India becomes the 6th largest patent filer in the world

संदर्भ:
भारत ने पिछले एक दशक में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति दर्ज की है। केंद्र सरकार के अनुसार, भारत अब विश्व का छठा सबसे बड़ा पेटेंट फाइलर बन चुका है, जहाँ 64,000 से अधिक पेटेंट आवेदन दायर किए गए है। इसमें 55% से अधिक पेटेंट भारतीय आवेदकों द्वारा दायर किए गए है। जो संकेत देता है कि देश अब न केवल नवाचार उत्पन्न कर रहा है, बल्कि उसे अपनी ही प्रयोगशालाओं और विश्वविद्यालयों में संरक्षित करने की क्षमता विकसित कर चुका है।
भारत की इस नवाचार उपलब्धि के मुख्य कारण:
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सुदृढ़ नीतिगत समर्थन: पिछले एक दशक में सरकार ने अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी विकास को प्राथमिकता देने वाली नीतियाँ अपनाईं। राष्ट्रीय STI नीति, स्टार्ट-अप इंडिया, मेक-इन-इंडिया, और उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजनाओं ने वैज्ञानिक गतिविधियों के लिए अनुकूल वातावरण बनाया।
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अनुसंधान अवसंरचना का विस्तार: देशभर में IIT, IISc, IISER, AIIMS, CSIR प्रयोगशालाओं तथा केंद्रों की क्षमता बढ़ने से शोध गुणवत्ता मजबूत हुई। उच्च-स्तरीय प्रयोगशालाएँ, सुपर-कंप्यूटिंग सुविधाएँ, बायोटेक पार्क, और विज्ञान व प्रौद्योगिकी इन्क्यूबेशन सेंटरों ने युवा शोधकर्ताओं को घरेलू स्तर पर ही विश्वस्तरीय संसाधन उपलब्ध कराए। इससे विदेशी निर्भरता कम हुई और भारतीय पेटेंट आवेदनों में तेजी आई।
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स्टार्ट-अप और डीप-टेक इकोसिस्टम: भारत का स्टार्ट-अप इकोसिस्टम अब विश्व में तीसरे सबसे बड़े रूप में उभरा है। डीप-टेक, बायोटेक, एग्री-टेक, स्पेस-टेक और AI-आधारित स्टार्ट-अप्स ने पेटेंट आधारित अनुसंधान को गति दी। निवेशकों और नवाचार फंडिंग प्लेटफॉर्मों की सक्रिय भागीदारी से तकनीकी पेटेंटों में असाधारण वृद्धि देखी गई।
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शिक्षा सुधार: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने छात्रों को अनुसंधान-आधारित शिक्षा और कौशल आधारित पाठ्यक्रम चुनने की स्वतंत्रता दी। जिससे विश्वविद्यालयों में नवाचार सेल, शोध क्रेडिट, अंडरग्रेजुएट अनुसंधान कार्यक्रम, तथा उद्योग-अकादमिक सहयोग ने नवाचार के प्रति आकर्षण को बढ़ावा मिला।
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प्रतिभा संवर्धन: INSPIRE, MANAK, SERB, महिला वैज्ञानिक योजनाएँ, जनजातीय विज्ञान कार्यक्रम और VAIBHAV जैसे कदमों ने प्रतिभावान छात्रों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों को सीधे अनुसंधान में भाग लेने का अवसर दिया।
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अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और बायोटेक्नोलॉजी: चंद्रयान-3, DNA वैक्सीन, जीन-थेरेपी परीक्षण, उभरती बायोटेक तकनीकों और स्वदेशी रक्षा वैज्ञानिक उपलब्धियों ने विज्ञान पर राष्ट्रीय विश्वास को मजबूत किया।
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युवाओं में कौशल विकास का बढ़ता आकर्षण: मुद्रा, PM-Svanidhi, PM-Vishwakarma जैसी योजनाओं ने युवाओं को औपचारिक डिग्रियों पर निर्भर हुए बिना नवाचार-आधारित उद्यम शुरू करने की सुविधा दी। कौशल भारत मिशन, डिजिटल इंडिया और AI-आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रमों ने युवाओं को तकनीकी दक्षता प्रदान की।
पेटेंट (Patent) क्या है?
पेटेंट एक कानूनी बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Right) है, जिसे सरकार किसी आविष्कारक को एक निश्चित अवधि के लिए प्रदान करती है। यह अधिकार आविष्कारक को अनुमति देता है कि वह अपने आविष्कार का उत्पादन, उपयोग, बिक्री, लाइसेंसिंग केवल अपनी अनुमति से करवा सके।
पेटेंट किसे मिलता है?
पेटेंट केवल ऐसे आविष्कार को मिलता है जो तीन शर्तें पूरी करता हो:
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नवीनता (Novelty) – आविष्कार नया हो और पहले कहीं प्रकाशित न हुआ हो।
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अविष्कारकता/गैर-स्पष्टता (Inventive Step) – आविष्कार साधारण तकनीकी ज्ञान का परिणाम न हो, बल्कि उसमें तकनीकी उन्नति हो।
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औद्योगिक उपयोगिता (Industrial Applicability) – आविष्कार का व्यावहारिक, औद्योगिक उपयोग संभव हो।
पेटेंट क्यों महत्वपूर्ण है?
पेटेंट विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग जगत में नवाचार को बढ़ावा देता है। यह अनुसंधान और विकास (R&D) को प्रोत्साहन देता है, आर्थिक वृद्धि में योगदान देता है, स्टार्ट-अप, विश्वविद्यालयों, और उद्योगों को नई तकनीक विकसित करने में सुरक्षा प्रदान करता है, देश की नवाचार क्षमता (Innovation Capacity) और वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाता है।
भारत में पेटेंट का कानूनी ढांचा:
भारत का पेटेंट प्रणाली मुख्य रूप से Patents Act, 1970 और Patents Rules, 2003 द्वारा संचालित है। इसमें 2005 का संशोधन महत्वपूर्ण माना जाता है जिसके अंतर्गत प्रोडक्ट पेटेंट को मान्यता दी गई है। साथ ही इसमें दवा और जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में बड़े परिवर्तन किए है। WTO-TRIPS समझौते के अनुरूप भारत की पेटेंट कानूनी प्रणाली वैश्विक मानदंडों के अनुरूप है। भारत में पेटेंट प्रणाली को Controller General of Patents, Designs & Trade Marks (CGPDTM) संचालित करता है। इसके अंतर्गत चार प्रमुख पेटेंट कार्यालय हैं।
पेटेंट की अवधि:
भारत में पेटेंट की अवधि फाइलिंग की तारीख से 20 वर्ष होती है। इस अवधि में आविष्कारक के पास विशिष्ट अधिकार रहते हैं। अवधि खत्म होने पर आविष्कार Public Domain में चला जाता है, जिसे कोई भी उपयोग कर सकता है।
पेटेंट के प्रकार:
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यूटिलिटी पेटेंट (Utility Patents) – नई मशीन, प्रक्रिया, निर्माण तंत्र आदि।
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डिज़ाइन पेटेंट (Design Patents) – उत्पादों के डिजाइन, सौंदर्य या संरचना पर।
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प्लांट पेटेंट (Plant Patents) – नई वनस्पति प्रजातियों के विकास पर।
भारत में मुख्य रूप से प्रक्रिया और उत्पाद पेटेंट सबसे महत्वपूर्ण हैं।
पेटेंट हेतु आवेदन प्रक्रिया:
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आविष्कार की पूर्ण स्पेसिफिकेशन तैयार करना
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पेटेंट आवेदन (Form 1) दाखिल करना
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प्रकाशन (18 महीने बाद या त्वरित)
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परीक्षा का अनुरोध (FER – First Examination Report)
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आपत्ति निवारण
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अनुदान (Grant of Patent)
