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भारत-ईएफटीए व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता

भारत – यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन ने 10 मार्च, 2024 को एक व्यापार एवं आर्थिक साझीदारी समझौता (TEPA) पर हस्ताक्षर किए।

यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) क्या है?

  • यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने और गहनता के लिए एक अंतरसरकारी संगठन है। EFTA की स्थापना उन राज्यों के लिए एक विकल्प के रूप में की गई थी जो यूरोपीय समुदाय (EC) में शामिल नहीं होना चाहते थे।
  • EFTA की स्थापना स्टॉकहोम कन्वेंशन द्वारा 3 मई, 1960 को ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, ग्रेट ब्रिटेन, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्वीडन और स्विट्जरलैंड के साथ इसके संस्थापक सदस्यों के रूप में की गई थी।
  • EFTA की वर्तमान सदस्यता चार देशों – स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन तक सीमित है। ये देश यूरोपीय संघ (EU) का हिस्सा नहीं हैं।
  • एसोसिएशन के मुख्य कार्य तीन हैं –
    • EFTA कन्वेंशन को बनाए रखना और विकसित करना, जो चार EFTA राज्यों के बीच आर्थिक संबंधों को नियंत्रित करता है;
    • यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र (ईईए समझौते) पर समझौते का प्रबंधन करना, जो यूरोपीय संघ और EFTA के 3 राज्यों – आइसलैंड, लिकटेंस्टीन और नॉर्वे – को एक एकल (आंतरिक) बाजार में एक साथ लाता है।
    • EFTA के मुक्त व्यापार समझौतों के विश्वव्यापी नेटवर्क का विकास करना।
  • EFTA एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय समूह है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि करने के लिए निरंतर अवसर बढ़ रहे हैं।
  • EFTA यूरोप में तीन (अन्य दो EU एवं ब्रिटेन) में से एक महत्वपूर्ण आर्थिक ब्लॉक है।
  • EFTA देशों में से स्विट्जरलैंड भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है जिके बाद नॉर्वे का स्थान आता है।

TEPA क्या हैं?

  • TEPA एक आधुनिक और महत्वाकांक्षी व्यापार समझौता है।
  • पहली बार, भारत चार विकसित देशों – जो यूरोप में एक महत्वपूर्ण आर्थिक ब्लॉक है – के साथ FTA पर हस्ताक्षर किए।
  • Free Trade Agreement (FTA) के इतिहास में पहली बार 100 बिलियन डॉलर के निवेश और 1 मिलियन प्रत्यक्ष रोजगार की बाध्यकारी प्रतिबद्धता की गई है।
  • यह समझौता मेक इन इंडिया को बढ़ावा देगा तथा युवा एवं प्रतिभाशाली श्रमबल को अवसर प्रदान करेगा।
  • यह FTA बड़े यूरोपीय तथा वैश्विक बाजारों तक भारतीय निर्यातकों को पहुंच प्रदान करेगा।

मुक्त व्यापार समझौता (FTA):

  • यह दो या दो से अधिक देशों के बीच आयात और निर्यात में बाधाओं को कम करने हेतु किया गया एक समझौता है।
  • एक मुक्त व्यापार नीति के तहत वस्तुओं और सेवाओं को अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार खरीदा एवं बेचा जा सकता है, जिसके लिये बहुत कम या न्यून सरकारी शुल्क, कोटा तथा सब्सिडी जैसे प्रावधान किये जाते हैं।
  • मुक्त व्यापार की अवधारणा व्यापार संरक्षणवाद या आर्थिक अलगाववाद (Economic Isolationism) के विपरीत है।

EFTA राज्यों और भारत के बीच आर्थिक संबंध:

  • पिछले दो दशकों में, EFTA राज्यों और भारत के बीच कुल व्यापार लगातार बढ़ रहा है।
  • 2022 में, संयुक्त EFTA-भारत व्यापारिक व्यापार 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया।
  • EFTA राज्यों में प्राथमिक आयात में कार्बनिक रसायन (5%) शामिल थे, जबकि मशीनरी (17.5%) और फार्मास्युटिकल उत्पाद (11.4%) शामिल थे।
  • FY23 में स्विट्जरलैंड से भारत के मुख्य आयात में शामिल हैं: सोना: $12.6 बिलियन, मशीनरी: $409 मिलियन, फार्मास्यूटिकल्स: $309 मिलियन, कोकिंग और स्टीम कोयला: $380 मिलियन, आदि।
  • इसके अलावा, सेवा व्यापार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) भी पर्याप्त स्तर पर पहुंच गए हैं।

समझौते के बारे में –

समझौते में 14 अध्याय हैं, जिसमें मुख्य रूप से वस्तुओं से संबंधित बाजार पहुंच, उत्पत्ति के नियम, व्यापार सुविधा, व्यापार उपचार, स्वच्छता और पादप स्वच्छता उपाय, व्यापार में तकनीकी बाधाएं, निवेश प्रोत्साहन, सेवाओं के लिए बाजार पहुंच, बौद्धिक संपदा अधिकार, व्यापार और विकास तथा  अन्य कानूनी और क्षैतिज प्रावधान  पर जोर दिया गया है।

समझौते की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं –

  • EFTA ने अगले 15 वर्षों में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के स्टॉक को 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने और ऐसे निवेशों के माध्यम से भारत में 1 मिलियन प्रत्यक्ष रोजगार के सृजन की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। निवेश विदेशी पोर्टफोलियो निवेश को कवर नहीं करता है।
  • EFTA अपनी 2 प्रतिशत टैरिफ लाइनों की पेशकश कर रहा है जो भारत के 99.6 प्रतिशत निर्यात को कवर करता है। EFTA के बाजार पहुंच प्रस्ताव में 100 प्रतिशत गैर-कृषि उत्पाद और प्रसंस्कृत कृषि उत्पाद (पीएपी) पर टैरिफ रियायत शामिल है।
  • भारत अपनी 7 प्रतिशत टैरिफ लाइनों की पेशकश कर रहा है जिसमें 95.3 प्रतिशत EFTA निर्यात शामिल है जिसमें से 80 प्रतिशत से अधिक आयात सोना है। सोने पर प्रभावी शुल्क अछूता रहा है। ऑफर बढ़ाते समय फार्मा, चिकित्सा उपकरणों और प्रसंस्कृत खाद्य आदि क्षेत्रों में पीएलआई से संबंधित संवेदनशीलता को ध्यान में रखा गया है। डेयरी, सोया, कोयला और संवेदनशील कृषि उत्पाद जैसे क्षेत्रों को बहिष्करण सूची में रखा गया है।
  • भारत ने EFTA को 105 उप-क्षेत्रों की पेशकश की है और स्विट्जरलैंड से 128, नॉर्वे से 114, लिकटेंस्टीन से 107 और आइसलैंड से 110 उप-क्षेत्रों में प्रतिबद्धताएं हासिल की हैं।
  • TEPA हमारी प्रमुख ताकत/रुचि के क्षेत्रों जैसे आईटी सेवाओं, व्यावसायिक सेवाओं, व्यक्तिगत, सांस्कृतिक, खेल और मनोरंजक सेवाओं, अन्य शिक्षा सेवाओं, ऑडियो- विजुअल सेवाओं आदि में हमारी सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहित करेगा।
  • EFTA की सेवाओं की पेशकश में सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी (मोड 1), वाणिज्यिक उपस्थिति (मोड 3) और प्रमुख कर्मियों के प्रवेश और अस्थायी प्रवास के लिए बेहतर प्रतिबद्धताओं और निश्चितता (मोड 4) के माध्यम से बेहतर पहुंच शामिल है।
  • TEPA में नर्सिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आर्किटेक्ट आदि जैसी व्यावसायिक सेवाओं में पारस्परिक मान्यता समझौतों के प्रावधान हैं।
  • TEPA में बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित प्रतिबद्धताएं ट्रिप्स स्तर पर हैं। स्विट्जरलैंड के साथ आईपीआर अध्याय, जहां आईपीआर के लिए उच्च मानक हैं, हमारी मजबूत आईपीआर व्यवस्था को दर्शाता है। जेनेरिक दवाओं में भारत के हितों और पेटेंट की सदाबहारता (एवरग्रीनिंग) यानी सदाबहार की प्रक्रिया में शामिल पेटेंट कानून और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून के विशिष्ट पहलू, से संबंधित चिंताओं को पूरी तरह से संबोधित किया गया है।
  • भारत सतत विकास, समावेशी विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का संकेत देता है
  • व्यापार प्रक्रियाओं की पारदर्शिता, दक्षता, सरलीकरण, सामंजस्य और स्थिरता को बढ़ावा देता है।
  • TEPA हमारे निर्यातकों को विशेष इनपुट तक पहुंच को सशक्त बनाएगा और अनुकूल व्यापार और निवेश माहौल तैयार करेगा। इससे भारत में निर्मित वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही सेवा क्षेत्र को अधिक बाजारों तक पहुंचने के अवसर मिलेंगे।
  • TEPA यूरोपीय संघ के बाजारों में एकीकृत होने का अवसर प्रदान करता है। स्विट्ज़रलैंड का 40 प्रतिशत से अधिक वैश्विक सेवा निर्यात यूरोपीय संघ को होता है। भारतीय कंपनियां यूरोपीय संघ तक अपनी बाजार पहुंच बढ़ाने के लिए स्विट्जरलैंड को आधार के रूप में देख सकती हैं।
  • TEPA बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी, विनिर्माण, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स, रसायन, खाद्य प्रसंस्करण, परिवहन और लॉजिस्ट्क्सि, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं और बीमा जैसे क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करके “मेक इन इंडिया” और आत्मनिर्भर भारत को गति देगा।
  • TEPA भारत में अगले 15 वर्षों में व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण के लिए बेहतर सुविधाओं सहित भारत के युवा महत्वाकांक्षी कार्यबल के लिए बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष रोजगारों के सृजन में तेजी लाएगा। टीईपीए सटीक इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य विज्ञान, नवीकरणीय ऊर्जा, नवोन्मेषण और अनुसंधान एवं विकास में प्रौद्योगिकी सहयोग और विश्व की अग्रणी प्रौद्योगिकियों तक पहुंच की सुविधा भी प्रदान करता है।

भारत तथा EFTA के मध्य व्यापारिक आँकड़े –

क्‍या-क्‍या होगा सस्‍ता?

  • मुक्‍त व्‍यापार शुरू होने के बाद इन देशों से भारत आने वाले सामनों की कीमतों में कटौती होगी, क्‍योंकि डील के तहत ये देश अपने आयात शुल्‍क को कम करेंगे। वहीं भारत से जाने वाले वस्‍तुओं के आयात शुल्‍क में भी कटौती आएगी।
  • उदाहरण के तौर पर देखें तो स्विजरलैंड से स्विस चॉकलेट, घड़ी और बिस्‍कुट भारतीय बाजार में ज्‍यादा बिकता है। ऐसे में इस डील से इनकी कीमतों में कमी आएगी।

Disclaimer: The article may contain information pertaining to prior academic years; for further information, visit the exam’s official or concerned website.

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