GIAHS
संदर्भ:
भारत कृषि धरोहर के मामले में वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण स्थान रखता है। फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) के अनुसार, वर्तमान में भारत में तीन ऐसे “ग्लोबली इम्पॉर्टेंट एग्रीकल्चरल हेरिटेज सिस्टम्स” (GIAHS) मौजूद हैं, जिन्हें वैश्विक कृषि महत्व के रूप में मान्यता दी गई है।
वैश्विक महत्त्वपूर्ण कृषि धरोहर प्रणाली (GIAHS)
- परिभाषा : ये सामुदायिक रूप से प्रबंधित कृषि प्रणालियाँ हैं जो कृषि-जैव विविधता, पारंपरिक ज्ञान और सांस्कृतिक विरासत को जोड़कर आजीविका और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।
- मान्यता : FAO द्वारा मान्यता प्राप्त। अब तक 29 देशों में 99 प्रणालियाँ शामिल की गईं।
हाल की नई शामिल प्रणालियाँ
- ताजिकिस्तान: पहाड़ी कृषि-पशुपालन प्रणाली
- दक्षिण कोरिया: पाइन ट्री एग्रोफॉरेस्ट्री और पारंपरिक बांस-मछली प्रणाली।
- पुर्तगाल: कृषि-वनीकरण-पशुपालन प्रणाली।
भारत की GIAHS प्रणालियाँ
- कोरापुट क्षेत्र, ओडिशा
- पहाड़ी धान की खेती और स्वदेशी चावल किस्मों की विविधता।
- औषधीय पौधे और आदिवासी पारंपरिक ज्ञान से जुड़ी धरोहर।
- कुट्टनाड प्रणाली, केरल
- समुद्र–स्तर से नीचे खेती का अनोखा मॉडल।
- धान के खेत, नारियल बगीचे, अंतर्देशीय मत्स्य पालन और शंख संग्रहण।
- कश्मीर की केसर धरोहर
- पारंपरिक केसर खेती, अंतरफसली खेती और जैविक पद्धतियाँ।
- जैव विविधता व मृदा स्वास्थ्य को बढ़ावा।