India $30 Trillion Vision
संदर्भ:
बर्लिन ग्लोबल डायलॉग में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आने वाले 20 से 25 वर्षों में भारत 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगा। उन्होंने कहा कि यह आर्थिक दृष्टि न केवल भारत की विकास यात्रा को परिभाषित करेगी, बल्कि भविष्य में व्यापार समझौतों पर भारत की वार्ता रणनीति और वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में उसकी भूमिका को भी नया स्वरूप देगी।
भारत की अर्थव्यवस्था और GDP: प्रमुख तथ्य
GDP क्या है
- किसी देश की आर्थिक आकार (Size of the Economy) उसके वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product – GDP) से मापा जाता है।
- GDP वह कुल बाजार मूल्य है, जो किसी देश में एक वर्ष के दौरान उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का होता है।
GDP कैसे मापा जाता है?
- घरेलू स्तर पर GDP रुपयों में मापा जाता है, और वैश्विक तुलना के लिए इसे अमेरिकी डॉलर में परिवर्तित किया जाता है।
- उदाहरण: a₹330 ट्रिलियन ÷ ₹84 (विनिमय दर) = $3.9 ट्रिलियन।
- यदि रुपये में GDP बढ़ भी जाए, लेकिन रुपया कमजोर हो जाए, तो डॉलर में GDP का मूल्य घट जाता है।
GDP के प्रकार:
- नाममात्र GDP: इसमें मुद्रास्फीति शामिल होती है — यानी वर्तमान मूल्यों पर वृद्धि दर्शाता है।
- वास्तविक GDP: इसमें मुद्रास्फीति को हटाया जाता है, जिससे वास्तविक उत्पादन वृद्धि दिखाई देती है।
भारत की अनुमानित आर्थिक वृद्धि (Projected Growth):
- वर्ष 2000 से अब तक भारत के नाममात्र GDP में 9% की औसत वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की गई है।
- इसी अवधि में भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले औसतन 7% वार्षिक दर से अवमूल्यित हुआ है।
- यदि आने वाले 25 वर्षों में भी यही रुझान बना रहता है —
- GDP की वृद्धि दर 9% रहे, और
- रुपया समान गति से कमजोर होता रहे, तो भारत का GDP वर्ष 2048 तक $30 ट्रिलियन से अधिक हो जाएगा।
लक्ष्य के सामने चुनौतियाँ:
- भूतकालीन आँकड़ों के आधार पर भविष्य की वृद्धि का अनुमान लगाना तर्कसंगत लगता है, लेकिन 2014 के बाद भारत की आर्थिक रफ्तार धीमी हुई है।
- पिछले 11 वर्षों में भारत का नाममात्र GDP 10.3% की औसत वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है, जो पिछले 25 वर्षों के9% औसत से कम है।
- इसी अवधि में रुपये का अवमूल्यन 08% वार्षिक दर से हुआ है, जो पहले के 2.7% की तुलना में अधिक है।
- इसका अर्थ है कि अब आर्थिक वृद्धि धीमी है, जबकि मुद्रा और तेज़ी से कमजोर हो रही है।
- यदि यही प्रवृत्ति जारी रही, तो भारत का GDP $30 ट्रिलियन तक केवल वर्ष 2055 के आसपास पहुँचेगा, न कि 2048 तक।
- इस तरह केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल द्वारा निर्धारित लक्ष्य लगभग एक दशक पीछे खिसक सकता है।
सरकारी पहलें:
- मेक इन इंडिया:घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देकर GDP में उद्योग की हिस्सेदारी 25% तक लाने का लक्ष्य।
- PLI योजना:14 प्रमुख क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निर्माण, निर्यात और रोजगार बढ़ावा।
- राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर कार्यक्रम:आधुनिक औद्योगिक ढांचा और कनेक्टिविटी विकास।
- पीएम गतिशक्ति (2021):सड़कों, रेल, बंदरगाहों व लॉजिस्टिक्स को जोड़ने की एकीकृत योजना।
- भारतमाला व सागरमाला:सड़क और बंदरगाह कनेक्टिविटी में सुधार से लॉजिस्टिक लागत में कमी।
- स्किल इंडिया मिशन:युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर कुशल कार्यबल तैयार करना।
- स्टार्ट–अप इंडिया और स्टैंड–अप इंडिया:नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहन।
- FTA समझौते:UK, EU, UAE आदि देशों के साथ निर्यात बाजारों का विस्तार।
- एक्ट ईस्ट व इंडो–पैसिफिक नीति:एशिया-प्रशांत क्षेत्र से आर्थिक व रणनीतिक संबंध मजबूत करना।

