओं और बंकरिंग सेवाओं के विकास के लिए सहयोग की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।
  • हवाई अड्डों का विकास: हनीमाधू और गण हवाई अड्डों की क्षमता का अधिकतम उपयोग करने के लिए दोनों देशों के बीच संयुक्त प्रयास होंगे। इस दिशा में हवाई संपर्क को मजबूत किया जाएगा और निवेश आकर्षित करने के लिए सहयोग किया जाएगा।
  • कृषि और मछली प्रसंस्करण: हा धालू एटोल में एक “कृषि आर्थिक क्षेत्र” और हा अलीफू एटोल में मछली प्रसंस्करण और डिब्बाबंदी सुविधा विकसित की जाएगी।
  • उच्च प्रभाव सामुदायिक परियोजनाएं: भारत-मालदीव जन-केंद्रित विकास भागीदारी को मालदीव के हर भाग तक ले जाने के लिए सफल सामुदायिक विकास परियोजनाओं को अतिरिक्त वित्तपोषण के जरिए आगे बढ़ाया जाएगा।
  1. व्यापार और आर्थिक सहयोग:
  • मुक्त व्यापार समझौता: दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते पर विचार-विमर्श शुरू किया जाएगा।
  • स्थानीय मुद्रा में व्यापार: व्यापार संबंधों को मजबूत करने और विदेशी मुद्रा पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से, दोनों देश स्थानीय मुद्राओं में व्यापार लेन-देन के निपटान की दिशा में काम करेंगे।
  • निवेश को प्रोत्साहन: दोनों देशों के बिजनेस चेंबर्स और संस्थाओं के बीच जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए निवेश के अवसरों की जानकारी का प्रसार किया जाएगा और व्यापार करने में सुगमता के सुधार हेतु कदम उठाए जाएंगे।
  • अर्थव्यवस्था का विविधीकरण: मालदीव की अर्थव्यवस्था को कृषि, मत्स्य, समुद्र विज्ञान और समुद्री अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में सहयोग देकर विविध करने के प्रयासों का समर्थन किया जाएगा। इसमें अकादमिक संबंध और अनुसंधान एवं विकास सहयोग का विस्तार किया जाएगा।
  • पर्यटन को बढ़ावा: विपणन अभियानों और सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से दोनों देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा।
  1. डिजिटल और वित्तीय सहयोग:
  • डिजिटल और वित्तीय सेवाओं का विस्तार: दोनों देशों के बीच डिजिटल और वित्तीय सेवाओं के कार्यान्वयन पर विशेषज्ञता साझा की जाएगी।
  • यूपीआई और डिजिटल सेवाएं: भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (UPI), विशिष्ट डिजिटल पहचान, और गति शक्ति योजना जैसी डिजिटल सेवाओं को मालदीव में लागू किया जाएगा, जिससे ई-गवर्नेंस और सेवाओं की डिलीवरी में सुधार होगा।
  • रूपे कार्ड का विस्तार: मालदीव में रूपे कार्ड के शुभारंभ का स्वागत किया गया है। यह भारतीय पर्यटकों के लिए भुगतान को आसान बनाएगा और इसी तरह भारत आने वाले मालदीव के नागरिकों के लिए समान सेवाओं का विस्तार करने पर भी सहमति बनी।
  1. ऊर्जा सहयोग:
  • नवीकरणीय ऊर्जा: ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने और मालदीव को अपने एनडीसी लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए सौर ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, और ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं पर सहयोग किया जाएगा।
  • वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड पहल: मालदीव को इस पहल में शामिल करने के लिए उपायों की पहचान करने हेतु एक व्यवहार्यता अध्ययन किया जाएगा।
  1. स्वास्थ्य सहयोग: भारत और मालदीव ने स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इनका उद्देश्य दोनों देशों के नागरिकों को उच्च गुणवत्ता वाली, वहनीय और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है, साथ ही स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है।
  • स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच: मालदीव के लोगों के लिए भारत में सुरक्षित, गुणवत्तायुक्त और किफायती स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। दोनों देशों के अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। मालदीव में स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार किया जाएगा।
  • जन औषधि केंद्र और सस्ती दवाएं: मालदीव सरकार द्वारा भारतीय औषधि कोष (फार्माकोपिया) को मान्यता देने की दिशा में काम किया जाएगा। मालदीव में सस्ती और गुणवत्तायुक्त जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत-मालदीव जन औषधि केंद्रों की स्थापना की जाएगी।
  • मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: मालदीव में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए भारत का सहयोग प्राप्त होगा, जिसमें केंद्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना शामिल है।
  • स्वास्थ्य पेशेवरों का प्रशिक्षण: स्वास्थ्य पेशेवरों के कौशल और ज्ञान को बढ़ाने के लिए दोनों देशों द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
  • स्वास्थ्य अनुसंधान और आम स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान: कैंसर और बांझपन जैसी आम स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने के लिए दोनों देश स्वास्थ्य अनुसंधान पहलों पर मिलकर काम करेंगे।
  • नशीली दवाओं की लत से मुक्ति: नशीली दवाओं की लत से छुटकारा पाने के लिए विशेषज्ञता साझा की जाएगी और मालदीव में पुनर्वास केंद्रों की स्थापना में सहायता प्रदान की जाएगी।
  • आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं: आपातकालीन चिकित्सा स्थितियों में तेजी से मदद पहुंचाने और प्रभावित लोगों को निकालने की क्षमता बढ़ाने के लिए मालदीव की मदद की जाएगी।
  1. रक्षा और सुरक्षा सहयोग: भारत और मालदीव ने हिंद महासागर क्षेत्र में साझा सुरक्षा और विकास चुनौतियों का सामना करने के लिए रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की है। दोनों देश इस क्षेत्र में प्राकृतिक साझेदार होने के नाते, समुद्री सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे।
  • समुद्री चुनौतियों का समाधान: मालदीव अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र में समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ना, नशीली दवाओं की तस्करी, और आतंकवाद जैसी पारंपरिक और गैर-पारंपरिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। भारत, एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में, मालदीव को विशेषज्ञता, क्षमताओं और सहयोगी उपायों के जरिए समर्थन करेगा।
  • यूटीएफ एकथाबंदरगाह परियोजना: भारत और मालदीव ‘उथुरु थिला फल्हु’ (यूटीएफ) बंदरगाह परियोजना की परिचालन क्षमताओं को समय पर पूरा करने पर सहमत हुए हैं, जो मालदीव के राष्ट्रीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • रक्षा मंच और सहयोग: भारत मालदीव की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए रक्षा मंचों और परिसंपत्तियों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा। यह सहयोग मालदीव की समुद्री और सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए होगा।
  • रडार और निगरानी प्रणाली: मालदीव की निगरानी क्षमता को बढ़ाने के लिए एमएनडीएफ को रडार प्रणाली और अन्य उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी, जिससे उसकी समुद्री सुरक्षा मजबूत होगी।
  • क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण: भारत मालदीव को क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण में मदद करेगा, विशेषकर समुद्री क्षेत्रों के मापन और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में।
  • आपदा प्रतिक्रिया और जोखिम न्यूनीकरण: आपदा प्रतिक्रिया और जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में दोनों देश सहयोग को और मजबूत करेंगे, जिसमें मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) और आपदा प्रबंधन अभ्यास का विकास शामिल होगा।
  • सूचना क्षेत्र में सहयोग: बुनियादी ढांचे के विकास और प्रशिक्षण के साथ-साथ सर्वोत्तम कार्यविधियों को साझा करके मालदीव की सूचना क्षमताओं को मजबूत किया जाएगा।
  • मालदीव रक्षा मंत्रालय (एमओडी) भवन: माले में निर्मित अत्याधुनिक मालदीव रक्षा मंत्रालय भवन का शीघ्र उद्घाटन किया जाएगा, जो मालदीव की रक्षा अवसंरचना को आधुनिक बनाएगा।
  • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: आईटीईसी कार्यक्रमों और भारत के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के तहत एमएनडीएफ, मालदीव पुलिस सेवा (एमपीएस), और अन्य सुरक्षा संगठनों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण केंद्रों को बढ़ाया जाएगा।
  • वित्तीय सहायता: भारत मालदीव को अवसंरचना विकसित और उन्नत करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग को और मजबूती मिलेगी।
  1. क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण : मालदीव की मानव संसाधन विकास संबंधी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, भारत और मालदीव ने प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए समर्थन का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की।
  • सिविल सेवकों के लिए प्रशिक्षण: मालदीव में सिविल सेवकों और स्थानीय सरकार के प्रतिनिधियों के लिए आवश्यकताओं के अनुसार प्रशिक्षण कार्यक्रमों को जारी रखा जाएगा।
  • महिला उद्यमिता को बढ़ावा: मालदीव की महिलाओं द्वारा अर्थव्यवस्था में बढ़ती भागीदारी के लिए एक नया कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा, जो महिला-नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देगा।
  • युवाओं के लिए स्टार्ट-अप इनक्यूबेटर-एक्सेलेरेटर: युवाओं के कौशल के बेहतर इस्तेमाल के लिए मालदीव में स्टार्ट-अप इनक्यूबेटर-एक्सेलेरेटर की स्थापना में सहयोग किया जाएगा।
  1. लोगों के बीच संबंध : भारत और मालदीव के लोगों के बीच के संबंध, दोनों देशों के बीच घनिष्ठता का आधार हैं। इन संबंधों को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगे:
  • वाणिज्य दूतावासों की स्थापना: बेंगलुरु में मालदीव का एक वाणिज्य दूतावास और अड्डू शहर में भारत का वाणिज्य दूतावास स्थापित करने की दिशा में सकारात्मक प्रयास किए जाएंगे।
  • हवाई और समुद्री संपर्क: यात्रा को आसान बनाने और आर्थिक जुड़ाव का समर्थन करने के लिए हवाई और समुद्री संपर्क को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा।
  • शिक्षा और कौशल केंद्रों की स्थापना: मालदीव की आवश्यकताओं के अनुसार उच्च शिक्षा संस्थानों, कौशल केंद्रों और उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना की जाएगी।
  • आईसीसीआर चेयर का स्थापना: मालदीव राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में आईसीसीआर चेयर स्थापित करने के प्रयास किए जाएंगे।
  1. क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग : भारत और मालदीव के बीच घनिष्ठ सहयोग ने दोनों देशों को क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लाभ पहुंचाया है। हाल ही में कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (सीएससी) के चार्टर पर हस्ताक्षर करने से, भारत और मालदीव ने एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र के लिए अपने साझा समुद्री और सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है।
  • बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग: दोनों पक्षों ने साझा हितों के मुद्दों पर एक-दूसरे की आवाज को उठाने के लिए बहुपक्षीय मंचों पर मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की है।
  • उच्च स्तरीय कोर समूह का गठन: दोनों नेताओं ने भारत और मालदीव के अधिकारियों को सहयोग को प्रभावी तरीके से लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत, एक उच्च स्तरीय कोर समूह का गठन किया जाएगा, जो कार्यान्वयन की प्रगति की निगरानी करेगा।

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