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ट्राई ने एसएमएस ट्रैफिक के लिए व्हाइटलिस्टेड यूआरएल, एपीकेएस या ओटीटी लिंक को अनिवार्य किया

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भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा 20 अगस्त 2024 को जारी किया गया यह निर्देश संदेशों में यूआरएल (यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स लोकेटर) के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके तहत सभी एक्सेस प्रदाताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि व्हाइटलिस्ट में शामिल न किए गए यूआरएल, एपीके (एंड्रॉइड पैकेज किट), या ओटीटी (ओवर द टॉप) लिंक वाले किसी भी संदेश को ब्लॉक किया जाए। यह निर्देश 1 अक्टूबर 2024 से लागू होगा।

मुख्य बिंदु:

  1. यूआरएल/एपीके/ओटीटी लिंक ब्लॉकिंग: TRAI के निर्देश के अनुसार, व्हाइटलिस्ट में शामिल न किए गए किसी भी यूआरएल, एपीके, या ओटीटी लिंक वाले संदेशों को एक्सेस प्रदाताओं द्वारा अवरुद्ध किया जाएगा।
  2. पंजीकृत प्रेषकों के लिए सलाह: पंजीकृत प्रेषकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने व्हाइटलिस्टेड यूआरएल, एपीके, या ओटीटी लिंक को संबंधित एक्सेस प्रदाताओं के पोर्टल पर तुरंत अपलोड करें ताकि उनके संदेश निर्बाध रूप से प्रसारित हो सकें।
  3. अनुपालन की स्थिति: अब तक, 3,000 से अधिक पंजीकृत प्रेषकों ने 70,000 से अधिक लिंक को व्हाइटलिस्टेड कर इस आवश्यकता का अनुपालन किया है। जो प्रेषक नियत तिथि तक अपने लिंक व्हाइटलिस्टेड नहीं करेंगे, उनके यूआरएल/एपीके/ओटीटी लिंक वाले संदेशों को प्रसारित नहीं किया जाएगा।
  4. उपभोक्ताओं की सुरक्षा: इस पहल का उद्देश्य उपभोक्ताओं को दुर्भावनापूर्ण लिंक वाले अनचाहे संदेशों से बचाना और एक सुरक्षित, पारदर्शी संचार प्रणाली को बढ़ावा देना है।

TRAI का यह कदम डिजिटल संचार क्षेत्र में एक सुरक्षित और विश्वसनीय वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा और पंजीकृत प्रेषकों को भी एक सुरक्षित प्रणाली का हिस्सा बनने का अवसर मिलेगा।

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) के बारे में :

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) की स्थापना 20 फरवरी 1997 को संसद द्वारा पारित भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 के अंतर्गत की गई थी। इसका उद्देश्य देश में दूरसंचार सेवाओं का विनियमन करना और सेवाओं के टैरिफ निर्धारण व संशोधन से संबंधित कार्यों को नियंत्रित करना था, जो पहले केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते थे।

TRAI के उद्देश्य और मिशन:

TRAI का मुख्य उद्देश्य निष्पक्ष और पारदर्शी नीतिगत माहौल बनाना है, जो प्रतिस्पर्धा को सुगम बनाए और सभी सेवा प्रदाताओं को समान अवसर प्रदान करे। इसके साथ ही, TRAI का मिशन देश में दूरसंचार के विकास के लिए आवश्यक परिस्थितियों का निर्माण और संरक्षण करना है, ताकि भारत वैश्विक सूचना समाज में अग्रणी भूमिका निभा सके।

TRAI के कार्य:

  • विनियम, आदेश और निर्देश जारी करना: TRAI ने टैरिफ, इंटरकनेक्शन, और सेवा की गुणवत्ता जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कई दिशा-निर्देश और विनियम जारी किए हैं।
  • दूरसंचार बाजार में प्रतिस्पर्धा: TRAI ने सरकारी एकाधिकार से बहु-ऑपरेटर और बहु-सेवा वाले खुले प्रतिस्पर्धी बाजार में बदलाव के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं।

TRAI अधिनियम का संशोधन:

24 जनवरी 2000 से लागू किए गए एक अध्यादेश के तहत TRAI अधिनियम को संशोधित किया गया, जिसके अंतर्गत दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीएसएटी) की स्थापना की गई। इसका मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित विवादों का निपटान करना है:

  • लाइसेंसकर्ता और लाइसेंसधारी के बीच,
  • दो या अधिक सेवा प्रदाताओं के बीच,
  • सेवा प्रदाता और उपभोक्ताओं के समूह के बीच,
  • TRAI के निर्देश, निर्णय या आदेशों के खिलाफ अपील की सुनवाई और निपटारा।

टीडीएसएटी के गठन से दूरसंचार क्षेत्र में विवादों के निपटान और अपीलीय प्रक्रियाओं में तेजी लाई गई, जिससे इस क्षेत्र में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिला।

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